उत्तरकाशीः चारधाम ऑलवेदर परियोजना की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों की जिंदगी बचाने के लिए बचाव अभियान आज सफल हुआ। उत्तरकाशी टनल हादसे में 17वें दिन बड़ी सफलता मिली है। आखिरकार टनल में फंसे 41 मजदूरों को सही सलामत बाहर निकालने का काम आखिरी पड़ाव पर है।
मंगलवार को सुरंग में ब्रेकथ्रू हुआ और स्केप टनल के जरिए मजदूरों को बाहर निकाला जा रहा है। अबतक 15 श्रमिकों को बाहर निकाला गया है। बताया गया कि बचाव टीम को 57 मीटर पर मिला ब्रेकथ्रू। मुख्य सुरंग के भीतर चिकित्सकों की टीम श्रमिकों का स्वास्थ्य परीक्षण कर रही है। केंद्रीय राज्य मंत्री वीके सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बाहर निकाले गए श्रमिकों से बातचीत कर रहे हैं।
देहरादून। उत्तराखंड में इस वक्त उत्तरकाशी से सबसे बड़ी खबर आ रही है टनल में फंसे मज़दूरों को बाहर निकालने का रेस्क्यू ऑपरेशन लगभग लगभग पूरा हो चुका है। टनल के रास्ते अब से थोड़ी ही देर में मजदूरों को बाहर निकाला जाएगा। आज 17 वे दिन रेस्क्यू ऑपरेशन होने जा रहा है पूरा।
किसी भी वक़्त टनल खुल सकती है. केंद्रीय मंत्री वीके सिंह सहित बड़े अधिकारी टनल के भीतर गए हैं. एनडीआरएफ के जवान भीतर जा रहे हैं. स्ट्रेचर, गद्दे और बेड टनल के भीतर ले जाये जा रहे हैं. माइक्रो टनलिंग विशेषज्ञ क्रिस कूपर का कहना है कि हम शाम 5 बजे तक कुछ परिणाम देखने की उम्मीद कर रहे हैं। 2-3 मीटर बचे हैं। सेना के रैट माइनर लगातार खुदाई का काम कर रहे हैं।
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के एक-एक जवान अंदर जाएंगे और एक-एक करके 41 मजूदरों को बाहर लाया जाएगा. इसके बाद उनका चैप अप किया जाएगा।
उत्तरकाशी में टनल आर-पार हो गई है. पाइप मजदूरों तक पहुंच गया है. अब जल्द ही मजदूरों को बाहर निकालने का काम शुरू किया जाएगा. टनल के बाहर एंबुलेंस लगाई गई हैं. बचावकर्मियों ने विक्ट्री साइन दिखाया है।
रैट माइनर्स के काम की रफ्तार सबको चौंका रही है। माना जा रहा था कि रैट माइनर्स का काम थोड़ा धीमा हो सकता है। लेकिन, जिस तेजी से रैट माइनर्स ने पाइप के भीतर जाकर मिट्टी को चूहों की तरह खोदा, वह सबको हैरान कर रहा है। माना जा रहा है कि डेढ़-दो घंटों के बीच अच्छी खबर आ सकती है और 41 जिंदगियां बाहर आएंगी। जिन 41 जिंदगियों को पिछले 17 दिनों से इंतजार कर रहे हैं, आखिर अब वो इंतजार खत्म होने वाला है। रैट माइनर्स की खुदाई के बाद पाइप 57 मीटर पर आर-पार हो गया है। पाइप भले ही आर-पार पहुंच गया हो, लेकिन अब भी मजदूरों को बाहर निकालने में कुछ घंटे का समय लग सकता है।
उत्तरकाशी के टनल टनल रेस्क्यू से जुड़ी बुरी खबर सामने आई है। ऑर्गेर मशीन के पार्ट टूटने से रुका रेस्क्यू, मशीन में हुआ भारी नुकसान, अब प्लान B और प्लान C के तहत काम हुआ शुरू। टनल के ऊपर वर्टिकल ड्रिलिंग कर किया जाएगा रेस्क्यू।
उत्तरकाशी में चल रही हाई लेवल मीटिंग, दिल्ली से भेजे गए हैं दो एक्सपट्र्स।
टनल के अंदर फँसी 41 जिंदगियों को अभी और करना होगा इंतजार।
उत्तराखंड स्थित उत्तरकाशी के सिल्क्यारा सुरंग हादसे में एक बार फिर देरी हो रही है. सूत्र से मिली जानकारी के मुताबिक जिस पाइप को अंदर भेजा जा रहा था उसके आगे का हिस्सा लोहे की सरिया से टकराकर मुड़ गया था लिहाजा अब उस आगे के हिस्से को गैस कटर से काटकर अलग किया जा रहा है.
बाद में उस हिस्से को छोटी-छोटी टुकड़ों में काट कर पाइप से वापस निकाला जाएगा. इसके चलते पाइप को अंदर भेजने की प्रक्रिया फिलहाल के लिए रुकी हुई है.
