मंजूर नहीं अध्यादेश, मलिन बस्तियों को तुरन्त मालिकाना हक दे सरकार: कांग्रेस

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देहरादून। राज्य सरकार द्वारा मलिन बस्तियों के मामले मे तीन साल के लिए अध्यादेश लाये जाने के मंत्रिमंडल में लिये गये निर्णय पर पूर्व महानगर कांग्रेस अध्यक्ष लालचन्द शर्मा एवं पूर्व विधायक राजकुमार ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि सरकार द्वारा प्रदेश की मलिन बस्तियों को तीन साल तक न हटाये जाने के लिए जो अध्यादेश लाया गया है यह पूरी तरह से जनता और बस्तीवासियों को गुमराह करने वाला है।


पूर्व महानगर अध्यक्ष लालचन्द शर्मा ने कहा कि इससे पहले भी भाजपा सरकारें दो बार मलिन बस्तियों के लिए अध्यादेश ला चुकी हैं परन्तु मलिन बस्तियों का नियमितीकरण नहीं कर पा रही हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में जितनी भी मलिन बस्तियां हैं वे वर्षों पूर्व बसी हुई हैं तथा यहां पर लोगों को बिजली, पानी के कनेक्शन के साथ ही नगर निगम द्वारा टैक्स भी वसूला जाता है तथा विधायक निधि एवं अन्य मदों से इन मलिन बस्तियों में सड़के आदि निर्माण कार्य भी कराये गये हैं। अब इन मलिन बस्तियों को बार-बार अध्यादेश लाकर राज्य सरकार क्या साबित करना चाहती है। कांग्रेस मलिन बस्तियों में निवास करने वाले लोगों के साथ खड़ी है और सरकार से मांग करती है कि ग़रीब लोगों की भावनाओं से खेलने के बजाए मालिकाना हक देने की प्रक्रिया तुरन्त शुरू करे।


पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा राज्य की मलिन बस्तियों के नियमितीकरण का मंत्रिमंडल में प्रस्ताव पारित किया गया था, परन्तु भाजपा सरकार ने सत्तारूढ होते ही इसे ठंडे बस्ते मे डाल दिया। उन्होंने कहा कि जनता की लम्बे समय से चली आ रही मांग के बावजूद इन मलिन बस्तियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया प्रारम्भ नहीं हो पाई है और अब भाजपा सरकार बस्तीवासियों को गुमराह करने के लिए अध्यादेश का सहारा ले रही है। कांग्रेस नेताओं ने मांग की है कि अध्यादेश के बदले राज्य सरकार तत्काल मलिन बस्तियों के नियमितीकरण का कार्य प्रारम्भ करे तथा मलिन बस्तीवासियों को मालिकाना हक प्रदान करे।