मतदान दिवस की पूर्व संध्या और यही रात प्रत्याशियों पर भारी

95

अस्तित्व टाइम्स

देहरादून। यही रात अंतिम, यही रात भारी। उक्त लाइन चुनाव की अंतिम घड़ी में बिल्कुल सटीक बैठ रही है। भाजपा-कांग्रेस से लेकर हर दल के प्रत्याशी की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। यह दौर न केवल उनके लिए निर्णायक होता है, बल्कि वोटरों के सोचने का समय होता है कि वे किसे अपना प्रतिनिधि चुनेंगे। चुनाव की एक रात पहले ऊंट किस करवट बैठेगा अब इस पर सभी की नजरें लगी हुई है।

चुनावी प्रक्रिया के अंतिम चरण में हर गली, मोहल्ले और चौराहे पर राजनीतिक सरगर्मियां चरम पर हैं। प्रत्याशियों ने हर घर तक पहुंचने और लोगों को अपने पक्ष में करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। प्रत्याशियों के आगे सबसे बड़ी चुनौती अपने वोटरों को साधने की है। जरा सी लापरवाही पूरा खेल बिगाड़ सकती है। इसी लिए भाजपा-कांग्रेस के साथ ही अन्य प्रत्याशियों के चुनावी मैनेजर पूरी तरह चौकन्ने हैं। खासतौर पर सभी की नजर शहर की बस्तियों पर है जहां पर अंतिम समय में खेल होता है। साम, दाम, दंड, भेद समेत हर हथकंडा चुनावी मैनेजरों की नजर में जायज है।

जानकारी के अनुसार प्रत्याशियों ने तकरीबन हर बस्ती की जिम्मेदारी अपने चुनिंदा नेताओं को सौंपी है जहां उनकी ठीक-ठाक पकड़ है। प्रत्याशियों के समर्थकों ने भी बस्तियों में डेरा भी डाल दिया है। इनके सामने अपने वोट बैंक को बचाने एवं विपक्षी के बाड़े में सेंध लगाने की चुनौती है। वोटरो को घरों से निकालकर बूथों तक लाकर अपने पक्ष में मतदान की जिम्मेदारी भी किसी चुनौती से कम नहीं है। भाजपा बूथ जीता चुनाव जीता मंत्र पर अपनी रणनीति को अंजाम दे रही है। भाजपा ने अपने विधायकों व पार्टी पदाधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्र में डेरा डालकर वोटरों को साधने की जिम्मेदारी दी है। वहीं, कांग्रेस सरकार के 15 साल को मुद्दा बनाकर बदलाव की आस लगाए बैठी है। भाजपा, कांग्रेस, आप समेत हर दल और निर्दलीय प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत-जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन अंदर खाने अप्रत्याशित परिणाम से सहमे भी हैं। इसीलिए कोई रिस्क नहीं उठाना नहीं चाहते हैं। अब देखना है कि नगर निगम में भाजपा की सरकार बनी रहती है या फिर 15 साल बदलाव देखने को मिलेगा।