देहरादून। उत्तराखंड में पिछले 5 साल से पीसीएस की भर्ती नहीं आने से नाराज बेरोजगारों ने बड़े आंदोलन का ऐलान किया है। 22 मार्च को पीसीएस बेरोजगार परेड ग्राउंड में इकट्ठा होंगे और इसके बाद सचिवालय का घेराव करेंगे। माना जा रहा है पूरे राज्य से इस आंदोलन बडी संख्या में पीसीएस अभ्यर्थी देहरादून पहुंचेगे।
देवभूमि बेरोजगार मंच के अध्यक्ष राम कंडवाल ने कहा कि 5 साल से उत्तराखंड में बेरोजगार अधिकारी बनने का सपना देख रहे है लेकिन प्रदेश में मुख्यमंत्री की वेकैंसी तो निकलती है लेकिन पीसीएस की विज्ञप्ति नहीं निकलती। राम कंडवाल ने कहा कि पिछले एक महीने से इस आंदोलन की तैयारी की जा रही है और ये आंदोलन ऐतिहासिक होगा। उन्होंने कहा कि सभी बेरोजगार परेड ग्राउंड देहरादून से सचिवालय का घेराव करेंगे, अगर शाम होने तक मुख्यमंत्री मिलकर आश्वासन नहीं देते तो सचिवालय के बाहर ही अनशन पर बैठा जाएगा। इसके साथ ही राम कंडवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को लड़कियों की फटी जींस तो दिखती है लेकिन PCS अभ्यर्थियों के फ़टे कपड़े, फ़टे सपने, फ़टी किताबें क्यों नहीं दिखती।
राम कंडवाल ने कहा कि अफसर बनने का सपना लिए हर साल हजारों युवा पीसीएस की परीक्षा का इंतजार करते हुए तैयारी करते हैं. लेकिन परीक्षा ना होने से उन्हें निराशा हाथ लगती है. प्रदेश में पीसीएस अफसरों की भारी कमी है. कई अधिकारी ऐसे हैं जिन पर अनेकों प्रभार हैं. इसकी वजह से ना सिर्फ सरकारी कामकाज प्रभावित होता है बल्कि बेरोजगार युवाओं में लिए रोज़गार के दरवाज़े खुलने से रह जाते हैं।
कंडवाल ने कहा कि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की लचर कार्यप्रणाली का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उत्तराखंड बनने के बाद यहां चार पीसीएस परीक्षाएं हो पाई हैं।जबकि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2000 से 2015 तक 14 पीसीएस परीक्षाएं हो चुकी हैं। राज्य बनने से पूर्व के 15 सालों में राज्य से करीब 72 एसडीएम निकले थे, जबकि राज्य बनने के बाद के 15 सालों में अब तक कुल 47 एसडीएम बने।