अल्पसंख्यकों की अनदेखी का आरोप लगा शेरवानी ने सपा महासचिव पद से दिया इस्तीफा

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा है. पूर्व केंद्रीय सलीम शेरवानी ने राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव को सलीम शेरवानी ने पत्र लिखकर राज्यसभा में किसी मुसलमान को प्रत्याशी न बनाने पर नाराजगी जताई है।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव को लिखे पत्र में सलीम शेरवानी ने कहा कि मुसलमान लगातार उपेक्षित महसूस कर रहा है राज्यसभा के चुनाव में भी किसी मुसलमान को नहीं भेजा गया. बेशक मेरे नाम पर विचार नहीं होता, लेकिन किसी मुसलमान को भी एक सीट ज़रूर मिलनी चाहिए थी. मुसलमान एक सच्चे रहनुमा की तलाश में हैं, मुझे लगता है सपा में रहते हुए मैं मुसलमान की हालत में बहुत परिवर्तन नहीं ला सकता।

अखिलेश अपने PDA नीति में ही घिरते हुए नजर आ रहे है
सलीम शेरवानी ने आरोप लगाया है कि जिस तरह से अपने पीडीए का नाम लिया लेकिन राज्यसभा में उम्मीदवारों की लिस्ट को देखकर लगता है कि आप खुद ही पीडीए को कोई महत्व नहीं देते। उधर विधायक इंद्रजीत सरोज सहित सपा के 8 से 10 विधायक BJP के संपर्क में बताए जा रहे हैं. सपा और अपना दल कमेरावादी गठबंधन विधायक पल्लवी पटेल और स्वामी मौर्य प्रसाद के खास और तिंदवारी से पूर्व विधायक बृजेश प्रजापति ने भी मोर्चा खोल दिया है. सपा और अपना दल कमेरावादी गठबंधन विधायक पल्लवी पटेल ने ऐलान कर दिया हैं कि वो सपा को राज्यसभा चुनाव में वोट नहीं देंगी. उन्होंने आरोप लगाया है कि प्रत्याशी तय करने में पीडीए का ख्याल नहीं रखा गया है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पीडीए यानी पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यकों को लेकर आवाज मुखर करने वाले अखिलेश यादव अपने ही गठबंधन के भीतर घिरते नजर आ रहे हैं. गठबंधन के सहयोगियों को लेकर उनका अड़ियल रुख भारी पड़ रहा है. अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी के पाला बदलकर एनडीए में जाने के संकेतों के बीच उन्हें रोकने या उनसे संपर्क साधने की कोई कोशिश नहीं की. पल्लवी पटेल या स्वामी प्रसाद मौर्य के मामले में भी उनका कोई हस्तक्षेप नहीं दिखा. स्वामी प्रसाद मौर्य के मामले में सपा कोई स्टैंड नहीं ले पाई. सपा न स्वामी को रामचरित मानस, राम मंदिर या हिन्दू विरोधी बयानों को लेकर कोई लगाम लगा पाई और न ही स्वामी प्रसाद को मानसिक विक्षिप्त बताने वाले पार्टी विधायक मनोज पांडेय को रोक पाई।