बीज बैंक और गढ़वाली भाषा का संवर्धन विश्वविद्यालय की प्राथमिकता
देहरादून। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति महंत देवेंद्र दास जी महाराज ने विश्वविद्यालय की नवनियुक्त सदस्यों को शुभकामनाएं प्रेषित की| उन्होंने शिक्षकों से अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी तरीके से निभाने का आह्वान किया|
उन्होंने कहा कि हमारे शिक्षकों पर भावी पीढ़ी का भविष्य निर्भर करता है क्योंकि शिक्षक ही राष्ट्र के आधार स्तंभ है, वे विद्यार्थियों को एक सही दिशा प्रदान करके राष्ट्र के विकास में अहम योगदान दे सकते हैं। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय में नवनियुक्त शिक्षकों से कुलपति ने वाद संवाद किया| इस दौरान शिक्षकों को उनके दायित्व और उनकी जिम्मेदारियों के बारे में बताया गया| इस मौके पर कुलपति ने कहा कि मौजूदा समय में शिक्षकों के दायित्व और भी चुनौतीपूर्ण हो गए हैं। नई तकनीकी के युग में शिक्षकों को तकनीक के सहारे शिक्षा को और प्रभावी ढंग से विद्यार्थियों तक पहुंचाना होगा।
इस मौके पर कुलपति महोदय ने शिक्षकों से नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों के अनुरूप शैक्षिक पाठ्यक्रम के साथ-साथ व्यवहारिक गतिविधियों एवं शोध परक दृष्टि रखने पर जोर दिया।
उनका कहना था कि श्री गुरु राम राय एजुकेशन मिशन पिछले 67 वर्षों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का कार्य कर रहा है| उन्होंने कहा कि शिक्षकों को अध्यापन कार्य के साथ-साथ शोध संबंधी गतिविधियों में भी लगातार भाग लेते रहना चाहिए तथा अपने आप को सेमिनार और कार्यशाला के माध्यम से निरंतर अपडेट करते रहना चाहिए। उनका कहना था कि विश्वविद्यालय शिक्षक के साथ-साथ जैविक कृषि, ऑर्गेनिक कृषि के क्षेत्र में भी निरंतर नए प्रयोग कर रहा है तथा उनका उद्देश्य विश्वविद्यालय के स्तर पर एक बीज बैंक का निर्माण करना है| साथ ही छात्रों को भी इस प्रकार की गतिविधियों से फील्ड वर्क के माध्यम से लगातार जोड़ा जा रहा है। उन्होने कहा कि शिक्षकों को बिना किसी भेदभाव के छात्र छात्राओं के प्रति अपना व्यवहार समान रखना चाहिए तथा विद्यार्थियों को निरंतर अभिनव प्रयोग करने तथा सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित करते रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र, राष्ट्रवाद, सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण, शांति, समाज सेवा आदि के लिए भी विद्यार्थियों को समन्वित स्तर पर जोड़ना जरूरी है| उन्होंने कहा कि सभी शिक्षकों को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए और दूसरों के अनुभव से शिक्षा लेनी चाहिए चाहिए का सम्मान करना चाहिए और दूसरों के अनुभव से शिक्षा लेनी चाहिए चाहिए से शिक्षा लेनी चाहिए। उन्होंने शिक्षकों से कहा कि उन्हें विश्वविद्यालय अधिकारियों के निर्देशों का पालन करते हुए अपने कार्य और दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए तथा विश्वविद्यालय के विकास की दिशा में अपने अमूल्य सुझाव प्रदान करते रहने चाहिए| उनका कहना था कि शैक्षिक स्टाफ के साथ साथ शैक्षणिक कर्मचारी भी विश्वविद्यालय के अंग है और सभी के समन्वित प्रयास से ही विश्वविद्यालय आगे बढ़ेगा। उनका कहना था कि नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों के अनुरूप विश्वविद्यालय मैं क्षेत्रीय भाषा गढ़वाली का भी पाठ्यक्रम संचालित किया जा रहा है ताकि हम अपनी भाषा और संस्कृति को सहेज कर रख सके और भविष्य की पीढ़ी को अपनी भाषा, बोली और संस्कृति के प्रति जागरूक कर सकें| उन्होंने कहा कि शिक्षा में सुधार से ही एक सशक्त और बेहतर समाज की स्थापना हो सकती है, क्योंकि बेहतर नागरिक ही मजबूत राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। इस मौके पर कुलपति डॉक्टर यू एस रावत, विश्वविद्यालय समन्वयक डॉक्टर मालविका कांडपाल सहित विभिन्न विभागों के नवनियुक्त शिक्षक उपस्थित थे|