जल्द घोषित किया जाएगा नया चुनावी कार्यक्रम: सचिव पंचायती राज

28

 

देहरादून। शुक्रवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव पर दिए गए खुद के स्टे को खत्म कर दिया। इसके साथ ही पंचायतीराज सचिव चंद्रेश कुमार यादव ने कहा कि कुछ संशोधनों के साथ चुनाव जुलाई में ही करा दिए जाएंगे।

आरक्षण रोस्टर पर तमाम याचिकाओं के दायर होने पर उसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पंचायत चुनावों पर रोक लगाते हुए सरकार से इस पर जवाब तलब किया था। सरकार के जवाब के बाद हाईकोर्ट ने स्टे को समाप्त कर दिया और चुनाव कराने का फैसला सुनाया।

चीफ जस्टिस नरेंद्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य निर्वाचन आयोग से पूर्व में जारी चुनाव कार्यक्रम को 3 दिन आगे खिसकाते हुए चुनाव कार्यक्रम नए सिरे से जारी करने के निर्देश दिए। सरकार को याचिकाकर्ताओं की ओर से उठाए गए मुद्दों पर 3 हफ्ते के भीतर जवाब देना होगा।

कोर्ट ने कहा कि किसी प्रत्याशी को कोई आपत्ति हो तो वह अदालत में अपनी बात रखने के लिए आजाद है। आज सुनवाई में ब्लॉक प्रमुख सीटों के आरक्षण निर्धारित करने व जिला पंचायत अध्यक्ष सीटों का आरक्षण तय न किए जाने पर भी सवाल उठाए गए। अदालत में बताया गया कि ब्लॉक प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव एक ही तरह से होता है।

एक याचिकाकर्ता के मुताबिक राजधानी देहरादून के डोईवाला ब्लॉक में ग्राम प्रधानों के 63 फीसदी सीटें आरक्षित की गई हैं। कई सीटों को बरसों से एक ही वर्ग के लिए आरक्षित की गई है। हाईकोर्ट के फैसले से पुष्कर सरकार को निस्संदेह राहत मिली है। सभी आरओ को तत्काल अपने दायित्वों पर कार्य करने के लिए सचेत कर दिया गया है।

सचिव ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक चुनाव के कार्यक्रम को राज्य निर्वाचन आयोग के साथ मिल कर नए सिरे से तैयार करते हुए अदालत के सामने पेश कर चुनावों को अंजाम दिया जाएगा। चुनाव जुलाई में ही होंगे। नामांकन और नामांकन पत्रों की जांच की नई तारीख जल्द घोषित की जाएगी। मतदान और नतीजा घोषित करने की तारीख भी बदली जा सकती है।

चुनाव पर लगी रोक को हाई कोर्ट ने हटाया, दोबारा जरी होगी नई अधिसूचना, जल्द होंगे प्रदेश में चुनाव

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव को लेकर बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने पंचायत चुनाव पर लगी रोक को हटा दिया है। उत्तराखंड हाईकोर्ट से सरकार को चुनाव कराने की अनुमित मिल गई है। सरकार जल्द ही चुनाव का नया कार्यक्रम जारी करेंगी। बता दें कि हरिद्वार को छोड़कर प्रदेश के हरिद्वार को छोड़कर 12 जिलों में ही त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराया जाएगा।

उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने 23 जून को पंचायती चुनावों पर लगे स्टे को वापस ले लिया गया है। खंडपीठ ने सरकार को तीन हफ्ते में जवाब देने को कहा है जबकि चुनाव आयोग से निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार चुनाव कराने को कहा गया है।

आज बागेश्वर निवासी याचिकाकर्ता गणेश दत्त कांडपाल के अधिवक्ता शोभित सहारिया ने आरक्षण संबंधी याचिका में सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने 25 जून से शुरू होने वाले चुनाव को सामान्य प्रक्रिया में कराने को कह दिया है।

आज हुई सुनवाई में पंचायत चुनाव में बदलाव संबंधी आपत्तियों व अन्य के आधार पर लगभग 40 याचिकाएं दायर हो गई हैं। इसमें, हर्ष प्रीतम सिंह, गंभीर सिंह चौहान, रामेश्वर, मो.सुहेल, सोबेन्द्र सिंह पड़ियार, प्रेम सिंह, विककार सिंह बाहेर, धर्मेंद्र सिंह, पंकज कुमार आदि की याचिकाएं बीरेंद्र सिंह बुटोला व गणेश दत्त कांडपाल की मूल याचिकाओं के साथ जोड़कर सुनी गई।

एक याची की तरफ से अधिवक्ता आदित्य सिंह ने विधानसभा डोईवाला के आरक्षण पर सवाल उठाए। उन्होंने ब्लॉक के नोटिफिकेशन पर बोलते हुए कहा कि में ग्राम पंचायत में दिए आरक्षण के लिए आया हूँ और वहां 63 प्रतिशत सीट आरक्षित हैं। हालांकि, न्यायालय ने ये कहते हुए उनकी पैरवी को अस्वीकार कर दिया की वो आरक्षण में सामान्य महिला को जोड़ कर बता रहे हैं।

नियम के अनुसार एस.सी., एस.टी.और ओ.बी.सी.के अलावा बाकी हिस्सा सामान्य वर्ग को दिया जाता है। पंचायत चुनाव को लेकर अब सरकार क्या तिथियां नियत करती हैं, यह जल्द तय हो जाएगा।

नैनीताल/देहरादून। उत्तराखंड हाईकोर्ट में पंचायत चुनावों में आरक्षण और चुनाव नियमावली को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई गुरुवार को भी जारी है। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सरकार से पूछा कि किन-किन सीटों पर आरक्षण में बदलाव किया गया है और कितनी सीटों पर आरक्षण रिपीट किया गया है।सरकार की ओर से बुधवार को नियमावली को सही बताते हुए पंचायत चुनावों पर लगी रोक हटाने की मांग की गई थी। इस पर कोर्ट ने सवाल उठाया कि क्या पिछली आरक्षण सूची को दरकिनार करना उचित है?

