देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस में विधान सभा चुनाव के दौरान उपजी आपसी कड़वाहट और नए प्रदेशाध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष को लेकर हुई नाराजगी और गुटबाजी अभी भी थमने का नाम नहीं ले रही। आपको बता दें विधानसभा चुनाव के बाद से भी लगातार कांग्रेस मे गुटबाजी और आरोप प्रत्यारोप का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। ये हम नहीं कह रहे बल्कि दो दिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के कार्यभार संभालने के वक्त मौजूद विधायकों की संख्या बयान कर रही है। आपको बता दें की कांग्रेस के नये प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा की ताजपोशी मे कांग्रेस के 19 विधायकों में से केवल आठ ही उनके कार्यक्रम में दिखे और 11 नदारद रहे. ये नाराजगी नहीं तो क्या है? कांग्रेस कह रही है उनकी व्यस्तता न आने का कारण बनी तो क्या 11 विधायक एक साथ व्यस्त थे?
सोमवार को कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष ने कार्यभार ग्रहण कर लिया है और उस प्रोग्राम मे भी कांग्रेस के कई दिग्गज नदारद दिखे यानि कांग्रेस अपने लोगों में एकता और सामंजय स्थापित नहीं कर पा रही है। आपको बता दें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को लेकर कांग्रेस के विधायकों में नाराजगी है। धारचूला से कांग्रेस के विधायक हरीश धामी खुलेआम बगावती तेवर अपनाए हुए हैं। कांग्रेस आलाकमान के निर्देश पर नाराज विधायकों को मनाया जा रहा है और पार्टी को अभी तक पूरी तरह से इसमें सफलता नहीं मिली है। नेता प्रतिपक्ष के पदभार ग्रहण कार्यक्रम में आधे विधायकों का गायब होना, इस बात की तरफ इशारा कर रहा है कि कांग्रेस में अभी भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। जिसे कांग्रेस मानने को तैयार नहीं है और आगे भी इसका नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है।
एक तरफ जहां कांग्रेस से विधायक नाराज़ हैं वहीं माना जा रहा है की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी विधानसभा की चम्पावत सीट से उप चुनाव लड़ेंगे। सूत्रों के मुताबिक भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने इसके लिए धामी को हरी झंडी दे दी है। धामी ने अपने तीन दिनी दिल्ली दौरे के दौरान इस संबंध में केंद्रीय नेताओं के साथ मंथन किया। वर्तमान में चम्पावत से कैलाश गहतौड़ी भाजपा के विधायक हैं और उन्होंने ही सबसे पहले मुख्यमंत्री के लिए अपनी सीट छोडऩे की पेशकश की थी। गहतौड़ी दो-तीन दिन में देहरादून पहुंचकर विधानसभा अध्यक्ष को अपना त्यागपत्र सौंपेंगे। उधर, विधायक गहतौड़ी ने कहा कि उनकी तरफ से सीट छोडऩा फाइनल है। अब निर्णय पार्टी संगठन और मुख्यमंत्री को लेना है। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री चम्पावत से विधायक होंगे तो क्षेत्र में विकास की बयार बहेगी। मुख्यमंत्री यहां आते हैं तो उनके लिए 10 बार की विधायकी भी कुर्बान होगी। हालांकि धारचूला से कांग्रेस के विधायक हरीश धामी ये कह चुके हैं की अगर जनता कहेगी तो वो सीएम धामी के लिये अपनी सीट छोड़ देंगे। यानि सत्ता पक्ष को चुनाव लड़ने के लिये विपक्ष का यानि कांग्रेस का विधायक सीट छोड़ने के लिये तैयार है तो आप सोच सकते हैं की कांग्रेस के नेताओं और विधायकों मे आपसी अंतर्कलह किस कदर हावी होगी।