नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश समेत पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के चुनावी नतीजों का दिन करीब आ गया है। 10 मार्च को रिजल्ट आएंगे। पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में मतदान पूरे हो गए हैं। और यूपी में भी आज अंतिम चरण का मतदान संपन्न हो गया। यूपी पर सभी की खास निगाहे हैं जहां भाजपा अभी सत्ता में है। ऐसे ही उत्तराखंड और मणिपुर में भी भाजपा के सामने सत्ता बचाने की चुनौती है। आइए जानते हैं इन विधानसभा चुनाव और पांचों राज्यों की राजनीति से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य
यूपी, गोवा, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर राजनीति के रोचक तथ्य
उत्तर प्रदेश में कुल 403 विधानसभा सीटें हैं। यह चार अन्य राज्यों-गोवा, पंजाब, मणिपुर और उत्तराखंड की सीटों को भी मिलाकर भी अधिक हैं। उत्तर प्रदेश और पंजाब में पहला विधानसभा चुनाव 1952 में हुआ था। 1966 में पंजाब का पुनर्गठन हुआ था। गोवा में 1963, मणिपुर में 1967 और उत्तराखंड में 2002 में पहले विधानसभा चुनाव हुए थे।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाली उत्तर प्रदेश की पहली मुख्यमंत्री हैं। वहीं योगी आदित्यनाथ बसपा सुप्रीमो और अखिलेश यादव के बाद अपना कार्यकाल पूरा करने वाले यूपी के तीसरे मुख्यमंत्री बन गए हैं। मायावत भारत के किसी राज्य की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री भी हैं।
पंजाब में केवल दो बार किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। ऐसा पहली बार 1967 में और दूसरी बार 1969 में हुआ। इसके बाद से जितने भी चुनाव पंजाब में हुए हैं, उनमें जनता ने किसी एक दल या गठबंधन को पूर्ण बहुमत दिया है।
पंजाब शिरोमणि अकाली दल के प्रकाश सिंह बादल (94 वर्ष) सबसे उम्रदराज उम्मीदवार हैं। वे इस बार भी अपनी परंपरागत लांबी विधानसभा से मैदान में हैं। बादल 1947 में पहली बार सरपंच का चुनाव जीतकर राजनीति के मैदान में उतरे थे। उस समय उनकी 20 साल थी। 1957 में पहली बार पंजाब विधानसभा में पहुंचे। लांबी सीट से 1997 से वे लगातार 5 बार चुनाव जीत चुके हैं।
उत्तराखंड में 70 विधानसभा सीटें हैं। इसमें से गंगोत्री सीट से एक खास मिथक जुड़ा है। माना जाता है कि इस सीट से जिस पार्टी का प्रत्याशी जीतता है सरकार उसी पार्टी की बनती है। दिलचस्प ये भी है कि यह मिथक उत्तराखंड के गठन से पहले से बना हुआ है। इस बार आम आदमी पार्टी के सीएम चेहरा रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल भी इसी सीट से मैदान में हैं। इस वजह से भी गंगोत्री सीट पर सभी की निगाहे हैं। साल 2002 और 2012 में कांग्रेस की जीत गंगोत्री में हुई और राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी। ऐसे ही 2007 और 2017 में दोनों ही सीटों से बीजेपी के विधायक बने तो सरकार भी भाजपा की बनी।
उत्तराखंड को लेकर एक खास बात ये भी है कि 20 साल के सियासी सफर में यहां 11 मुख्यमंत्री बने हैं। कांग्रेस के नेता पूर्व सीएम नारायण दत्त तिवारी ही केवल अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा कर पाए थे। साथ ही उत्तराखंड में कभी भी सत्ता में रहने वाली पार्टी लगातार दो बार वापसी नहीं कर सकी है।
गोवा की बात करें तो कुल 40 में से 14 विधानसभा सीटों यानी 35 प्रतिशत सीटों पर सात परिवारों के सदस्य उम्मीदवार हैं। भारतीय जनता पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस आदि पार्टियों ने एक ही परिवार के कई सदस्यों को टिकट दिया था।