पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट की रोक के बाद सरकार सक्रिय
देहरादून। उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर फिलहाल असमंजस की स्थिति बन गई है। नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा आरक्षण प्रक्रिया पर पारदर्शिता की कमी के आधार पर अंतरिम रोक लगाए जाने के बाद अब राज्य सरकार इस पर संवैधानिक और कानूनी रास्ता अपनाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।
सचिव पंचायतीराज चंद्रेश कुमार ने हाईकोर्ट के फैसले के बाद जानकारी दी कि पंचायतों में आरक्षण व्यवस्था को लेकर 2025 की नई नियमावली की अधिसूचना (गजट नोटिफिकेशन) प्रक्रिया प्रगति पर है। उक्त अधिसूचना की प्रति फिलहाल राजकीय प्रेस, रुड़की में मुद्रणाधीन है, जिसे शीघ्र प्रकाशित कर नैनीताल हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। सरकार की मंशा है कि अदालती मार्गदर्शन प्राप्त कर पंचायत चुनावों की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके।
सचिव ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार माननीय न्यायालय के अंतरिम आदेश की पूर्ण अनुपालना कर रही है और न्यायालय की गरिमा एवं निर्देशों का सम्मान करते हुए पंचायतीराज व्यवस्था को संविधान व विधिसम्मत ढंग से संचालित करने के लिए संकल्पबद्ध है।
हाईकोर्ट की रोक के बाद अब राज्य सरकार की कोशिश रहेगी कि आरक्षण प्रक्रिया की वैधानिकता को लेकर कोर्ट की संतुष्टि सुनिश्चित की जाए, ताकि आगामी पंचायत चुनावों की राह फिर से प्रशस्त हो सके।
बहरहाल, सम्बंधित विभाग की ओर से हुई चूक को लेकर विपक्ष को भी हमलावर होने का मौका मिल गया।
पंचायत चुनाव में हार देख आरक्षण में किया गया हेरफेर : कांग्रेस
देहरादून। नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए निर्धारित किये गए आरक्षण के रोटेशन प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सोमवार को सुनवाई होगी। बता दें कि बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि सरकार ने 9 जून 2025 को एक आदेश जारी कर पंचायत चुनाव हेतु नई नियमावली बनाई। साथ ही 11 जून को आदेश जारी कर अब तक पंचायत चुनाव हेतु लागू आरक्षण रोटेशन को शून्य घोषित करते हुए इस वर्ष से नया रोटेशन लागू करने का निर्णय लिया है। जबकि हाईकोर्ट ने पहले से ही इस मामले में दिशा-निर्देश दिए हैं।
याचिकाकर्ता के अनुसार इस आदेश से पिछले तीन कार्यकाल से जो सीट आरक्षित वर्ग में थी वह चौथी बार भी आरक्षित कर दी गई है। जिस कारण वे पंचायत चुनाव में भाग नहीं ले पा रहे हैं। इस मामले में सरकार की ओर से बताया गया कि इसी तरह के कुछ मामले एकलपीठ में भी दायर हैं। जबकि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने खण्डपीठ में 9 जून को जारी नियमों को भी चुनौती दी है।
पंचायत चुनाव में हार देख आरक्षण में किया गया हेरफेर : कांग्रेस
देहरादून। पंचायत चुनाव को लेकर कांग्रेस की बैठक के बाद पूर्व सीएम हरीश रावत ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि हार देखते हुए पंचायत चुनाव में आरक्षण रोस्टर में हेर फेर किया गया है। उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव में रोस्टर जीरो करना अनुसूचित जाति के साथ अन्याय है। वहीं सामान्य जाति के लोगों के साथ भी अन्याय है।
उन्होंने कहा कि असल में भाजपा के लोगों की सीटें फंस गई थी इसलिए उसने रोस्टर में मनमानी की है। उन्होंने कहा कि कई पंचायत सीटें तीन-तीन बार सामान्य रही हैं, तो कई सीटें लगातार तीन- तीन बार आरक्षित कर दी गई हैं। पंचायत चुनाव की घोषणा कर दी गई, जबकि पंचायत में आरक्षण निर्धारण का मामला नैनीताल हाईकोर्ट में विचाराधीन है, जिस पर 23 जून सोमवार को सुनवाई होनी है।
उन्होंने कहा कि जिन समुदायों की प्रतिनिधित्व का मौका मिलना चाहिए था, भाजपा की हठधर्मिता के कारण वह इससे बंधित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में भी चुनाव का महाराष्ट्र मॉडल लागू किया जा रहा है, जिस प्रकार महाराष्ट्र में चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं, उसी तरह उत्तराखंड में भी हालात बनते नजर आ रहे हैं। इस तरह मतदाता सूची में करीब चार लाख नए वोट जुड़े हैं, वह भी विचारणीय है।
उन्होंने आशंका जताई कि जिस तरह उत्तराखंड नगर निगम चुनाव को प्रभावित किया गया था, उसी तरह पंचायत चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। जब हरीश रावत से पूछा गया कि भाजपा तो इसे 2027 के विधानसभा चुनाव का सेमी फाइनल बता रही है तो उन्होंने कहा कि वह इसे सेमी फाइनल समझे या क्वार्टर फाइनल समझे या कुछ और लेकिन 2027 में भाजपा की हार सुनिश्चित है।