हरक का हरीश से माफी मांगना,फिर हरीश की हरक से फोन पर वार्ता, कहीं बड़े घटनाक्रम की आहट तो नही!

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देहरादून। प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में कुछ ही समय बाकी रह गया है। और उत्तराखंड की राजनीति में कई चौंकाने वाले घटनाक्रम देखने को मिल रहे हैं। जहां भाजपा कांग्रेस के एक विधायक सहित 3 विधायकों को अपने पाले में ला चुकी है। वहीं कांग्रेस ने भी पलटवार करते हुए अपने एक विधायक के बदले भाजपा के कैबिनेट मंत्री सहित 2 विधायकों को अपने पाले में खड़ा कर लिया है। राजनीति के यह रंग आगे भी प्रदेश में बड़े पैमाने पर देखने को मिल सकते हैं ऐसे संकेत हाल ही के घटनाक्रम से मिल रहे हैं।

पहले हरक सिंह रावत का इनडायरेक्टली हरीश रावत से माफी मांगना फिर रविवार को कुमाऊं के आपदाग्रस्त गांव सुंदर खाल के विस्थापन के बहाने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और काबीना मंत्री डॉक्टर हरक सिंह रावत के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत के निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। दोनों पक्षों की तरफ से रिश्तों में आई नरमी को मय टीम सहित हरक सिंह रावत की कांग्रेस में घर वापसी के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।

कुमाऊं मंडल के आपदाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा कर रामनगर के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से सटे गांव सुंदरखाल में आई आपदा और उसके विस्थापन के सवाल पर हरीश रावत , गणेश गोदियाल और यशपाल आर्य की काबीना मंत्री हरक सिंह रावत से टेलीफोन पर हुई बातचीत को रिश्तों में आई नरमी से जोड़कर देखा जा रहा है।

हालांकि टेलीफोन पर हुई बातचीत के बारे में पीसीसी अध्यक्ष गोदियाल का कहना है कि आपदाग्रस्त सुंदरखाल को 2016 में विस्थापित किए जाने का फैसला लिया गया था। इस गांव के विस्थापन में वन अधिनियम आड़े आ रहा है। इस सिलसिले में हरीश रावत ने रविवार को वन मंत्री हरक सिंह रावत से बात की। यशपाल आर्य ने भी वन मंत्री से इसी सिलसिले में बात की है। 2016 में कांग्रेस से भाजपा में गए सभी लोगों की नाराजगी समय समय पर देखने को मिली है। हरक सिंह रावत व सतपाल महाराज त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए खुलकर काम नहीं कर पाए जबकि कृषि मंत्री सुबोध उनियाल धामी सरकार में पोर्टफोलियो से खुश नहीं बताए जाते हैं।

नई सरकार में हरक सिंह रावत को ऊर्जा, महाराज को लोनिवि व यशपाल आर्य को आबकारी जैसे अहम विभाग दिए गए जबकि सुबोध को पुराने विभागों से ही सन्तुष्ट होना पड़ा। हरक सिंह रावत ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि चार साल से भी अधिक समय तक वे अपनी क्षमता के हिसाब से काम नहीं कर सके। जबकि तीरथ सिंह रावत व अब मुख़्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का उन्हें सहयोग मिल रहा है।
अब तक मीडिया से हुई बातचीत में डॉ हरक सिंह रावत कांग्रेस में जाने के सवाल को टालते रहे हैं। वे इतना जरूर कह रहे हैं कि कभी प्रीतम सिंह और पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी भी भाजपा में थे, इसका मन्तव्य यह है कि उनके दलबदल पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

कांग्रेस के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि डॉक्टर हरक सिंह रावत के साथ पांच विधायक दीपावली से पहले कांग्रेस में वापस आ सकते हैं। इनमें एक काबीना मंत्री के साथी राजधानी के भी एक विधायक शामिल है। यदि हरक सिंह रावत और उनके साथी कांग्रेस में वापसी करते हैं तो ऐसे में जहां इन सीटों से दावेदार मूल भाजपाइयों को इतराने का मौका मिलेगा तो वहीं पिछले 5 सालों से इन सीटों पर मेहनत कर रहे कांग्रेस के दावेदारों के हाथ मायूसी ही लगेगी। क्योंकि इन लोगों की कांग्रेस में वापसी की पहली शर्त टिकट ही होगी। जिसमें अब हरीश रावत को भी कोई परेशानी शायद नहीं होगी।