देहरादून : भ्रष्टाचार मुक्त सरकार का नारा देने वाली भाजपा के नेता जमकर कर रहे भ्रष्टाचार : शर्मा
देहरादून। महानगर कांग्रेस अध्यक्ष लाल चंद शर्मा नें प्रदेश में विभिन्न भर्तीयों में हो रहे घोटालों पर एक बयान जारी करते हुए कहा कि राज्य की जनता ने बहुत आशा और विश्वास के साथ भाजपा को भारी बहुमत के साथ डबल इंजन का तोहफा दिया था परंतु भ्रष्टाचार मुक्त सरकार का दावा करने वाली उत्तराखंड की डबल इंजन सरकार भ्रष्टाचार रोकने में पूरी तरह से विफल साबित हुई है। राज्य सरकार द्वारा नौजवानों को रोजगार मुहैया कराना तो दूर जिन सरकारी पदों पर अभी तक भर्तियां की भी गई है उनमें भारी भ्रष्टाचार एवं भाई भतीजावाद को अंजाम दिया गया है।
उन्होनें कहा कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से वीपीडीओ एवं अन्य पदों के लिए हुई भर्ती परीक्षा में 15- 15 लाख रुपए लेकर पेपर लीक कर नौकरियां बेचने का मामला राज्य के सरकारी विभागों की भर्तियों में भारी भ्रष्टाचार का जीता जागता प्रमाण है। भाजपा नेताओं के संरक्षण में हुए अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेपर लीक मामले में लगातार हो रही गिरफ्तारियों से साबित हो गया है कि भाजपा सरकार के साडे 5 वर्ष के कार्यकाल में राज्य में भ्रष्टाचार किस हद तक फलता फूलता रहा है।
उन्होने कहा कि राज्य के सहकारिता विभाग में विभिन्न पदों पर हुई भर्तियों में भ्रष्टाचार एवं अनियमित्ता तथा भाई भतीजावाद की पहले ही पोल खुल चुकी है। सहकारी बैंकों में 61 पदों पर हुई भर्तियों में बैंक अध्यक्ष ,सचिव तथा अधिकारियों पर मिलीभगत कर अपने रिश्तेदारों चहेतो को रेवड़ी बांटने के आरोपों से ऐसा प्रतीत होता है कि सहकारिता विभाग में भर्ती घोटाले को राज्य सरकार की छत्रछाया में अंजाम दिया गया है।
उन्होनें कहा की स्वयं भाजपा सरकार में तत्कालीन राज्यमंत्री यतीश्वरानंद व ज्वालापुर से भाजपा विधायक सुरेश राठौर ने तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को पत्र लिख कर अवगत कराया था कि सहकारिता बैंक भर्ती के नाम पर करोड़ों वसूले जा रहे हैं। उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग में स्नातक परीक्षा में हुए घोटाले तथा सहकारिता विभाग की भर्तियों में हुए घोटालों के खुलासे तथा सचिवालय रक्षक के 33 पदों तथा न्यायिक कनिष्ठ सहायक के 288 पदों पर हुई भर्ती की जांच के आदेशों से स्पष्ट हो गया है कि इससे पूर्व फॉरेस्ट गार्ड भर्ती ,ग्राम पंचायत सचिव, ग्राम विकास अधिकारी, एलटी भर्ती सहित कई विभागों की लिपिकीय व चालकों की भर्ती में भी भारी घोटाला हुआ है तथा यह सभी भर्तियां संदेह के घेरे में है।
उन्होंने कहा कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग परीक्षा में हुए घोटाले के खुलासे के बाद सबसे पहले जिस व्यक्ति की गिरफ्तारी हुई है उसी कंपनी से जुड़ा है जिस कंपनी द्वारा इसी वर्ष विधानसभा चुनावों से पहले विधानसभा सचिवालय के लिए सीधी भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी ।वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष द्वारा विधानसभा सचिवालय के लिए हुई सीधी भर्ती के परीक्षा परिणाम पर रोक लगाना भर्ती घोटाले की ओर इशारा करता है। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भर्ती घोटाले में अब तक जितने भी घोटालेबाज पुलिस की गिरफ्त में आए हैं सिर्फ मोहरे मात्र हैं। लगभग 29 गिरफ्तारियां हुई हैं राज्य में हुए सभी भर्ती घोटालों की उच्च स्तरीय जांच से ही असली घोटाले बाजों तक पहुंचा जा सकता है जो कि राज्य हित में अत्यंत आवश्यक है।
कांग्रेस पार्टी लगातार मांग करती आ रही है कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, सहकारिता विभाग ,शिक्षा विभाग सहित अन्य विभागों में हुए घोटालों की उच्च स्तरीय जांच कराई जानी चाहिए जिससे इन घोटालों में सत्ता प्रतिष्ठान, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, सचिवालय, विधानसभा में बैठे बड़े-बड़े चेहरे बेनकाब हो सकेंगे।
उन्होनें यह भी कहा की सचिवालय रक्षक भर्ती में लखनऊ की जिस कंपनी का कर्मचारी पकड़ा गया है, उसके मालिक राजेश चौहान ने अकूत संपत्ति अर्जित की है इस कंपनी का वार्षिक टर्नओवर 111 करोड़ रुपये के आसपास है। उसकी आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन कंपनी के साथ आरएमएस टेक्नोटच सॉल्यूशन कंपनी भी काम कर रही है। सचिवालय रक्षक भर्ती का पेपर उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के प्रिंटिंग प्रेस से चोरी हो गया और अफसरों को भनक तक नहीं लगी। आयोग में पेपर छापने जैसे संवेदनशील काम के दौरान वहां चेकिंग या निगरानी क्यों नहीं की गई, जो निजी कंपनी का कर्मचारी पेन ड्राइव में पेपर ले गया।’ यहां तक कि आयोग की प्रेस में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी क्या कभी देखी नहीं गई?’ जिससे इस करतूत का पता चल सकता। निजी कंपनी के कर्मचारी और उसकी टीम के पास ’पेपर सेट करने या छापने के दौरान आयोग के कोई जिम्मेदार अफसर या कर्मचारी नहीं थे?’ जो आरोपी ने पेपर चोरी की हिमाकत कर डाली।