मूसेवाला की हत्या के बाद दहशत के मारे गाड़ियां बुलेटप्रूफ करवाने लगे कलाकार नेता, उद्योगपति,जाने कितना आता है खर्च?

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नई दिल्ली। पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद से कलाकार दहशत में आ गए हैं। पंजाबी व भोजपुरी कलाकारों के अलावा विभिन्न राज्यों के नेताओं व उद्योगपति अपने वाहनों को बुलेटप्रूफ करवाने लगे हैं। इसके लिए वे संबंधित कंपनियों से संपर्क साध रहे हैं।

पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद पंजाबी फिल्म उद्योग (पालीवुड) से लेकर भोजपुरी फिल्म उद्योग (बिरहावुड) तक के कलाकारों में दहशत है। इसका कारण यह है कि पंजाब के गैंगस्टर अब पंजाब, उत्तर प्रदेश व बिहार से लेकर राजस्थान, हरियाणा व दिल्ली तक में अपना जाल फैला चुके हैं।
मूसेवाला की हत्या के बाद चार दिनों में ही 142 लोगों ने अपनी गाड़ियों को बुलेट प्रूफ करवाने की कवायद शुरू कर दी है। इनमें ज्यादातर कलाकार व नेता शामिल हैं। इसके लिए इन्होंने कंपनी से संपर्क साधा है।
संपर्क करने वालो में पंजाबी व भोजपुरी कलाकारों के अलावा पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा व उत्तर प्रदेश से कई नेता व उद्योगपति भी शामिल हैं। इनमें 19 लोग उत्तर प्रदेश, 30 लोग हरियाणा, 37 लोग राजस्थान, 13 लोग मुंबई व पुणे, 24 लोग दिल्ली एनसीआर तथा बाकी पंजाब से संबंधित हैं।

उल्लेखनीय है कि मूसेवाला ने लारेंस बिश्नोई गैंग के अलावा दो और गैंगों से धमकी मिलने के बाद एक साल पहले अपनी फार्च्यूनर बुलेट प्रूफ करवाई थी। फार्च्यूनर को बुलेट प्रूफ करवाने के लिए मूसेवाला कंपनी में खुद एक सप्ताह तक आते रहे थे।

मूसेवाला की एक ही शर्त थी कि एके-47 की गोलियां भी कार के अंदर न प्रवेश करने पाएं। कार के सभी शीशे व दरवाजों तथा पेट्रोल टैंक को उन्होंने बुलेट प्रूफ करवाया था।

उधर, इस कंपनी ने सुरक्षा व कानूनी कारणों के चलते यह जानकारी देने से इन्कार किया कि किन लोगों ने अपनी गाड़ियों को बुलेट प्रूफ करवाने के लिए संपर्क किया है। उन्होंने इतना जरूर बताया कि काफी लोग संपर्क कर रहे हैं। फिलहाल, वह अभी किसी के आर्डर नहीं ले रहे हैं।

उत्तर प्रदेश व बिहार के बाहुबलियों की गाड़ियां भी पंजाब में होती हैं बुलेट प्रूफ

उत्तर प्रदेश व बिहार के बाहुबलियों की बुलेट प्रूफ गाड़ियां पंजाब में तैयार होती हैं। इनमें मुख्तार अंसारी जैसे नाम भी शामिल हैं। मुख्तार अंसारी के पास आधा दर्जन से ज्यादा बुलेट प्रूफ गाड़ियां हैं। पंजाब की बुलेट प्रूफ गाड़ियों के उद्योग व गैंगस्टरों का कनेक्शन 2003-04 में सामने आया था। उस समय उत्तर प्रदेश के जौनपुर के गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी को किसी ने बुलेट प्रूफ कार उपलब्ध करवा दी थी। सुरक्षा एजेंसियों ने इसकी जांच भी की थी।

पंजाब व मुंबई में तैयार होती हैं बुलेट प्रूफ गाड़ियां

देश में केवल पंजाब व मुंबई में चार कंपनियां ही गाड़ियों को बुलेट प्रूफ करती हैं। पंजाब में जालंधर व मोहाली में इसकी इंडस्ट्री है। जालंधर की लग्गर इंडस्ट्री उत्तर भारत में सबसे पहले 1989 में खुली थी। यह सरकारी व निजी गाड़ियों को बुलेट प्रूफ बनाती हैं। इसके बाद 2006 में मोहाली में जेसीबीएल नामक इंडस्ट्री खुली। मुंबई में टाटा मोटर्स के प्लांट में बुलेट प्रूफ गाड़ियां तैयार होती हैं। टाटा प्लांट में केवल सरकारी गाड़ियों को ही बुलेट प्रूफ बनाया जाता है। मुंबई की ही एक अन्य कंपनी शील्ड आर्मरिंग नामक कंपनी है, जो गाड़ियों को बुलेट प्रूफ बनाती है।

इतना खर्च आता है एक गाड़ी को बुलेट प्रूफ करवाने में

फ्रंट व बैक शीशे – 8 से 12 लाख

फ्रंट, बैक व दरवाजों के शीशे-12 से 17 लाख

सभी शीशे व पांचों दरवाजे-18 से 22 लाख

सभी शीशे, दरवाजे व रूफ टाप तथा बाटम-22 से 32 लाख

सभी शीशे, सभी दरवाजे, रूफ टाप,बाटम व पेट्रोल टैंक-35 से 40 लाख

फुल बुलेट प्रूफ गाड़ी-40 से 45 लाख

इन गाड़ियों को बुलेट प्रूफ करवाने के आ रहे हैं आर्डर

लग्गर इंडस्ट्री में सेना व अर्धसैनिक बलों तथा सरकारी वाहनों के अलावा निजी तौर पर ज्यादातर लोग एसयूवी (स्पो‌र्ट्स यूटीलिटी व्हीकल) को ही बुलेट प्रूफ करवाने के आर्डर दे रहे हैं। इनमें फार्च्यूनर, इनोवा, मांटेरियो, लैंड रोवर, वोल्वो, आडी,जगुआर, स्कार्पियो, बोलेरो, लैंड क्रूजर, टाटा सूमो, टाटा सफारी तथा मर्सिडीज व बीएमडब्ल्यू की विभिन्न एसयूवी शामिल हैं।

बढ़ जाता है गाड़ी का भार, कम हो जाती है एवरेज

अगर केवल फ्रंट, बैक व साइड शीशे बुलेट प्रूफ करवाते हैं तो करीब 300 किलो भार बढ़ जाता है। शीशों के साथ दरवाजे व पूरी गाड़ी बुलेट प्रूफ तैयार करवाते हैं तो 1000 किलो तक वजन बढ़ जाता है। इससे गाड़ी की एवरेज आधी रह जाती है, इसलिए हाईएंड गाड़ियों की ही बुलेट प्रूफिंग होती है।

जिला प्रशासन से लेनी होती है अनुमति

गाड़ी को बुलेट प्रूफ करवाने के लिए संबंधित जिले के डीसी या एसडीएम के पास पहले आवेदन करना होता है और अगर पुलिस कमिश्नरेट है तो पुलिस कमिश्नर के पास। वहां से आवेदन को क्लीनचिट मिलने के बाद इसकी सूचना राज्य के गृह विभाग को भेज दी जाती है। आवेदन की मंजूरी के बाद कंपनी संबंधित व्यक्ति के वाहन को बुलेट प्रूफ करके दे देती है। साथ ही, उसकी जानकारी संबंधित जिलों के प्रशासन को दे दी जाती है।