शपथग्रहण के बाद नीतीश कुमार अपनी कैबिनेट में अपनी एक नियुक्ति को लेकर आलोचनाओं से घिर गए थे. नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार के आरोप झेल चुके नेता मेवालाल चौधरी को अपना शिक्षा मंत्री चुना था. लेकिन उन्हीं मेवालाल ने पद की शपथ लेने के तीन दिनों के भीतर ही अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया है।
बता दें कि मेवालाल चौधरी को शिक्षामंत्री बनाए जाते ही नीतीश कुमार की नई सरकार पर सवाल उठने लगे थे. तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनता दल ने इसे लेकर खूब बवाल मचाया था. दरअसल, मसला यह भी था कि मेवालाल पर भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय का कुलपति रहते हुए सहायक प्रोफेसर और कनिष्ठ वैज्ञानिक के पदों पर नियुक्तियों में हुए भ्रष्टाचार और अनियमितताओं से जुड़े आरोप लगे हैं. ऐसे में ऐसे नेता को ही शिक्षामंत्री बनाए जाने के फैसले ने नीतीश कुमार की और ज्यादा भद्द पिटवा दी।
यहां तक कि चौधरी को 2017 में जेडीयू से निलंबित कर दिया गया था, लेकिन बाद में फिर से शामिल कर लिया गया. दिलचस्प बात यह है कि उस समय बीजेपी ने विपक्ष में रहते हुए चौधरी की गिरफ्तारी की मांग की थी. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उस वक्त बिहार राज्यपाल हुआ करते थे. उन्होंने मेवालाल चौधरी के खिलाफ आपराधिक मामला दायर करने की मंजूरी दी थी. वैसे अभी तक मेवालाल के खिलाफ चार्जशीट दर्ज नहीं की गई है।