नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के भिंड शहर के हलवाई खाना इलाके में रहने वाला एक मजदूर युवक कक्षा दो में पढ़ने वाले अपने बच्चे की किताबें लेकर कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के पास पहुंच गया। इसने किताबें और उनका बिल दिखाते हुए बताया कि उसे यह किताबें 2 हजार 130 रुपए में दी गई हैं। इसके बाद कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने डीपीसी को निर्देश दिए कि संबंधित स्कूल की मान्यता को निलंबित किया जाए।
हलवाई खाना निवासी इमदाद अहमद ने बताया कि वह फर्नीचर की दुकान पर मजदूरी करता है उनका बच्चा कक्षा दो में मोहल्ले के ही एक निजी स्कूल में पढ़ता है। इस स्कूल के प्रबंधन ने किताबें खरीदने के लिए पर्ची दी, जिस पर सुविधा बुक स्टोर का नाम लिखा था। यह किताबें दूसरी किसी दुसरी दुकान पर उपलब्ध नहीं थीं। पुस्तक बाजार में संचालित इस दुकान से जब किताबें खरीदी, तो दुकानदार ने 2130 रुपए मांगे। मैंने इतनी अधिक कीमत सुनकर जब मोलभाव का प्रयास किया, तो दुकानदार ने साफ इंकार कर दिया। इतना ही नहीं, कॉपियों के लिए 500 रुपए और मांगे गए। लेकिन मेरे पास पूरे रुपए न होने की वजह से कॉपियां नहीं खरीद पाया।खास बात तो यह है कि इन किताबों में एनसीईआरटी की एक भी किताब नहीं थी।
युवक की शिकायत सुनने के बाद कलेक्टर श्रीवास्तव ने डीपीसी व्योमेश शर्मा को फोन किया। उन्होंने निर्देश दिए कि एक ही दुकान से अधिक दाम पर किताबें खरीदने के लिए बाध्य करने वाले सानिध्य विद्या निकेतन स्कूल की मान्यता को तुरंत सस्पेंड किया जाए। बता दें, कि इससे कुछ दिन पहले भी यहीं के सेंट माइकल स्कूल की मान्यता भी सस्पेंड की गई थी।