इसके साथ ही कोर्ट ने जारी गजट नोटिफिकेशन की वैधता पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने पूछा कि क्या यह गजट ‘सामान्य खंड अधिनियम’, ‘रूल 22’ और ‘उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम 2016’ की धारा 126 के प्रावधानों के अनुसार है? यदि नहीं, तो यह गजट भी कानून के विपरीत माना जाएगा।

कोर्ट ने जनसंख्या के आधार पर आरक्षण तय करने की प्रक्रिया पर भी प्रश्नचिन्ह लगाया। पीठ ने पूछा कि आखिर जनसंख्या के आधार पर आरक्षण कैसे लागू किया जा रहा है?

बता दें कि उत्तराखंड हाईकोर्ट पंचायत चुनावों में आरक्षण और चुनाव नियमावली को लेकर दायर याचिकाओं पर लगातार सुनवाई कर रहा है। इस मामले में फिलहाल चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगी हुई है।

नैनीताल/ देहरादून। उत्तराखण्ड के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर असमंजस बरकरार है।
हाईकोर्ट ने कहा कि वह चुनाव नहीं टालना चाहती। लेकिन सरकार पहले पंचायत चुनाव से जुड़ी विसंगतियों को ठीक करे।बुधवार को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने पंचायत चुनाव से जुड़े आरक्षण क्व मसले पर महाधिवक्ता समेत याचिका कर्ताओं के वकीलों के तर्कों को गौर से सुना। गुरुवार को भी इस मुद्दे पर सुनवाई जारी रहेगी। इस मुद्दे पर दोपहर 2 बजे बाद हुई सुनवाई चार बजे तक चली। कोर्ट ने कहा कि सरकार सभी आशंकाओं का समाधान करते हुए गुरुवार को आवश्यक दस्तावेज पेश करें।

कोर्ट ने पंचायत आरक्षण से जुड़े नक्शे को भी पेश करने को कहा। कोर्ट ने हर पांच साल में पंचायत के आरक्षण से जुड़ी नियमावली में संशोधन पर भी आश्चर्य जताया। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि बागेश्वर से सीट के आरक्षण में रोस्टर नहीं अपनाए जाने सम्बन्धी याचिका ने कई अन्य गलतियों को भी उजागर कर दिया है। किसी एक हिस्से में कई गयी गलती पूरा चुनाव रोकने के लिए काफी होती है। जबकि सरकारी वकील एक याचिका में उठाये गए बिंदुओं से पूरे चुनाव को नहीं रोके जाने के पक्ष में दलील दी रहे थे।

हालांकि, महाधिवक्ता ने सरकारी मशीनरी व खर्चे का मसला उठाते हुए चुनाव प्रक्रिया से रोक हटाने की अपील की। लेकिन कोर्ट ने कहा कि गुरुवार की सुबह इस मुद्दे पर पूरे तथ्य के साथ आएं।

बुधवार को हाईकोर्ट की कार्यवाही से साफ हो गया है कि कोर्ट ने आरक्षण के रोस्टर समेत अन्य बिंदुओं पर सरकार को एक और मौका दिया है। अब एक रात की मेहनत के बाद राज्य की नौकरशाही सरकारी वकीलों को आवश्यक दस्तावेज मुहैया करा देती है। और फिर अगर कोर्ट राज्य सरकार के तथ्यों से संतुष्ट होती है तो यह भाजपा के लिए सुकून की बात होगी।

गौरतलब है कि पदों के आरक्षण और आबंटन के संबंध में पंचायत राज अधिनियम की धारा 126 के उल्लिखित प्रावधानों के अंतर्गत नियमावली बना कर उसे नोटिफाइड करना था लेकिन सरकार ने नियमावली बना कर नोटिफाइड करवाने के बजाय शासनादेश संख्या 822 जारी करके इतिश्री कर दी।बिना विधानसभा में लाए शासनादेश मान्य नहीं होगा ।

 

 

 

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर लगी रोक बरकरार रहेगी, बुधवार को स्टे वेकेशन समेत अन्य संबंधित मामलों में होगी सुनवाई।
आज सरकार ने मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ के समक्ष मामले को मेंशन किया।

खंडपीठ ने मामले में कल सुनवाई के लिए दोपहर का समय दिया है। मामले में सभी याचिकाओं को क्लब कर कल से सुनवाई होगी।

मामले के अनुसार, बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि सरकार ने 9 जून 2025 को एक आदेश जारी कर पंचायत चुनाव हेतु नई नियमावली बनाई साथ ही 11जून को आदेश जारी कर अब तक पंचायत चुनाव हेतु लागू आरक्षण रोटशन को शून्य घोषित करते हुए इस वर्ष से नया रोटशन लागू करने का निर्णय लिया है । जबकि हाईकोर्ट ने पहले से ही इस मामले में दिशा निर्देश दिए हैं।