देहरादून। सितम्बर में आई भीषण बाढ़ ने पूरे प्रदेश के साथ ही देहरादून के मालदेवता, सहस्त्रधारा, मकड़ेती गांव, मालसी समेत कई क्षेत्रों भारी तबाही मचाई थी। इस दौरान कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा तो बड़ी संख्या में लोगों के घर और खेत भी तबाह हो गए थे।


देहरादून की सौंग नदी घाटी में आई भीषण बाढ़ ने भी न सिर्फ क्षेत्र को भारी नुकसान पहुँचाया, बल्कि बड़े पैमाने पर मलबा, बोल्डर, पत्थर, बजरी और रेत जमा कर नदी के प्राकृतिक बहाव को भी बाधित कर दिया है। बाढ़ के बाद जमा हुए इस विशाल मलवे के कारण सौंग और रिसपना नदी का तल अब अपने मूल स्तर से काफी ऊँचा हो गया है। भू-वैज्ञानिकों और स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, नदी तल का इस तरह ऊँचा हो जाना आगामी बरसात में फिर से गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।
जिससे सौंग घाटी के साथ ही रिसपना नदी के आसपास बसे कई गांवों, मोहल्लों और देहरादून नगर क्षेत्र की कॉलोनियों में आगामी बारिश के दौरान भीषण बाढ़ का खतरा और अधिक बढ़ गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि समय रहते नदी की सफाई व चैनलाइजेशन नहीं किया गया तो आने वाली बरसात में बाढ़ का पानी आबादी क्षेत्रों की ओर तेजी से फैल सकता है और भारी जन-धन नुकसान की संभावनाएं पैदा हो सकती हैं।
इसी गंभीर परिस्थिति को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस महामंत्री महेन्द्र प्रताप सिंह ‘नेगी गुरू जी’ ने जिला खनन अधिकारी कार्यालय और खनन निदेशालय कार्यालय में सौंग घाटी विकास समिति के बैनर तले एक लिखित ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन में उन्होंने मांग की कि—
सौंग नदी के आबादी क्षेत्रों में तत्काल प्रभाव से नदी का चैनलाइजेशन किया जाए।
नदी में जमा लाखों टन मलबा, बोल्डर और रेत को जल्द हटाया जाए।
बरसात शुरू होने से पहले दोनों नदियों के सभी संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा कार्य पूरे किए जाएं।
इस दौरान नेगी गुरू जी ने कहा कि यह मामला पूरी तरह जनहित से जुड़ा हुआ है और प्रशासन को इसे प्राथमिकता पर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते नदी की साफ-सफाई और चैनलाइजेशन नहीं किया गया तो भविष्य में होने वाली जल आपदाओं से भारी नुकसान होना तय है।
नेगी गुरू जी के नेतृत्व में स्थानीय लोगों और समिति सदस्यों ने प्रशासन से अपील की है कि सौंग नदी घाटी में राहत और सुरक्षा कार्यों को तत्काल गति दी जाए, ताकि आने वाले मानसून में लोगों को किसी बड़े संकट का सामना न करना पड़े।










