इंडिया बुल्स समेत कई कंपनियों के 18 निदेशकों के खिलाफ कोर्ट के आदेश पर विभिन्न धाराओं में दर्ज हुआ मुकदमा
नई दिल्ली। हाउसिंग फाइनेंस करने वाली देश की जानी-मानी कंपनी इंडिया बुल (India Bulls) समेत कई कंपनियों के 18 निदेशकों पर एफआईआर दर्ज की गई है। इन सभी के खिलाफ गाजियाबाद के मशहूर शिप्रा समूह ने एफआईआर दर्ज करवाई है। शिप्रा समूह का आरोप है कि इन कंपनियों के निदेशकों ने मिलकर उनके साथ करीब 6,000 करोड रुपए की धोखाधड़ी को अंजाम दिया है। गाजियाबाद के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत के आदेश पर गाजियाबाद के इन्द्रानगर थाने की पुलिस ने 18 आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी, जान से मारने की धमकी देने, मारपीट करने, फर्जी दस्तावेज तैयार करने और भरोसा तोड़ने जैसे संगीन आरोपों में मुकदमा दर्ज किया है। खास बात यह है कि आरोपियों में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे साकेत बहुगुणा भी शामिल हैं।
जनिये क्या है मामला
गाजियाबाद के इंदिरापुरम वैभव खंड में शिप्रा मॉल के निवासी अमित वालिया की ओर से यह मुकदमा दर्ज करवाया गया है। अमित वालिया ने गाजियाबाद के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में शिकायत दी। जिस पर सुनवाई करने के बाद सीजेएम ने सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत गाजियाबाद पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।
अमित वालिया की ओर से दर्ज करवाई गई एफआईआर में बताया गया है कि उनके समूह की कंपनियां शिप्रा एस्टेट लिमिटेड, शिप्रा लीजिंग प्राइवेट लिमिटेड, शिप्रा होटल्स लिमिटेड और कदम ग्रुप मिलकर इंटीग्रेटेड टाउनशिप, मॉल, मल्टीप्लेक्स, होटल और तमाम दूसरी रियल एस्टेट एक्टिविटीज गाजियाबाद समेत पूरे दिल्ली-एनसीआर में करती हैं। इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड को पता चला कि शिप्रा ग्रुप अपने चार हाउसिंग प्रोजेक्ट और कमर्शियल प्रोजेक्ट के लिए मार्केट से लोन लेना चाहता है।
अमित के अनुसार “इंडिया बुल्स के डायरेक्टर मेरे पास आए। उन्होंने वादा किया कि हम आपको 1939 करोड़ रुपये देंगे। यह पैसा मार्केट से कम ब्याज दरों पर देंगे। हमारी कंपनी के साथ मिलकर काम करेंगे। बाकी प्रोजेक्ट पूरे करने में सहायता करेंगे। इंडिया बुल्स की ओर से शर्त रखी गई कि इसके लिए शिप्रा ग्रुप को अपनी संपत्तियां बंधक रखनी होंगी।
कंपनी की संपत्तियों की कीमत तकरीबन 6000 करोड रुपए
अमित वालिया ने बताया, “हमारी 6 संपत्तियों की कीमत करीब 6000 करोड रूपये से ऊपर थी। इंडिया बुल्स की शुरुआत से ही नीयत ठीक नहीं थी। यह सारे लोग हमारी संपत्ति कब्जाने की नियत से शुरू से ही जालसाजी और धोखाधड़ी कर रहे थे।
