खटीमा विधायक पुष्कर धामी के सर सजेगा उत्तराखंड के 11 मुख्यमंत्री का ताज, विधायक दल की बैठक में फैसला

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देहरादून। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पद से तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद अब उत्तराखंड में पुष्कर धामी 11वें मुख्यमंत्री होंगे। उनके नाम पर आज भाजपा प्रदेश कार्यालय में विधानमंडल दल की बैठक में मुहर लगा दी गई।
यह बैठक केन्द्रीय पर्यवेक्षक एवं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर एवं प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम की उपस्थिति में हुई। इस बार भाजपा ने तमाम अनुभवी विधायकों को दरकिनार करते हुए युवा चेहरे को तवज्जो दी।

पुष्कर सिंह धामी का जीवन परिचय
पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड में खटीमा विधानसभा से विधायक हैं। उत्तराखंड प्रदेश के अति सीमान्त जनपद पिथौरागढ की ग्राम सभा टुण्डी, तहसील डीडी हाट में उनका जन्म 16 सितंबर 1975 को हुआ। सैनिक पुत्र होने के नाते राष्ट्रीयता, सेवा भाव एवं देशभक्ति को ही धर्म के रूप में अपनाया। आर्थिक आभाव में जीवन यापन कर सरकारी स्कूलों से प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की।

शैक्षिक योग्यता
स्नातकोत्तर
व्यावसायिक – मानव संसाधन प्रबंधन और औद्योगिक संबंध के मास्टर
राजनितिक दल का नाम : भारतीय जनता पार्टी
प्रारंभिक जीवन
बचपन से ही स्काउट गाइड, एनसीसी, एनएसएस इत्यादी शाखाओं में प्रतिभाग एवं समाजिक कार्यो को करने की भावना तथा छात्र शक्ति को उनके हकों एवं उत्थान के लिए एक जुट करने के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ने के मुख्य कारक रहे हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रों को एक जुट करके निरन्तर संधर्षशाील रहते हुए उन्होंने छात्रों के हितों के लिए संघर्ष।

राजनीतिक जीवन
सन 1990 से 1999 तक जिले से लेकर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में विभिन्न पदों में रहकर विद्यार्थी परिषद में कार्य किया। इसी दौरान अलग-अलग दायित्वों के साथ-साथ प्रदेश मंत्री के तौर पर लखनऊ में हुये अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सम्मेलन में संयोजक एवं संचालन कर प्रमुख भूमिका निभाई।
राज्य की भौगोलिक परिस्थियों को समझते हुए क्षेत्रीय समस्याओं की समझ और उत्तराखंड राज्य गठन के उपरान्त पूर्व मुख्यमंत्री के साथ एक अनुभवी सलाहकार के रूप में 2002 तक कार्य किया। दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए सन 2002 से 2008 तक छः वर्षो तक पूरे प्रदेश में जगह-जगह भ्रमण कर युवा बेरोजगार को संगठित करके रैलियां एवं सम्मेलन आयोजित कर पार्टी को मजबूती प्रदान की।

दोहराई गई पुरानी कहानी
पिछली कहानी की तरह इस बार भी वही कहानी दोहराई गई। मार्च माह में तब विधानसभा के गैरसैंण में आयोजित सत्र को अचानक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था। छह मार्च को तत्कालीन सीएम सहित समस्त विधायकों को देहरादून तलब किया गया था। भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षक वरिष्ठ भाजपा नेता व छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह देहरादून आए थे। उन्होंने भाजपा कोर कमेटी की बैठक के बाद फीडबैक लिया था। इसके बाद उत्तराखंड में आगामी चुनावों के मद्देनजर मुख्यमंत्री बदलने का फैसला केंद्रीय नेताओं ने लिया था। नौ मार्च को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं, दस मार्च को भाजपा की विधानमंडल दल की बैठक में तीरथ सिंह रावत को नया नेता चुना गया। दस मार्च की शाम चार बजे उन्होंने एक सादे समारोह में मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी। ठीक इसी तर्ज में फिर से कहानी दोहराई गई।

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