SIT ने पकड़ा एक और रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा, पुरानी रजिस्ट्रियों के मूल रिकॉर्ड गायब

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अस्तित्व टाइम्स

स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग की रिटायर्ड आइएएस की अध्यक्षता वाली एसआइटी ने पकड़ा खेल, जिल्दों के मूल पेज हटाकर चस्पा किए गए फर्जी रिकॉर्ड

देहरादून। राजधानी देहरादून में एक और रजिस्ट्री फर्जीवाड़े की जानकारी मिल रही है। जुलाई 2023 में सामने आए अरबों रुपये के रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के बाद जांच एजेंसियां अभी भी कार्रवाई में जुटी हैं। एसआइटी ने वर्ष 1948 और वर्ष 1958 से संबंधित रजिस्ट्रियों के रिकॉर्ड में घपला पकड़ा है। एसआइटी के निर्देश पर निबंधन विभाग की फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने पाया है कि इस रजिस्ट्रियों की जिल्दों से मूल पेज गायब कर उनकी जगह फर्जी पेज चस्पा किए गए हैं। चूंकि, एसआइटी का चौथा कार्यकाल (03 बार एक्सटेंशन मिला) 28 फरवरी को समाप्त हो गया तो एसआइटी ने अब तक की कार्रवाई के साथ पकड़ में आए नए घपले की रिपोर्ट सरकार को भेज दी है।

एसआइटी अधिकारियों के अनुसार एसआइटी का कार्यकाल अब समाप्त हो चुका है और छेड़छाड़ के चलते प्रभावित हुए रजिस्ट्री रिकार्ड की जांच में लंबा समय लग सकता है। क्योंकि, इसके लिए सब रजिस्ट्रार कार्यालय के रिकॉर्ड रूम के साथ ही राजस्व अभिलेखागार आदि के रिकार्ड की जांच की भी आवश्यकता पड़ेगी। जिसमें लंबा समय लग सकता है। ऐसे में सरकार अपने स्तर पर प्रकरण पर कार्रवाई करवा सकती है। बहुत संभव है कि अब पकड़ में आया यह फर्जीवाड़ा जुलाई 2023 के रजिस्ट्री फर्जीवाड़े से भी बड़ा हो सकता है।

रजिस्ट्रियों के हजारों दस्तावेज से हो सकती है छेड़छाड़
जिल्द का सीधा संबंध सब रजिस्ट्रार कार्यालय में रजिस्ट्रियों के अभिलेखों की व्यवस्था से है। इसे वाल्यूम या बही भी कहा जाता है। ताकि इसके माध्यम से रजिस्ट्रियों के पुराने से पुराने रिकॉर्ड का भी आसानी से पता लगाया जा सके। लेकिन, यदि जिल्द में भी फर्जीवाड़ा कर दिया गया है तो उससे रजिस्ट्रियों के पुराने रिकार्ड और उसकी सत्यता की पुष्टि करना आसान नहीं होता है। ऐसे इस बात की आशंका भी बढ़ जाती है कि सोची समझी साजिश के तहत ही जिल्दों के मूल अभिलेख गायब किए गए हैं।

रिटायर्ड आईएएस सुरेंद्र सिंह रावत, एसआईटी अध्यक्ष।
चौथे कार्यकाल की समाप्ति से पहले एसआइटी ने दर्ज की 378 शिकायतें, 70 पर एफआइआर दर्ज
जुलाई 2023 में रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर पहले पुलिस की एसआइटी गठित की गई थी। एसआइटी ने अलग-अलग अंतराल में करीब एक दर्जन एफआइआर दर्ज कर 20 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। जिसमें एक मुख्य आरोपी केपी सिंह की सहरानपुर जेल में मौत हो चुकी है। हालांकि, जांच के क्रम में फर्जीवाड़े के व्यापक रूप को देखते हुए सरकार ने 25 जुलाई को रिटायर्ड आइएएस अधिकारी सरेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग के अंतर्गत अलग से एसआइटी गठित की थी। ताकि जनता से सीधे जमीन या रजिस्ट्री फर्जीवाड़े की शिकायत प्राप्त कर त्वरित कार्रवाई की जा सके।

पहले एसआइटी का कार्यकाल नवंबर 2023 तय किया गया था। शिकायतों के बढ़ते क्रम को देखते हुए इसका कार्यकाल मार्च 2023 तक बढ़ाया गया। हालांकि, आमजन की शिकायतों को ध्यान में देखते हुए इसे दूसरी बार सितंबर 2024 तक और फिर फरवरी 2025 तक बढ़ाया गया। अपने कुल चार कार्यकाल में एसआइटी को कुल 378 शिकायतें प्राप्त हुईं। एसआइटी अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह रावत के अनुसार इसमें से 110 शिकायतों पर एफआइआर दर्ज करने की संस्तुति की गई। बताया जा रहा है कि पुलिस ने अभी तक 70 एफआइआर दर्ज कर दी है और शेष पर प्रक्रिया गतिमान है। वहीं, बड़ी संख्या में ऐसी शिकायतें भी रहीं, जिन पर एफआइआर दर्ज करने की जरूरत नहीं पड़ी, लेकिन संबंधित विभागों को शिकायत भेजकर आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए गए। इस तरह एसआइटी ने प्रत्येक शिकायत पर उसका समाधान खोजने का प्रयास किया।

