मुख्यमंत्री धामी ने प्रदेश के लोकपर्व ईगास पर 14 नवंबर को एक दिन का अवकाश घोषित किया

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संगठनों की मांग पर धामी ने लिया फैसला, ईगास पर की छुट्टी घोषित,
CM धामी बोले: ‘सब्बि ये त्यौहार तै बड़ा धूमधाम सै मनौ’

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इगास पर्व पर एक दिन का अवकाश घोषित किया है। बता दें कि, इससे पहले छठ पूजा को लेकर अवकाश घोषित किया गया था। बता दें कि, इगास पर्व उत्तराखंड का व्यापक लोक पर्व है। पहाड़ में बग्वाल यानि दीपावली के ठीक 11 दिन बाद ईगास मनाने की परंपरा है।

उत्तराखंड में ज्योति पर्व दीपावली का उत्सव इसी दिन पराकाष्ठा को पहुंचता है, इसलिए पर्वों की इस श्रृंखला को ईगास-बग्वाल (egaas diwali) नाम दिया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट कर खास अंदाज में स्थानीय भाषा में छुट्टी की जानकारी देते हुए लिखा कि, “उत्तराखण्ड की समृद्ध लोक संस्कृति कु प्रतीक लोकपर्व ‘इगास’ पर अब छुट्टी रालि। हमारू उद्देश्य च कि हम सब्बि ये त्यौहार तै बड़ा धूमधाम सै मनौ, अर हमारि नई पीढी भी हमारा पारंपरिक त्यौहारों से जुणि रौ।”

क्या है ईगास (egaas) को लेकर मान्यताएं?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम दीपावली के दिन वनवास से अयोध्या लौटे , इसलिए कार्तिक कृष्ण अमावस्या को दीये जलाकर श्री राम का स्वागत किया जाता हैं । मान्यता हैं कि गढ़वाल क्षेत्र में श्री राम के लौटने की सूचना दीपावली के ग्यारह दिन बाद यानि कार्तिक शुक्ल एकादशी को मिली। उसी दिन से गढ़वाल में दीपावली की ठीक 11 दिन बाद ईगास मनाई जाती है। तत्कालीन समय में लोगों के पास रोशनी करने का एक मात्रा साधन था छिल्ला, यानि चीड़ के पेड़ों से निकली एक विशेष किस्म की लकड़ी,जो बहुत तेजी से जलती है को गठरी में बाँध कर उसे जलाया जाता है जिसे भैलो कहते है,जब यह तेज जलने लगती है तो रस्सी में बांधकर इसे अपने चारों ओर घुमाया जाता है और अपनी खुशी का इजहार किया जाता है।

दूसरी मान्यता के यह कि दीपावली के 11 दिन बाद वीर माधो सिंह भंडारी के नेतृत्व में गढ़वाल की सेना ने दापाघाट, नेपाल का युद्ध जीता, जिसके बाद उनकी सेना दीपावली के ग्यारहवें दिन गढ़वाल वापस पहुंची युद्ध जीतने और सैनिकों के घर पहुंचने की खुशी में उस समय दीपावली मनाई थी।

मान्यताओं के अनुसार उत्तराखंड में 4 बग्वाल होती है, पहली बग्वाल कर्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को होती है. दूसरी अमावस्या को पूरे देश की तरह गढ़वाल में भी अपनी लोक परंपराओं के साथ मनाई जाती है। तीसरी बग्वाल बड़ी बग्वाल (दीपावली ) के ठीक 11 दिन बाद आने वाली, कर्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इगास पर्व के दिन लक्ष्मी पूजन के साथ पशुधन की पूजा भी की जाती है। इस पर्व की खास बात यह है कि आतिशबाजी करने के बजाय लोग रात के समय पारंपरिक भैलो खेलते हैं।

इस बार ईगास आगामी 14 नवंबर को मनाई जाएगी। सरकारों ने कई अन्य धर्मो के त्योहारों पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया, जिसके बाद ईगास पर्व पर भी अवकाश घोषित किए जाने की लगातार मांग हो रही थी, कई संगठनों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अपील की थी कि, ईगास को प्रदेश का सार्वजानिक पर्व घोषित किया जाए, ताकि परम्परांगत त्योहारों को जीवित रखा जा सके। जिसका मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संज्ञान लेते हुए अवकाश का फैसला लिया।