भारतीय संस्कृति ही हमें ‘वसुधैव कुटुम्ब’ जैसे महान ओर सौहार्दपूर्ण आचरण का पाठ पढ़ाती…!

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जाती,धर्म के नाम पर भड़काने वाले हर व्यक्ति से दूर रहना होगा…

पिछले कुछ वर्ष और समय से जो हालात हम देख रहे हैं वह किसी भी प्रकार से अच्छा नही है,एक दूसरे से इतनी नफऱत हमेशा मानवता के लिए दुख दायक होती है।

हमे इंसान बनकर इंसानियत को ध्यान रखना होंगा..! देश में जातीय और सांप्रदायिक सौहार्द बढ़ाने के लिए हम सभी भारतीयों को अपने राष्ट्रीय मूल कर्तव्य पूरे करने होंगे और साथ मिल कर कदम उठाने होंगे।

इसके लिए हमे अपने समाज अपने शहर को ही देश का एक छोटा प्रारूप मानना होगा, क्योंकि शहर और समाज में सौहार्द बढ़ेगा तो देश मे सौहार्द बढ़ेगा। इसके लिए जाति, धर्म के नाम पर भड़काने वाले हर व्यक्ति से दूर रहना होगा। हमें अपने आसपास में रहने वाले अपने मित्र, पड़ोसी से अच्छे व्यवहार रखने होंगे।

हमारी संस्कृति ही हमें ‘वसुधैव कुटुंबकम’ जैसे महान ओर सौहार्दपूर्ण आचरण का पाठ पढ़ाती है।

किसी व्यक्ति के लिए कोई राय उसकी जाति, धर्म, रंग, नस्ल के आधार पर नही बनाएं। शांति और सौहार्द बिगाड़ने वाली कोई घटना होने पर हमें उसका दोष धर्म, जाति को न देकर उन असामाजिक तत्त्वों को देना होगा और पुलिस को भी बिना किसी दबाव को माने उन पर कड़ी कार्रवाई करनी होगी।

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