करोड़ों रुपए के रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में मुख्य आरोपी केपी सिंह की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत

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देहरादून। कऱोडों की जमीनों के दस्तावेज बदलने के खेल में माहिर खिलाड़ी केपी सिंह उर्फ कंवरपाल सिंह की सहारनपुर जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। हाल ही में उत्तराखंड पुलिस ने करीब 100 करोड़ो से ज्यादा का बहुचर्चित रजिस्ट्री घोटाले में केपी सिंह को पीसीआर पर दून लाया था। इस दौरान केपी सिंह ने अहम राज उगले थे, जो अब केपी सिंह की मौत के बाद दफन हो जाएंगे। इसके अलावा उत्तराखंड में रिकॉर्ड रूम में जमीनों के दस्तावेजों को बदलने में माहिर केपी कई सफेदपोशों और अफसरों के राजदार भी थे। ऐसे में केपी सिंह की मौत हुई या हत्या की गई, इस पर चर्चाएं शुरू हो गई है।

उत्तराखंड में चर्चित रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के मुख्य आरोपित में से एक केपी (कंवर पाल) सिंह की आज संदिग्ध परिस्थितियों में सहारनपुर जेल में मौत हो गई। उनकी मौत की खबर मिलते ही फिजाओं में कई सवाल तैरने लगे हैं। खासकर हाल में देहरादून में करोड़ों रुपये की जमीनों के दस्तावेज बदलने के खेल में केपी सिंह की अहम भूमिका थी। इसी मामले में केपी सिंह को दून पुलिस 08 सितंबर को बी-वारंट पर दून भी लाई थी। यहां उससे रजिस्ट्री फर्जीवाड़े पर तमाम साक्ष्य पुलिस ने बरामद किए गए थ। उस दौरान केपी सिंह ने जमीनों के फर्जीवाड़े में कई सफेदपोशों और विवादित अफसरों के नाम शामिल होने की बात भी सामने आई थी। पुलिस अभी इस दिशा में काम कर रही थी कि अचानक केपी सिंह की मौत की खबर ने कुछ को खुश और कुछ को गम दे दिया। हालांकि पुलिस का दावा है कि केपी सिंह से रिमांड के दौरान पुख्ता सबूत एकत्रित कर लिए थे। लेकिन अभी कुछ जमीनों के दस्तावेज की जानकारी केपी सिंह के पास थी। अब चर्चाएं शुरू हो गई कि यदि केपी सिंह की मौत स्वाभाविक हुई तो भी मामला संदिग्ध है। पूरे मामले की जांच की जानी चाहिए। इधर, केपी सिंह के नाम पर दून और सहारनपुर में कई मुकदमे हैं। ऐसे में केपी सिंह की मौत से उन मुकदमों के प्रभावित होने की प्रबल संभावना है। बहरहाल केपी सिंह की मौत के बाद कई अपराधियों के राज दफन हो सकते हैं, इसे लेकर भी चर्चाएं शुरू हो गई है।

अब कमल विरमानी पर टिकी रजिस्ट्री फर्जीवाड़े की जांच
देहरादून में डीएम दफ्तर के रिकॉर्ड रूम से दूसरों की जमीनों के दस्तावेजों को बदलकर अपने नाम दर्ज करने का खेल लम्बे समय से चल रहा था। इस मामले में सहारनपुर निवासी केपी सिंह और जेल में बंद चल रहे कमल विरमानी का नाम सबसे टॉप में है। जबकि गिरोह के बाकी सदस्य अलग अलग भूमिका निभाते थे। लेकिन केपी सिंह की मौत के बाद अब रजिस्ट्री फर्जीवाड़े की जांच कमल विरमानी और उसके करीबियों के आसपास चलेगी। इसके अलावा अब तक कितनी रजिस्ट्री बदली गई, इसके बारे में केपी सिंह के बाद कमल विरामनी को सबसे ज्यादा जानकारी बताई जा रही है।

सहारनपुर से दून तक था केपी सिंह का साम्राज्य
जमीनों के खेल में केपी सिंह बड़ा नाम है। यूपी के जमाने मे देहरादून की तहसील सहारनपुर होने का बड़ा फायदा केपी सिंह ने उठाया। जमीनों के सारे रिकॉर्ड सहारनपुर में थे। ऐसे में केपी सिंह ने आसानी से जमीनों का रिकॉर्ड खंगाल कर दून में काम करने वाले अपने गुर्गों के बल पर ऐसी जमीनें तलाशी जो लम्बे समय से खाली पड़ी हैं या जिस जमीन का कोई असली वारिश नहीं है। सूत्रों का कहना है कि केपी सिंह ने दून में अरबों की जमीनों का फर्जीवाड़ा किया है।