डोईवाला: कांग्रेस के फैसले से राजनीतिक चक्रव्यूह में फंसता दिख रहा पुरोहित परिवार ?

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पुरोहित परिवार ने दिन देखी ना रात, करता रहा हरीश रावत जिंदाबाद

देहरादून। डोईवाला विधानसभा सीट पर हेमा पुरोहित कांग्रेस पार्टी की ऐसी सिपाही रही है जो ना दिन देखी ना रात बस कांग्रेस के झंडे को उठा कर कांग्रेस को मजबूत करने में अपने सैंकडों समर्थकों संग जुटी रही। इसके लिए वह कोरोना काल मे तब भी भयभीत नही हुई जब लोग घरों में दुबके रहते थे। तब भी ‘हाई रिस्क’ लेते हुए हेमा पुरोहित पूरे परिवार के साथ घर से बाहर निकली। उन्होंने लोगों के लिए अन्न व वस्त्र के भंडार खोल दिए। साथ ही पुरोहित परिवार हर मदद पाने वाले को बताया करता था कि वह यह सब बाबू जी (हरीश रावत ) के दिशा निर्देश पर आप सबकी मदद कर रहे हैं। इससे जहां हेमा पुरोहित को आशीष प्राप्त होते रहे, वही मदद पाने वाले लोग बाबू जी ( हरीश रावत ) को भी दुनिया भर के आशीष देते रहे।

पुरोहित परिवार ने कांग्रेस पार्टी को आगे बढ़ाने का एक भी अवसर अपने हाथ से नहीं जाने दिया। उन्होंने क्षेत्र में सुस्त पडी कांग्रेस को प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के खिलाफ लाकर खड़ा कर दिया। हेमा पुरोहित ने डोईवाला विधानसभा सीट पर बगैर चुनावी माहौल के ही कांग्रेस पार्टी के अनेक बार जय जयकार के नारे लगवा दिये। कोरोनाकाल में इस पविवार ने हजारों लोगों को कंबल व भोजन बांट करके पुण्य कमाने के साथ ही क्षेत्र में कांग्रेस की राजनीतिक जड़ों को उसका जनाधार बढा करके मजबूत किया। साथ ही हेमा पुरोहित ने यहां पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत को भी जनता में कड़ी चुनौती दी। और यह सब कुछ हेमा पुरोहित तब कर रही थी जब उन्हें बाबू जी से बार-बार डोईवाला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाये जाने का आश्वासन मिल रहा था।

पुरोहित के लिए बाबू जी के मुंह से निकले शब्द ब्रहमवाक्य जैसै
पुरोहित परिवार हरीश रावत को भावनात्मक रूप से धरती पर अपने सबसे बड़े प्रेरणा स्रोत व शक्तिपुंज के रूप में मानता रहा है। उनके लिए हरीश रावत से मिला आश्वासन ब्रह्मवाक्य जैसा था। मगर आखिर में राजनीति चक्र ऐसा चला कि सब कुछ गुड गोबर होता दिख रहा है। ना नुकर एवं डोईवाला से टिकट मांग रहे अन्य दावेदारों के विरोध के बावजूद कांग्रेस अब उन्हीं डा0 हरक सिंह रावत को पार्टी में लाकर डोईवाला विधानसभा से चुनाव लड़ाने को तैयार दिख रही है जिन्होंने वर्ष 2016 में कांग्रेस और हरीश रावत को बहुत गहरा जख्म दिया है।

राजनीतिक कुचक्र (चक्रव्यूह) मे फंस गया है पुरोहित परिवार
अब यह परिवार एक तरह से राजनीतिक चक्रव्यूह में फंस गया है। अब पुरोहित परिवार हरीश रावत व पार्टी के दिशा निर्देशन पर किस तरह से डा0 हरक सिंह रावत को वोट देने की अपील जनता से करेगा ? ऐसा वह कर नहीं सकते। तब क्या यह परिवार हरीश रावत के खिलाफ जाएगा, जिनके मुंह से निकले हुए हर वाक्य को वह अब तक ब्राह्मवाक्य मानता रहा है ? संभवत ऐसा भी यह परिवार करना नहीं चाहेगा। ऐसे में हेमा का परिवार राजनीति के अभिमन्यु की तरह चक्रव्यूह में फंस गया लगता है ? आखिर अब हेमा पुरोहित एवं उनके समर्थक क्या करेगे ? यह देखना दिलचस्प होगा। बहरहाल वह अपने राजनीतिक दौर के सबसे निराशाजनक व उदासीन पलों में फंसे हैं, जिससे बाहर निकलना हेमा एवं उनके समर्थकों के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। सैंकडों समर्थकों के साथ ही अन्य लोगों की निगाहें अब उनके अगले फैसले पर लगी है।

बहरहाल, यहां की जनता यह कहने को विवश है कि जब हेमा पुरोहित हरीश रावत एवं कांग्रेस के प्रति इतना समर्पण रख कर के काम कर रही थी फिर उनके प्रति ऐसा व्यवहार क्यों ? जनता का कहना है कि डॉ0 हरक सिंह रावत तो प्रदेश के कद्दावर एवं बड़े जनाधार वाले नेता है वह तो प्रदेश की किसी भी सीट से चुनाव लड़ कर जीतने का माद्दा रखते हैं। बहरहाल इस घटनाक्रम से कांग्रेस की विश्वसनीयता निश्चित तौर से घटी है, अब इसका कितना नुकसान कांग्रेस को होगा या फिर कोई पुरोहित परिवार कांग्रेस के लिए इस तरह से अपने सर धड़ की बाजी लगा कर काम करेगा। यह सब कुछ वैसा ही है जैसा गुरु द्रोणाचार्य ने महाभारत के युद्ध में एकलव्य को भाग लेने से रोकने के लिए उसका अंगूठा ही मांग लिया था। हेमा भी यहां पर एकलव्य जैसी विवश सूरमा बन कर रह गई लगती है। जिसे कांग्रेस ने चुनावी मैदान में दो-दो हाथ करने का अवसर ही नहीं दिया।

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