देहरादून। राजधानी देहरादून में जमीन फर्जीवाडे के तमाम मामले सामने आ रहे हैं जिनमें अलग-अलग तरीके से भूमाफियाओं ने गरीब लोगों की खून पसीने की कमाई को ठगने के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के हथकंडे अपनाए हैं। फर्जीवाडे दो मामले और सामने आए हैं। पहले मामले में प्रापर्टी डीलरों ने जमीनों की रजिस्ट्रियां कर आरकेडिया ग्रांट में दूसरी जमीनों पर कब्जा दिलवा दिया। धोखाधड़ी के शिकार हुए लोग जब कब्जा लेने गए तो पता चला कि वह प्लाट पूर्व में अधिग्रहण किए जा चुके हैं। इस मामले में पटेलनगर कोतवाली पुलिस ने भाजपा के पूर्व नामित पार्षद समेत छह आरोपियो के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। उक्त पार्षद जी निवर्तमान मेयर के काफी करीबी माने जाते हैं।
पटेलनगर कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक केके लुंठी ने बताया कि 10 पीड़ित लोगों की ओर से नंदा देवी की तरफ से तहरीर दी गई है। आरोप है कि भाजपा नेता नगर निगम के पूर्व नामित पार्षद विजेंद्र सिंह रावत निवासी बड़ोवाला शिमला बाईपास रोड, लाखन सिंह निवासी वार्ड नंबर- एक वंशीपुर एटनबाग हरबर्टपुर, आकाश रावत निवासी विजय पार्क, तिलक प्रधान निवासी सेवली बड़ोवाला, राजेंद्र प्रसाद निवासी जोशीमठ चमोली और कासिम निवासी भुड्डी पटेलनगर ने एबीएस एसोसिएट प्रापर्टी डीलिंग कंपनी के जरिये प्लाट बेचे।
शिकायतकर्ता ने बताया जिन खसरा नंबरों की रजिस्ट्रियां की गई, उनके बजाय पास की नदी श्रेणी की जमीन पर कब्जे दिए गए। जबकि हाल में यह जमीन नेशनल हाईवे प्राधिकरण के अधिग्रहण में आ चुकी है। पीड़ितों को जमीन खाली करने को कहा गया। उन्होंने मुआवजे के लिए आवेदन किया तो तब पता लगा कि वह जिन जमीनों की रजिस्ट्रियां लेकर आवेदन कर रहे हैं, उनके खसरे एनएच मुआवजा नियमावली में शामिल नहीं हैं। तब साफ हुआ कि आरोपितों ने कब्जे देने में फर्जीवाड़ा किया। प्रभारी निरीक्षक पटेलनगर केके लुंठी ने बताया कि आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है।
दूसरे मामले में भूमाफिया ने जिलाधिकारी कार्यालय स्थित रिकार्ड रूम के कुछ कर्मचारियों के साथ मिलीभगत करके दिल्ली के एक व्यक्ति की झाझरा स्थित जमीन बेच दी। इस मामले में कोर्ट के आदेश पर शहर कोतवाली पुलिस ने दो आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया है। जिलाधिकारी कार्यालय स्थित रिकार्ड रूम में अज्ञात कर्मचारियों को भी केस में आरोपित बनाया गया है। दिल्ली निवासी सतीश कुमार ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया है कि उन्होंने 29 अगस्त 2001 को झाझरा में एक एकड़ जमीन खरीदी थी। भूमि का विक्रय पत्र सब रजिस्ट्रार कार्यालय देहरादून में पंजीकृत किया गया था। बाद में उन्हें पता चला कि उसी जमीन को किशोर कुमार निवासी फतेहपुर देहरादून और राजीव शर्मा निवासी धर्मपुर देहरादून ने फर्जी पावर आफ अटानी के जरिए बेची। अटानीं का पंजीकरण 28 जनवरी 2002 को दर्ज दिखाया गया। सतीश कुमार का दावा है कि रजिस्ट्रार कार्यालय के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से यह फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए। सतीश कुमार ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने इस धोखाधड़ी के बारे में बीते 12 अगस्त को शहर कोतवाली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की।