राज्य में इस बार के चुनाव में दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों कांग्रेस और भाजपा में बड़े स्तर पर बगावत हुई है। दोनों दलों के कई नेताओं ने टिकट वितरण से असंतुष्ट होकर चुनाव मैदान में बागी बनकर ताल ठोक रखी है।
देहरादून। उत्तराखंड में आगामी 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव में बागियों ने एक दर्जन से अधिक सीटों पर कांग्रेस और भाजपा को परेशानी में डाल रखा है। दोनों ही दलों को इन सीटों पर बागियों की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिससे इन सीटों पर पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों की दिक्कतें बढ़ी हुई नजर आ रही है। भारतीय जनता पार्टी को इस बार अधिक सीटों पर बगावत का सामना करना पड़ रहा है। जिसके चलते पार्टी के चुनावी रणनीतिकारों के साथ ही प्रत्याशियों की भी टेशन बढ़ी हुई है। हालांकि दोनों ही दलों ने बगावत करने वालों के खिलाफ एक्शन भी लिया है लेकिन उसके बावजूद कांग्रेस भाजपा को बागियों की वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
बागी प्रत्याशियों की वजह से भाजपा 9 सीटों पर उलझी हुई है जिनमें धर्मपुर में वीर सिंह पवार, कैंट से दिनेश रावत, डोईवाला में जितेंद्र नेगी, कोटद्वार में धीरेंद्र चौहान, रुद्रपुर से राजकुमार ठुकराल, भीमताल से मनोज शाह, धनोल्टी से महावीर रागंड, घनसाली से दर्शन लाल और लाल कुआं से पवन चौहान पार्टी के प्रत्याशियों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं।
वहीं कांग्रेस को भी मुख्य रूप से 5 सीटों पर बागियों की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। यमुनोत्री सीट पर संजय डोभाल, रुद्रप्रयाग में मातबर सिंह कंडारी, घनसाली में भीम लाल आर्य, रामनगर में संजय नेगी और लालकुआं पर संध्या डालाकोटी ने पार्टी के प्रत्याशियों को मुश्किल में डाला हुआ है। जिसके चलते कई सीटों के चुनाव परिणाम प्रभावित हो सकते हैं। और इसका सीधा सीधा नुकसान सरकार बनाने की जुगत में लगी इन दोनों पार्टियों को उठाना पड़ सकता है।