सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की बहन को सपा प्रत्याशी ने 860 वोटों से हराया

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उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में जिला पंचायत सदस्य पदों के घोषित नतीजों में चौकाने वाले परिणाम सामने आए हैं। निवर्तमान जिप अध्यक्ष और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की भतीजी संध्या यादव सदस्य पद का चुनाव हार गई है। मुलायम की भतीजी को सपा प्रत्याशी प्रमोद यादव ने ही पराजित किया। संध्या को भाजपा ने घिरोर के वार्ड 18 से सदस्य पद का प्रत्याशी बनाया था। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की चचेरी बहन और पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव की सगी बहन संध्या यादव के चुनाव पर पूरे प्रदेश की निगाहें लगी थी।


 भाजपा खेमा संध्या की जीत के प्रति आश्वस्त था। संध्या को ही फिर से अध्यक्ष बनाने की रणनीति भाजपा खेमें ने बना रखी थी। लेकिन सदस्य पद के चुनाव में ही उन्हें हार का सामना करना पड़ा। चुनाव परिणाम ने भाजपा को सकते में डाल दिया है। हालांकि उनकी हार सुबह ही हो गई थी। लेकिन जिला प्रशासन ने देर से चुनाव परिणाम जारी किया और सपा समर्थित प्रमोद यादव को जीत का प्रमाण पत्र सौंप दिया। भाजपा समर्थित संध्या यादव को 8924 वोट मिले जबकि सपा प्रत्याशी प्रमोद यादव उर्फ बंटू को 9784 वोट हासिल हुए। प्रमोद ने संध्या को 860 वोटों के अंतर से पराजित किया।

विकासखंड क्षेत्र के वार्ड 18 से निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष संध्या यादव को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया था। 2015 के चुनाव में वह सपा की ओर से प्रत्याशी बनाई गई और चुनाव जीतकर अध्यक्ष बनी थी। लेकिन इस बार उन्होंने सपा से बगावत करके भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ा। सपा ने उनके खिलाफ प्रमोद कुमार यादव उर्फ बंटू को उम्मीदवार बनाया। प्रमोद यादव को पिछले चुनाव में संध्या यादव का समर्थन कराया गया था। लेकिन इस बार भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाया तो सपा ने प्रमोद को उम्मीदवार बना दिया और अपनी बादशाहत कायम रखी। 

सपा प्रत्याशी ने मुलायम की भतीजी को पराजित कर दिया है। संध्या मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई रतन सिंह यादव की पुत्री है। वह पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव की सगी बहन व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की चचेरी बहन है। वही जिला पंचायत के वार्ड 28 से सदर विधायक राजकुमार यादव की पत्नी वंदना यादव को सपा ने प्रत्याशी बनाया था। अप्रत्याशित रूप से वंदना यादव इस सीट पर चुनाव हार गई है। उन्हें निर्दलीय प्रत्याशी सपा के बागी जर्मन सिंह यादव ने चुनाव में पराजित किया। पिछली बार उन्होंने कुरावली ब्लॉक से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। इस बार वह सपा खेमे से अध्यक्ष पद की प्रबल दावेदार थीं। लेकिन चुनाव हारने से वंदना के अध्यक्ष बनने के सपने टूट गए है।