जुलाई 2023 में सामने आए रजिस्ट्री फर्जीवाड़े पर एक नजर
रजिस्ट्री फर्जीवाड़े का मामला जुलाई 2023 में प्रकाश में आया था। जिसमें पता चला कि कुछ नामी अधिवक्ताओं ने प्रापर्टी डीलरों और भूमाफिया से मिलकर देहरादून के सब रजिस्ट्रार कार्यालय के रिकार्ड रूम में घुसपैठ कर रजिस्ट्रियों के रिकॉर्ड बदल दिए हैं। साथ ही कलेक्ट्रेट के राजस्व अभिलेखागार से रिकॉर्ड भी गायब किए गए हैं। इस काम में सब रजिस्ट्रार कार्यालय के कुछ कार्मिकों ने भी फर्जीवाड़े में मदद की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सख्त रुख के बाद प्रकरण में 02 एसआईटी (पुलिस व स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग) का गठन किया गया।

ईडी भी कर रहा जांच, छापेमारी और जब्ती भी की गई
रजिस्ट्री फर्जीवाड़े की गंभीरता को देखते हुए ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) भी जांच में जुटा है। ईडी ने अगस्त 2024 में रजिस्ट्री फर्जीवाड़े से जुड़े आरोपियों के ठिकानों पर बड़े स्तर पर छापेमारी की थी। उस दौरान ईडी ने उत्तराखंड समेत उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और असम में आरोपितों के 18 ठिकाने खंगाले थे। तब ईडी ने 95 लाख रुपए की नकदी और आभूषण कब्जे में लेते हुए करोड़ों रुपए की संपत्ति के दस्तावेज भी जब्त किए।

रजिस्ट्रियों की वैधता के अधिकार क्षेत्र को लेकर सवाल भी उठ रहे
रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में पुलिस की कार्रवाई निरंतर जारी है। अधिकतर प्रकरण कोर्ट के समक्ष ट्रायल के चरण में हैं। विशेषज्ञ इसको लेकर कई बार चिंता भी जाहिर कर चुके हैं कि कोर्ट के समक्ष भी प्रकरण में प्रभावी पैरवी आवश्यक है। क्योंकि, किसी भी रजिस्ट्री की वैधता या उसके अवैध होने का निर्णय लेने का अधिकार रजिस्ट्रेशन एक्ट में सिविल कोर्ट के पास है। ऐसे में कहीं इस नियम की अनदेखी कोर्ट के समक्ष भारी न पड़ जाए। क्योंकि, बताया जा रहा है कि पुलिस ने अभी तक सिविल कोर्ट के समक्ष किसी भी प्रकरण को नहीं रखा है।

गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनी की भूमि खुर्द-बुर्द

देहरादून। राजधानी देहरादून में लगातार जमीन फर्जीवाड़े के नए नए मामले सामने आ रहे हैं। ताज़ा मामले में कुछ लोगो ने तत्कालीन राजस्व कर्मचारियो के साथ सांठ-गांठ व मिलीभगत से गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया लिमिटेड की एक सहायक कम्पनी इण्डियन ओवरसीज पीस फाउण्डेसन ट्रस्ट, एससीओ मजीमाजरा यूटी चंडीगढ़ नही भूमि को खुर्द-बुर्द कर डाला है।

राजपुर पुलिस के अनुसार मामले में स्टाम्प एवं निबंधन विभाग व सहायक महानिरीक्षक निबंधन हरिद्वार के नामित अधिकारी अरूण कुमार प्रताप ने शिकायत दी है। आरोप है कि राजस्व कर्मचारियों के साथ मिलकर खुद को प्रतिनिधि बताकर इण्डियन ओवरसीज पीस फाउन्डेशन ट्रस्ट, एससीओ मनीमाजरा यूटी चण्डीगढ़ की भूमि को खुर्द-बुर्द कर बेचा गया है। छानबीन में पता चला कि इंडियन ओवरसीज पीस फाउंडेशन ट्रस्ट, एससीओ मजीमाजरा यूटी चंडीगढ़, गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया लिमिटेड की एक सहायक कंपनी है। जबकि गोल्डन फॉरेस्ट इण्डिया लिमिटेड के अधि.त प्रतिनिधि निखिल कांत स्याल ने विशेष जांच दल को बताया कि आरके स्याल के अलावा किसी अन्य को गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया लिमिटेड का अधिकृत प्रतिनिधि कम्पनी ने कभी नियुक्त नहीं किया। संबंधित विक्रय पत्रों में संजय घई सहित अन्य को प्रतिनिधि नामित नहीं किया गया। अवैध रूप से प्रतिनिधि बताकर कंपनी की भूमि को ट्रांसफर करवाया गया। फर्जीवाड़े के इस मामले में आरोपित संजय घई निवासी इंद्र कॉलोनी, अनुपमा निवासी हाथीबड़कला और तत्कालीन राजस्व कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है।