उत्तर प्रदेश के जौनपुर में बीजेपी नेता की दिनदहाड़े हत्या, शादी का कार्ड देने के बहाने मारी गोली
जौनपुर में बीजेपी नेता की दिनदहाड़े हत्या, शादी का कार्ड देने के बहाने मारी गोली
बीजेपी नेता प्रमोद कुमार यादव गांव के मोड़ पर ही पहुंचे थे तभी मोटरसाइकिल सवार दो बदमाशों ने शादी का कार्ड देने के बहाने इशारा करके गाड़ी रुकवाई।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के सिकरारा थाना क्षेत्र में स्थित बोधापुर गांव में बदमाशों ने गुरुवार सुबह ताबड़तोड़ गोलियां बरसा कर बीजेपी के जिला महामंत्री प्रमोद कुमार यादव की हत्या कर दी। दिन दहाड़े हुई वारदात से पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई। सूचना मिलते ही मौके पर पहुची पुलिस ने उन्हें जिला अस्पताल भेजा जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस के एक अधिकारी ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मामले की जांच-पड़ताल की जा रही है।
गांव के मोड़ पर ही बदमाशों ने मारी गोली
घटना की जानकारी होते ही जिला अस्पताल पहुंचे पुलिस अधीक्षक डॉक्टर अजय पाल शर्मा ने बताया कि हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए टीमें रवाना कर दी गई हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग चिन्हित किए गए हैं, और जल्द ही घटना का पर्दाफाश कर लिया जाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुरुवार सुबह 52 वर्षीय प्रमोद कुमार यादव अपने घर से स्कॉर्पियो से निकले थे। बताते हैं कि वह गांव के मोड़ पर ही पहुंचे थे तभी मोटरसाइकिल सवार दो बदमाशों ने शादी का कार्ड देने के बहाने इशारा करके गाड़ी रुकवाई। बताया जा रहा है कि जैसे ही प्रमोद ने शीशा खोला तभी एक बदमाश ने पिस्तौल निकालकर उन्हें गोलियां मारीं और वहां फरार हो गये।
‘2 बाइकों पर सवार थे कुल 3 हमलावर’
यादव को गोली लगते ही घटनास्थल पर अफरातफरी मच गई। मौके पर पहुंचे लोग उन्हें जिला अस्पताल लेकर पहुंचे जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। घटना की सूचना मिलते ही बीजेपी के जिला अध्यक्ष पुष्पराज सिंह और लोकसभा प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह सहित पार्टी के तमाम नेता भी जिला अस्पताल पहुंच गए। पुलिस अधीक्षक अजय पाल शर्मा ने बताया कि घटना की वजह आपसी रंजिश हो सकती है, इस पर पूरी जानकारी प्राप्त की जा रही है। उन्होंने बताया कि 2 बाइकों पर 3 हमलावर थे, जिनमें से 2 एक पर थे और एक शख्स एक बाइक पर अकेला था।
2012 में बीजेपी ने बनाया था प्रत्याशी
बता दें कि मृतक प्रमोद यादव को 2012 में मल्हनी विधानसभा से बीजेपी ने प्रत्याशी बनाया था लेकिन इनका पर्चा खारिज हो गया था। इस दौरान धनजंय सिंह की दूसरी पत्नी जागृति सिंह भी चुनाव लड़ रही थीं और सपा से कद्दावर नेता पारसनाथ यादव भी चुनाव मैदान में थे। सपा नेता पारसनाथ यादव तब चुनाव जीत गए थे।