महिलाओं को टिकट देने में राजनीतिक दलों ने जमकर की कंजूसी

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पहले चरण के लिए सबसे ज्यादा महिला उम्मीदवार मिजोरम में हैं। यहां कुल उम्मीदवारों में महिलाओं का प्रतिशत 16 है। वहीं छह राज्य छत्तीसगढ़, जम्मू कश्मीर लक्षद्वीप, मणिपुर और त्रिपुरा में कोई भी महिला उम्मीदवार नहीं हैं। एक तरफ जहां हर राजनीतिक दलों को महिलाओं के समर्थन की दरकार है तो वहीं टिकट देने में कंजूसी इस बात का संकेत है कि राजनीतिक दल अभी भी पुरुष प्रधान मानसिकता से उबर नहीं पा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक इसके पीछे कारण बताते हैं कि महिलाओं की तुलना में पुरुयों के जीतने की संभावनाएं ज्यादा रहती हैं। यह बात साबित भी हो चुकी है जब उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महासचिव प्रियंका भांधी ने पहली बार 33 प्रतिशत से ज्यादा महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा और मजे की बात यह रही कि इनमें से ज्यादातर उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।

महिला वोटरों को रिझाने के लिए मोदी सरकार ने बड़े जोर शोर से संसद से महिला आरक्षण बिल को पास कराया। उस समय इसका क्रेडिट लेने की भाजपा व कांग्रेस में होड़ मच गई। हालांकि यह दीगर बात है कि यह कानून परिसीमन के बाद ही लागू हो पाएगा। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में संसद के अंदर महिला सासंदों की संख्या बढ़ी है लेकिन अभी भी टिकट पाने के मामाले में वह पुरुषों से बहुत पीछे हैं। यहां गौरतलब यह भी है कि टकट देने के मामलें अनुपात के हिसाब से देखा जाए तो ममता बनर्जी और नेताओं से आगे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने 41 प्रतिशत टिकट महिला उम्मीदवारों को दिए थे।