देहरादून। कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपनी ही सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए अपना इस्तीफा दिया है. रावत के मुताबिक राज्य सरकार कोटद्वार में (स्वीकृत करने को लेकर) मेडिकल कॉलेज को लटका रही है, ऐसे में वे अब काम नहीं कर सकते हैं।
मिली जानकारी के अनुसार लंबे समय से हरक सिंह रावत कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज की मांग कर रहे थे. उन्होंने कई बार राज्य सरकार के सामने ये मुद्दा उठाया था. लेकिन उनकी इस मांग को पूरी नहीं किया गया, ऐसे में उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला लिया. खबर ये भी है कि हरक सिंह रावत अब चुनावी मौसम में कांग्रेस का दरवाजा खटखटा सकते हैं. हालांकि,अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन कयास लगने शुरू हो गए हैं।
हरक सिंह रावत ने अपने एक बयान में कहा है कि 5 साल से मेडिकल कॉलेज अपने क्षेत्र के लिए मांग रहा था, लेकिन इन लोगों (BJP) ने मुझे भिखारी जैसा बना दिया. बता दें कि हरक सिंह रावत कैबिनेट बैठक को बीच में छोड़कर निकल गए और वे इतने ज्यादा गुस्से में थे कि उनकी आंखे नम हो गई और वे रोने भी लगे. उनके मुताबिक उनकी अपनी सरकार ने उनकी इस मांग को नजरअंदाज किया।
बता दें कि जब हरक सिंह रावत ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया तो उसी दौरान वे देहरादून में कैबिनेट की बैठक में मौजूद थे. ऐसे में बैठक छोड़कर वे बाहर निकल गए. हरक सिंह रावत के पास उत्तराखंड में वन एवं पर्यावरण, लेबर और स्किल डेवलपमेंट मंत्रालय है. हरक सिंह रावत के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चा होती रही है. हालांकि रावत लगातार इनकार करते रहे हैं. इस बीच उन्होंने देर रात मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
3 बार कैबिनेट मंत्री रहे हरक सिंह रावत ने 1989 में बीजेपी के साथ अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था, लेकिन बाद में वह बहुजन समाज पार्टी और फिर कांग्रेस में शामिल हो गए थे. रावत साल 2016 में फिर से बीजेपी में शामिल हो गए थे। हालांकि, सूत्र यह भी बता रहे हैं कि भाजपा हाईकमान राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के माध्यम से हरक सिंह रावत से संपर्क साधने का लगातार प्रयास कर रहा है। क्योंकि चुनाव के समय में भाजपा हरक सिंह रावत जैसे कद्दावर नेता को खोना नहीं चाहती। बहुत संभव है कि चुनाव के मुहाने पर खड़ी भाजपा हरक सिंह रावत की मांग को मान कर उनकी नाराजगी को दूर कर दे और इस मामले का पटाक्षेप यहीं हो जाये।