हमें अवैध रूप से डिफॉल्टर दिखाकर हमारी 6000 करोड़ रुपए की कीमती संपत्तियों को अवैध रूप से हड़पने की साजिश रच रहे थे। इंडिया बुल्स ने हमें 1,686 करोड़ रुपए नहीं दिए। कंपनी ने केवल 866 करोड़, 80 लाख, 75 हजार और 310 हमारे खाते में ट्रांसफर किए। यह पैसा भी तुरंत वापस ले लिया गया। बाकी धनराशि 820 करोड़ रुपए कभी शिप्रा समूह की कंपनियों को भेजा नहीं गया। इंडिया बुल्स ने शिप्रा एस्टेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक मोहित सिंह से काफी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाए हैं। जिनका वह दुरुपयोग कर सकते हैं। इंडिया बुल्स और एमएम एडलवाइज के प्रतिनिधियों ने जालसाजी और धोखाधड़ी करके जाली दस्तावेज बनाए हैं। हमारी अत्यधिक मूल्यवान भूमि और संपत्तियों को हड़पने के इरादे से गैरकानूनी काम किए हैं।
जानिए क्यों रखा गया प्रॉपर्टी को बंधक
अमित वालिया ने आगे बताया कि अक्टूबर से नवंबर 2020 के बीच इंडिया बुल्स ने हमें फिर संपर्क किया और पूरी रेजिडेंशियल व कमर्शियल परियोजनाओं के लिए पैसा देने का प्रस्ताव दिया। इंडिया बुल्स ने बाकी प्रतिस्पर्धी कंपनियों की तुलना में अच्छी दरों पर पैसा देने का प्रस्ताव दिया था। उनका कहना था कि वह हमारे साथ दीर्घकालिक और व्यवसायिक संबंध बनाना चाहते हैं।
इंडिया बुल्स के पूर्व चेयरमैन समीर गहलोत और प्रबंध निदेशक गगन बांगा से तमाम बैठक हुईं, जिनमें ऋण सुविधाओं पर चर्चा हुई। इन लोगों ने विशेष रूप से वादा किया कि इंडिया बुल्स एक उचित और निष्पक्ष व्यापार ऋण लेनदेन करेगा। इंडिया बुल्स ने अपने कर्ज पर सिक्योरिटी मांगी। जिसके लिए शिप्रा समूह की अचल संपत्तियों और शेयरों को बंधक रखने का प्रस्ताव रखा गया।
अमित वालिया का आरोप है कि शिप्रा समूह को इंडिया बुल्स के गगन बांगा, समीर गहलौत, जितेश मौर और बाकी निदेशकों पर भरोसा हो गया। इस कारण संपत्तियां बंधक रखने के लिए तैयार हो गए। इंडिया बुल्स ने वादा किया कि 1,939 करोड़ रुपये शिप्रा ग्रुप को समय पर प्रोजेक्ट पूरे करने के लिए देंगे। इस भरोसे पर शिप्रा समूह ने नोएडा अथॉरिटी और दूसरे लेनदारों को भुगतान करना शुरू कर दिया।
अब पता चला है कि इंडिया बुल्स और उनकी सहयोगी कंपनियों के निदेशकों ने जाली दस्तावेज बनाए हैं। यह दिखाने की कोशिश की गई है कि शिप्रा समूह को 1,686 करोड़ रुपए दिए हैं। वास्तव में केवल 866.88 करोड़ रुपए दिए गए हैं। बाकी पैसा इंडिया बुल्स ने मनमाने ढंग से काट लिया। इनका मकसद गैरकानूनी तरीके से शिप्रा समूह की संपत्तियों को हड़पना है। अमित वालिया आगे कहते हैं, “जब हमें समझ आया कि इंडिया बुल्स वाले हमें फंसा रहे हैं तो तब तक देर हो चुकी थी। हमने जैसे ही विरोध किया तो आरोपियों ने 1,738 करोड़ रुपए केवल 7 दिन में वापस देने का नोटिस भेज दिया। इनका मकसद शिप्रा समूह की नोएडा के सेक्टर-128 में स्थित 73 एकड़ जमीन हड़पना था। इसी कारण 7 दिनों में पूरा पैसा लौटाने का दबाव बनाया गया।
नाजायज तरीके से प्रोपर्टी और शेयर बेचने का आरोप
