Dehradun: रिस्पना किनारे फ्लड जोन की अधिसूचना जारी, निर्माण कार्यों पर रोक

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देहरादून। जिला प्रशासन ने रिस्पना नदी का फ्लड जोन घोषित कर दिया है। डीएम सविन बंसल ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। फ्लड जोन में रिस्पना के उद्गम शिखर फॉल से लेकर मोथरोवाला संगम स्थल नदी के दोनों तरफ के क्षेत्र को शामिल किया है। फ्लड जोन का निर्धारण 25 साल और 100 साल के बाढ़ अनुमान के आधार पर तय किया है। इसके लिए संबंधित लोगों से 60 दिन के भीतर आपत्ति मांगी गई है। डीएम ने बताया कि सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग की ओर से फ्लड जोन का निर्धारण किया गया है। इसमें फ्लड जोन में किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य पर पूरी तरह प्रतिबन्ध रहेगा।

साथ ही नदी की जलधारा को व्यवधान न हो इसके उपाय किए जाएंगे। नदी किनारे बाढ़ के संभावित खतरे वाले स्थानों को फ्लड जोन में रखा है। ताकि, यहां किसी तरह के अनाधिकृत निर्माण न हों। फ्लड जोन में तटबंध, खनन, पौधरोपण, कृषि, स्नान घाट निर्माण, नदी तटीय विकास, सिंचाई, पेयजल योजना, जलक्रीड़ा, जल परिवहन, सेतु, एलिवेटेड रोड कॉरिडोर कॉरिडोर से से संबंधित संबंधित कार्य भी अधिसूचना के बाद हो पाएंगे। इसके अलावा फ्लड जोन में अनुमति के बाद पार्क, खेल मैदान, मत्स्य पालन, कृषि से जुड़े निर्माण कार्य भी हो पाएंगे। साथ ही इस क्षेत्र में पहले से बने पुराने भवनों का पुनर्निमाण शर्तों के साथ किया जा सकेगा। इसके लिए भवन प्लिथ लेवल हाई फ्लड लेवल से एक मीटर ऊंचा होना चाहिए। साथ ही क्षेत्र में सीवरेज की व्यवस्था होने पर ही दो मंजिल तक ही निर्माण की अनुमति दी जा सकेगी। उससे अधिक के निर्माण को ध्वस्त किया जाएगा।

इन इलाकों में निर्माण पर प्रतिबंध
मकड़ैत गांव, हतडीवाला, वीरगीरवाली, केरवान करनपुर, चालंग, ढाक पट्टी, काठ बंगला तरला नागल, किशनपुर, धोरणखास, जाखन, चीड़ोवाली, कंडोली, अधोईवाला, धर्मपुर डालनवाला, धर्मपुर, अजबपुर, इंद्रपुर, केदारपुर, मोथरोवाला के रिस्पना से लगे इलाके फ्लड जोन घोषित किए गए हैं। यहां किसी भी प्रकार के निर्माण पर प्रतिबंध रहेगा।

नगर निगम से एनजीटी ने मांगा नदी किनारे बसी बस्तियों पर जवाब

देहरादून राजधानी में रिस्पना- बिंदाल समेत तमाम नदी-नालों के किनारे वर्ष 2016 से पहले अतिक्रमण कर बसी बस्तियों पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल ने नगर निगम से जवाब मांगा है। अगले सप्ताह निगम को जवाब दाखिल करना है, जिसमें सभी मलिन बस्तियों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पुनर्वासित करने दलील दी जा सकती है। दून में वर्ष 2016 से पूर्व चिह्नित 129 मलिन बस्तियों में करीब 40 हजार घर हैं। वहीं, इन बस्तियों से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पहले ही 11 हजार से अधिक आवेदन प्राप्त किए जा चुके हैं। इसके अलावा दून में बीते वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक हजार घर भी उपलब्ध नहीं कराए जा सके हैं।

इस वर्ष की शुरुआत में एनजीटी के निर्देश पर रिस्पना के किनारे वर्ष 2016 के बाद किए गए निर्माण का सर्वे किया गया था। जिसमें कुल 524 अतिक्रमण पाए गए थे। 89 अतिक्रमण नगर निगम की भूमि पर, जबकि 12 नगर पालिका मसूरी और 11 राजस्व भूमि पर पाए गए थे। दूसरी तरफ नगर निगम के नियंत्रण में रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए जिस भूमि को एमडीडीए के नियंत्रण में दिया गया था, उस पर 414 से अधिक घर बने होने की बात सामने आई। लंबी-चौड़ी कसरत के बाद आपत्तियों का निस्तारण कर चिह्नित में से करीब आधे घर ध्वस्त कर एनटीजी को रिपोर्ट सौंप दी गई। जिस पर एनजीटी की ओर से नदी किनारे की बस्तियों से अतिक्रमण हटाने के दौरान बेघर हुए परिवारों के लिए की व्यवस्था के संबंध में पूछा गया। जिस पर नगर निगम ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पुनर्वास करने की बात कही। अब एनजीटी की ओर से देहरादून में रिस्पना-विंदाल समेत तमाम नदियों के किनारे वर्ष 2016 से पहले की बसी बस्तियों पर जवाब मांगा गया है। इस पर नगर निगम को 15 अक्टूबर को जवाब दाखिल करना है।

दून में बने गिनती के घर
पीएम आवास योजना के अंतर्गत दून में ब्रह्मपुरी फेज-2 में 421,
काठबंगला में 148,
खाला बस्ती में 80,
ब्रह्मपुरी फेज- 1, में 240,
राम मंदिर कुष्ठ आश्रम में 27,
शांति कुष्ठ आश्रम में 28,
रोटरी कुष्ठ आश्रम में 34
और चकशाहनगर में 160 आवास प्रस्तावित थे। इनमें से काठबंगला में 56,
ब्रह्मपुरी फेज-एक में 56,
राम मंदिर कुष्ठ आश्रम में 27,
शांति कुष्ठ आश्रम में 28,
एवं रोटरी आश्रम में 34 आवास लगभग तैयार हो गए, इनमें से भी कुछ का आवंटन नहीं हो सका है।

मुख्य सचिव ने दिए पुनर्वास के निर्देश
कुछ समय पूर्व ही मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने स्लम फ्री उत्तराखंड को लेकर बैठक की थी। जिसमें मुख्य सचिव ने कहा कि मलिन बस्तियों में निवासरत परिवारों के जीवन स्तर में सुधार, मलिन बस्तियों के विनियमितीकरण और पुनरुद्धार, पुनर्वास की कार्ययोजना पर कार्य किया जाएगा। उन्होंने मलिन बस्तियों में सुधार के लिए विभिन्न राज्यों के माडल पर किए गए अध्ययन की रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।