जशन- ए- आज़ादी को ईद व दिवाली की तरह मनाएं: हसन

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गंगोह। आज़ादी की ख़ुशी हर ख़ुशी से बढ़कर है, अगर आज़ाद न हो तो हर ख़ुशी बेकार है, आज़ादी का महत्व उस से पूछिए जो ग़ुलाम हो और उसे कुछ भी कहने और करने की अनुमति न हो।

प्रेस के नाम जारी एक विज्ञप्ति में एस. फ़ातिमा एजुकेशनल एजुकेशनल सोसायटी के महाप्रबंधक नवाब आकिब हसन ने कहा कि जशने आज़ादी से बढ़कर कोन सा पर्व हो सकता है। ईद, होली, दिवाली देश के अलग-अलग समुदायों के अलग-अलग पर्व हैं, लेकिन आज़ादी का त्यौहार मुल्क के सभी समुदायों और हर वर्ग के लोगों का साझा त्यौहार है, जिस पर मुल्क के हर बाशिंदे को फ़ख्र होना चाहिए और उसकी क़द्र करनी चाहिए। सैंकड़ों बरस की जद्दोजहद और बेशुमार जानी व माली क़ुर्बानियो के बाद हासिल होने वाली आज़ादी का महत्व नयी नस्ल को जानने की ज़रूरत है। यह हमारे बुज़ुर्गों की अमानत और विरासत है, इसकी रक्षा करना हम सब की ज़िम्मेदारी है।

उन्होंने सभी का आह्वान किया कि हर वर्ष 15 अगस्त को दिल की गहराईयों से अपने पुरखों और विशेष रूप से आज़ादी के नाम पर मर मिटने वाले दीवानों को ख़िराजे अक़ीदत पेश करें। मुल्क की पासबानी और पासदारी का अहद करें, आपसी सौहार्द को बढ़ाने और नफ़रतों को मिटाने की क़सम खाएं, यही हमारे बुज़ुर्गों का ख़्वाब था, जिसे पूरा करना हम सबका फ़र्ज़ है।