उत्तराखंड में एक बार फिर भूकम्प के तेज झटके महसूस किए गए। कई जिलों में आज सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस होने से लोग दहशत में आ गए।
देहरादून। उत्तराखंड में एक बार फिर भूकम्प के तेज झटके महसूस किए गए। कई जिलों में आज सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस होने से लोग दहशत में आ गए और अपने घरों से बाहर निकल आए। लोगों का कहना है कि झटके काफी तेज थे।
जानकारी के अनुसार, शनिवार सुबह करीब 6 बजे प्रदेश के चमोली, पौड़ी, अल्मोड़ा आदि जिलों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) की रिपोर्ट के अनुसार भूकंप का केंद्र चमोली का जोशीमठ क्षेत्र बताया जा रहा है। भूकंप के झटके पौड़ी गढ़वाल सहित कई इलाकों में महसूस किए गए। भूकंप 5 किमी की उथली गहराई पर स्थित था। सतह के करीब होने के कारण उथले भूकंपों को गहरे भूकंपों की तुलना में अधिक मजबूती से महसूस किया जाता है। साथ ही इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.7 मैग्नीट्यूड रही। हालांकि अभी भूकंप से नुकसान की कोई सूचना नहीं है।
बता दें कि भूकंप के लिहाज से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील प्रदेश है। सालभर के अंदर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। राहत की बात यह रही कि इनसे किसी भी प्रकार के नुकसान की कोई खबर सामने नहीं आई।
क्यों आता है भूकंप?
पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है। इनके अलावा भी भूकंप अन्य कई कारण होते हैं। जैसे ज्वालामुखी का विस्फोट, भूमि असंतुलन, जलीय भार, पृथ्वी का सिकुड़ना, प्रत्यास्थ प्रतिक्षेप सिद्धांत, प्लेट विवर्तनिकी का सिद्धांत उल्कापात, पृथ्वी के घूर्णन या परिभ्रमण के अन्तर्गत अन्य आकाशीय पिण्डों का पृथ्वी पर प्रभाव, भूपटल के नीचे गैसों के प्रसार, कई मानव जनित कारण जैसे खनन क्रिया जिसमें जीवाश्म ईंधन एवं अन्य खनन, भूमिगत जल का निष्कर्षण, बांधों का निर्माण, परमाणु विस्फोट एवं भूमिगत परमाणु परीक्षण आदि।
भूकम्प आने पर क्या करें, और क्या न करें
1-भूकम्प आने पर फौरन घर, स्कूल या दफ्तर से निकलकर खुले स्थान या मैदान में जायें।
2-बडी बिल्डिंग, पेडों, बिजली के खम्बों आदि से दूर रहें।
3- कई फंस गये हो तो दौडे नही। इससे भूकम्प का ज्यादा असर होगा।
4- भूकम्प आने पर खिडकी अलमारी, फंखे एंव उपर रखे भारी सामान से दूर हट जायें। ताकि इनके गिरने और शीशे टूटने से चोट न लगें।
5- अगर आप बाहर नही निकल पाते तो टेबल, बेड, डेस्क जैसे मजबूत फर्नीचर के नीचे घुस जाएं, और उसके पाया को कसकर पकड लें, ताकि झटको से वह खिसके नही।
6- कोई मजबूत चीज न हो तो किसी मजबूत दीवार से सटकर शरीर के नाजुक हिस्से जैसे सिर, हाथ आदि को मोटी किताब या किसी मजबूत चीज से ढककर घुटनों के बल टेक लगाकर बैठ जाएं।
7-खुलते बन्द होते दरवाजे के पास खडे न हो वरना चोट लग सकती है।
8-गाडी में हैं तो बिल्डिंग, होर्डिंग्स, खम्बों, फ्लाई-ओवर, पुल आदि से दूर सडक के किनारे या खुले में गाडी रोक लें, और भूकम्प रूकने तक इंतजार करें।
9- बाहर जाने के लिए लिफ्ट की बजाय सीडिंयों का इस्तेमाल करें।
10-भूकम्प के सम्बन्ध में किसी प्रकार की अफवाहों से बचें।