देहरादून। सामाजिक सरोकारों से जुड़ी संस्था “जागरुक बनो आवाज़ उठाओ” ने उत्तराखंड पावर कार्पोरेशन की बिजली दरों में बढ़ोतरी वाली पुनर्विचार याचिका को औचित्यहीन बताते हुए कड़ा विरोध किया है। इस प्रस्तावित मूल्य वृद्धि को अनुचित बताते हुए संस्था के संयोजक यशवीर आर्य ने बिजली नियामक आयोग के कार्यकारी अध्यक्ष के नाम एक पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने कहा है कि पिछले साल ही 2024 के लिए बिजली दरों में बढ़ोतरी कर दी गई थी तो अब फिर से इसका कोई औचित्य नहीं है। मूल्य वृद्धि करने के बजाए आयोग को अपने खर्चों में कटौती करनी चाहिए।
पत्र 👇
सेवा में
कार्यकारी अध्यक्ष,
बिजली नियामक आयोग,उत्तराखंड
देहरादून
महोदय
विषय: उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन की पुनर्विचार याचिका औचित्यहीन
मीडिया के माध्यम से ज्ञात हुआ कि उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन ने बिजली दरों के पुनः बढ़ाने के लिए आपको पुनर्विचार याचिका भेजी है जिसका किसी भी दृष्टिकोण से कोई औचित्य नही।
जब मार्च 2023 मे ही ,2024-25 के लिए बिजली दरों मे 6.92% की बढ़ोतरी कर ही गई थी,उस दर्द से उपभोक्ता अभी उबरा भी नही कि अगले 6 माह के लिए 8.97% बढ़ोतरी का नया प्रस्ताव भेजकर एक भद्दा मजाक ही किया है जिसे उपभोक्ता सहन नही करेगा। जनता किस किस की महगाई की मार सहती रहेगी।
वास्तविकता तो यह है कि ऊर्जा निगम अपने अपव्यय पर नियंत्रण नही लगाता जिसका बोझ उपभोक्ता पर जल्दी जल्दी बिजली दरों मे बढ़ोतरी करके डालता है जो निंदनीय है।इस ऊर्जा प्रदेश मे यह हाल तो अन्य स्थानों पर क्या होगा। इस मुद्दे पर जनसुनवाई औचित्यहीन
हमारा आपसे अनुरोध है कि निगम की पुनर्विचार याचिका बिना सुनवाई के ही रद्द करके आयोग और जनता का समय बचाया जाए।
वर्तमान वित्त वर्ष के बाद जब दरों का निर्धारण हो वह तीन वर्ष के लिए हो, उसमे प्रति यूनिट दरों के अतिरिक्त कोई भी अन्य भार न हो क्योंकि हर वस्तु/सेवा का मूल्य सब तरह के कर सहित होता है।
यश वीर आर्य
संयोजक
जागरूक बनो आवाज उठाओ