अमित वालिया ने आरोप लगाया है, “इंडिया बुल्स के प्रतिनिधियों ने हमें कहा कि उनके पास साकेत बहुगुणा, समीर गहलोत और गगन बांगा का निर्देश है कि भुगतान प्राप्त करने पर भी ऋण खातों को बंद नहीं किया जाएगा। इसके बजाय एक तरफा कार्यवाही करके संपत्तियों को बेचा जाएगा। सारी प्रोपर्टी पर कब्जा कर लिया जाएगा। अंततः 30 मई 2021 को इंडिया बुल्स की मांगों के मुताबिक सेक्टर-128 वाली जमीन को बेचने की सहमति बनी। समझौते के तहत डीएलएफ हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड यह जमीन 1,250 करोड़ रुपए में खरीदने के लिए तैयार हुई थी। इंडिया बुल्स ने सभी ऋण समझौते करके विवादों को खत्म करने की सहमति दी थी। इसके बावजूद आरोपियों ने अवैध रूप से और मनमाने ढंग से गिरवी रखे गए शेयरों को एम3एम समूह की कंपनी फाइनल स्टेप प्राइवेट लिमिटेड को 900 करोड़ रुपए में बेच दिया।
इंदिरापुरम थाने में दर्ज की गई एफआईआर में आगे कहा गया है, “साकेत बहुगुणा, समीर गहलोत, गगन बांगा और एम3एम कंपनी के बसंत बंसल ने मिलीभगत करके हमारी कंपनी को नुकसान पहुंचाया है। इन लोगों ने अवैध लाभ कमाने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से जमीन हड़पने की साजिश रची है। मनमाने ढंग से कदम डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के गिरवी रखे गए शेयरों को फाइनल स्टेप प्राइवेट लिमिटेड को 900 करोड़ रुपये में बेच दिया। जबकि इन शेयरों और जमीन को डीएलएफ हाउसिंग कंपनी 1,250 को रुपए में खरीदने के लिए तैयार है। आरोप है कि अब वास्तविकता का पता चला है। यह बहुत बड़ा घपला इंडिया बुल्स और एम3एम के निदेशकों ने मिलकर किया है। इंडिया बुल्स के प्रतिनिधियों ने एम3एम के बसंत बंसल को इसकी एवज में 300 करोड़ रुपए नकद गैरकानूनी तरीके से दिये हैं।
इन पर बड़े लोगों पर दर्ज हुई एफआईआर
साकेत बहुगुणा, इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड
समीर गहलोत, इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के पूर्व चेयरमैन
गगन बंगा, इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनेंस के वाइस चेयरमैन एमडी
अश्विनी ओम प्रकाश कुमार हुड्डा, इंडिया बुल्स फाइनेंस हाउसिंग लिमिटेड
राजीव गांधी, इंडिया बुल्स फाइनेंस हाउसिंग लिमिटेड
जितेश मोर, इंडिया बुल्स फाइनेंस हाउसिंग लिमिटेड
राकेश भगत, इंडिया बुल्स फाइनेंस हाउसिंग लिमिटेड
आशीष जैन, इंडिया बुल्स फाइनेंस हाउसिंग लिमिटेड
रूप कुमार बंसल एम3एम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
बसंत बंसल, एम3एम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
पंकज बंसल, एम3एम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
विवेक सिंघल, एम3एम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
अनीता ठाकुर, एम3एम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
सुनील कुमार जैन, एम3एम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
मनोज डायरेक्टर
रविंद्र सिंह
अजय शर्मा
रशेष चंद्रकांत शाह, एडलवाइज ऐसेट रिकंस्ट्रक्शन
इन धाराओं के तहत दर्ज किया गया मुकदमा
- आईपीसी 420
- आईपीसी 467
- आईपीसी 468
- आईपीसी 471
- आईपीसी 120बी
- आईपीसी 323
- आईपीसी 504
- आईपीसी 506