देहरादून। राजधानी देहरादून के कई इलाकों में झोलाछाप डॉक्टर मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। राजधानी में डेंगू के अपने चरम पर होने के चलते प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव समेत पूरा महकमा डेंगू पर नियंत्रण पाने में दिनरात एक किये हुए है। इस कारण भी यहां फर्जी क्लीनिक चलाने वाले लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
शहर के साई मन्दिर राजपुर, गांधीग्राम, चुक्खूमोहल्ला, रायपुर, नेशविला रोड़, माजरा, मेहुवाला, भगत सिंह कॉलोनी, सुमन नगर रोड़ समेत कई इलाकों में झोलाछाप डॉक्टर जगह-जगह इलाज कर रहे हैं।
आईटी पार्क स्थित राजेश्वर नगर फेस-1, के बाहर मेन रोड पर भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड में रजिस्टर्ड होने और वहां तैनात बाबू को जिगरी दोस्त बताने वाला ऐसा ही एक झोलाछाप Dr Roy पूरे परिवार समेत डाक्टर बना बैठा है। परिषद में पहुंच होने के चलते झोलाछाप डॉक्टर खुलेआम 58 फीट की एक छोटी सी दूकान में बोर्ड लगाकर पूरा अस्पताल चला रहा है। इस 58 फीट के अस्पताल में ईसीजी से लेकर ब्लड टैस्ट, यूरीन टैस्ट करने तक की सुविधा उक्त झोलाछाप डाक्टर द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है। हैरानी वाली बात यह थी कि मरीजों को बेंच पर बैठाकर ग्लूकोज चढ़ाया जा रहा था। जब एक मीडियाकर्मी किसी को मरीज़ बनाकर वहां पहुंचे तो मीडिया कर्मियों से झोलाछाप डॉक्टर अपूर्व राय, उसका भाई और पिता खुद को भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड में पंजीकृत बताते हुए पत्रकारों पर अपनी धौंस जमाने लगे। छोलाछाप डॉक्टर का कहना है कि जो आपसे करते बने कर लो मेरी पहुंच ऊपर (भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड) तक है।
आईटी पार्क स्थित राजेश्वर नगर फेस-1के बाहर मुख्य मार्ग पर ही Dr. Roy का बोर्ड लगा हुआ है। बोर्ड के मुताबिक़ Dr Roy भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड से मान्यता प्राप्त है। यह वही भारतीय चिकित्सा परिषद है जिसमें रजिस्ट्रेशन के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है। परिषद में पंजीकृत कई फर्जी डाक्टरो को जेल भेजा जा चुका है। इसके साथ ही परिषद के कई कर्मचारियों पर भी गाज गिर चुकी है।
प्रदेश के स्वास्थ्य महानिदेशालय से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर संचालित इस फर्जी क्लीनिक में स्थानीय लोगों की भीड़ लगी हुई थी। Dr Roy नाम का व्यक्ति खुद को मरीजों के बीच डॉक्टर बताता है। वहां 1 फीट चौड़ाई वाली चार बैंच भी लगाए गए हैं। मरीजों को ड्रिप लगाने के साथ-साथ चीर फाड़ और टांका लगाने का काम भी खुलेआम किया जाता है। फर्जी क्लीनिक में भारी मात्रा में एलोपैथिक दवाइयों का भी अवैध भंडारण है।
भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड से मान्यता प्राप्त होने का बोर्ड लगाकर फर्जी क्लीनिक चलाने वाले Dr Roy का कहना है कि चिकित्सा परिषद के अधिकारियों को हमारी क्लीनिक के बारे में सब कुछ पता है। जब वो इधर आते हैं तो वो खुद सब देखते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि डॉक्टर साहब द्वारा सस्ते में इलाज कर दिया जाता है इसलिए हम लोग यहां इलाज करवाते आ रहे हैं। हालांकि वह यह नहीं समझ पाए की चंद पैसों के लालच में यह झोलाछाप डॉक्टर उनकी जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। उम्मीद है कि जिले के डीएम रहते जिले की व्यवस्थाओं को सुधारने एवं अब स्वास्थ्य सचिव बनने के बाद लगातार मेहनत कर रहे कर्मठ एवं ईमानदार छवि के स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार इस तरह के झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा मरीजों की जान से खिलवाड़ करने के मामलों का संज्ञान लेकर कार्रवाई के लिए निर्देश जारी कर सकते हैं।