टूटेंगे नदी रिस्पना किनारे बचे हुए निर्माण, लाल निशान वाले निर्माणों पर भी होगी कार्यवाही

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नई दिल्ली/देहरादून। रिस्पना और बिंदाल नदी के फ्लड जोन में किए गए कब्जों को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक बड़ा फरमान जारी किया है। एनजीटी ने सिंचाई विभाग को फ्लड जोन के दायरे में आने वाले अतिक्रमण को चिह्नित कर दो महीने के अंदर हटाने के सख्त निर्देश दिए हैं। वहीं नगर निगम और एमडीडीए को रिस्पना किनारे बचे हुए निर्माण को भी ध्वस्त करने के बाद पुनर्वास के लिए कहा है।

रिस्पना नदी में विभिन्न कार्रवाई से जुड़ी रिपोर्ट अधिकारियों ने बुधवार को एनजीटी के समक्ष रखी। जिसमें नगर निगम, एमडीडीए और नगर पालिका मसूरी ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की थी। वहीं सिंचाई विभाग ने नदी में सर्वे कर फ्लड जोन चिहिनत करने का काम किया था। साथ ही जल संस्थान ने नदी में जा रहे सीवरेज को लेकर रिपोर्ट तैयार की थी जिस पर बुधवार को एनजीटी में सुनवाई हुई। जिसके बाद एनजीटी ने रिस्पना नदी में बाकी बचे हुए निर्माण तोड़कर परिवारों का पुनर्वास करने के निर्देश दिए हैं।

वही फ्लड प्लेन जोन के सर्वे की रिपोर्ट पर एनजीटी ने फ्लड जोन के दायरे में आने वाले अवैध निर्माण को दो महीने में तोड़ने के निर्देश दिए हैं। वहीं जो भी प्रभावित होगा, उनके पुनर्वास के लिए कहा है। बता दे कि एमडीडीए और नगर निगम की ओर से अतिक्रमण हटाओं अभियान में कई निर्माण छोड़ दिए गए थे। एनजीटी के निर्देश के चलते अब बाकी बचे निर्माण को तोड़ना होगा।

प्लड जोन के दायरे में कई निर्माण !
रिस्पना नदी में करीब 25 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में आगामी 25 वर्ष और 100 वर्ष तक बाढ़ की संभावना को लेकर रिपोर्ट तैयार की गई थी। नदी के दोनों किनारों पर पलङ जोन का सर्वे कर 50-50 मीटर पर लाल निशान लगाए थे। इस सर्वे में सिंचाई विभाग की टीम ने राजपुर शिखर फाल से मोथरोवाला दूधली रोड तक फ्लड जोन चिह्नित किए थे। नदी के किनारे बाढ़ संभावित क्षेत्र को देखते हुए सैकड़ों प्वाइंट बनाए गए थे। वहीं बिदाल नदी में मोथरोवाला डकोटा से मालसी तक भी फ्लड जोन तय किए गए हैं। जिसमें पाया गया है कि इन दोनों नदी के किनारे कई अतिक्रमण फ्ल्ड जोन के दायरे में आ रहे हैं।

घरों को सीवर लाइन से जोड़ना होगा
रिस्पना नदी में छोड़े जा रहे सीवरेज की समस्या के समाधान को लेकर एनजीटी ने जल संस्थान को संबंधित घरों को सीवर लाइन से जोड़ने के निर्देश दिए है। बता दे कि जल संस्थान ने नदी किनारे 1284 घर चिहिनत किए थे। काठबंगला से मोथरोवाला तक करीब 676 घरों ने अपने खुद के सेप्टिक टैंक बनाए हैं। जल संस्थान की रिपोर्ट के मुताबिक 353 घरों में कोई कनेक्शन नहीं है। वहीं 255 घरों में सीवर लाइन के कनेक्शन किए हैं। अब इन 353 मकानों को सीवर लाइन से जोड़ा जाएगा।