800 एमएम के पाइप को भीतर डालते वक्त सामने आए लोहे की रॉड आने की वजह से पाइप थोड़ा श्रिंक कर गया है. इसके चलते उसे आगे बढ़ाने में समस्या आ रही है. इसके लिए एक्सपर्ट की टीम बुलाई गई है, जो पाइप के शेप को दुरुस्त करके उसे दोबारा अंदर डालने का काम करेगी.
दूसरी ओर चिकित्सा उपकरण सिल्कयारा सुरंग स्थल पर पहुंच गए हैं. उत्तरकाशी के डीएम अभिषेक रूहेला घटनास्थल पर पहुंचे, जहां 12 नवंबर को सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने के बाद फंसे हुए 41 श्रमिकों को बचाने के लिए बचाव अभियान जारी है.
इससे पहले रेस्क्यू ऑपरेशन टीम के सदस्य गिरीश सिंह रावत ने कहा, “रेस्क्यू ऑपरेशन लगभग आखिरी चरण में है.पाइपलाइन ड्रिलिंग में जो दिक्कत आई थी उसे दूर कर लिया गया है. मलबे में फंसे स्टील के टुकड़ों को काटकर निकाल लिया गया है.पाइपलाइन डालने की प्रक्रिया चल रही है.”
रेस्क्यू टीम के सदस्य हरपाल सिंह ने बताया था, “44 मीटर तक पाइप जा चुका है, 12 मीटर तक और जाना है.मलबे में कुछ स्टील के टुकड़े आ गए हैं और अब उनको काटा जा रहा है.लगभग एक घंटे में इन्हें काट लिया जाएगा.सुबह करीब 8 बजे तक ऑपरेशन पूरा हो जाएगा.”
उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में रात में हलचल बढ़ी है। ऐंबुलेंस, ऑक्सीजन और बेड की तैयारी देखकर उम्मीद जताई जा रही है कि रात में ही 41 श्रमिकों को सुरंग से बाहर निकाल लिया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि, “सिलक्यारा टनल में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए युद्ध स्तर पर जारी रेस्क्यू ऑपरेशन के स्थलीय निरीक्षण हेतु उत्तरकाशी पहुंच रहा हूं.” वहीं अभी से ही हेलीपैड पर 41 एंबुलेंस को तैनात कर दिया है. सभी एबुलेंस पर डॉक्टरों की एक टीम मौजूद है, क्योंकि मजदूरों की संख्या 41 है, इसलिए एंबुलेंस भी 41 ही मंगवाई गई हैं।
सूत्रो की मानें तो जैसे ही मजदूरों को टनल से रेस्क्यू कर बाहर लाया जाएगा, उसी वक्त आतिशबाजी के साथ उनका स्वागत किया जाएगा. बता दें कि सभी 41 मजदूर दिवाली के दिन से ही टनल में फंसे थे, जिसके चलते उनकी और उनके परिवार, साथ ही रेस्क्यू में जुटी टीमों की दिवाली नहीं मनी थी, जिसको देखते हुए आज सफल रेस्क्यू होने पर बाहर दिवाली मनाए जाने की संभावना है. वहीं एनडीआरएफ के 10 से 12 जवान रस्सी, स्ट्रेचर और ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर टनल के अंदर जाते दिखाई दिए हैं. इससे ये साफ है कि जल्द ही रेस्क्यू को सफलतापूर्वक खत्म किया जाएगा और अंदर फंसे मजदूर बाहर आ जाएंगे।
बाहर निकालने के बाद तुरंत ही सभी मजदूरों को सीधे चिन्यालीसौड़ ले जाया जाएगा, जिसकी तैयारी की जा रही है। NDRF ने भी बचाव की ब्रीफिंग शुरू कर दी है। टनल में फंसे 41 मजदूरों को एनडीआरएफ के जवान ही टनल से बाहर निकालेंगे। टनल के बाहर प्राथमिक उपचार की भी तैयारी तेज कर दी गई है। टनल के बाहर अस्थायी अस्पताल तैयार है।श्रमिकों को एयरलिफ्ट करके एम्स ले जाया जा सकता है। उत्तरकाशी जिला अस्पताल में भी 45 बेड अलग से रिजर्व कर दिए गए हैं। सुरंग स्थल के पास एंबुलेंस भी तैनात किए गए हैं।
सुरंग में फंसे सभी श्रमिक स्वस्थ और सुरक्षित – डॉ. नीरज खैरवाल
देहरादून। पिछले एक सप्ताह से उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा में निर्माणधीन टनल में फंसे 41 मजदूर को निकालने का प्रयास लगातार जारी है। ताज़ा जानकारी के मुताबिक अब टनल के बराबर में एक और टनल बनाकर मजदूरों को निकालने का प्रयास, दूसरा टनल के ऊपर से ड्रिलिंग कर मजदूरों को निकालने का काम शुरू हो चुका है। केंद्रीय परिवहन व सड़क मंत्री नितिन गडकरी भी आज रेस्क्यू अभियान का निरीक्षण करने धरातल पर पहुंचेंगे। उनके साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत कई विशेषज्ञ भी रहेंगे।
देहरादून। उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा टनल में पिछले 6 दिन से फंसे मजदूरों को अभी तक बाहर नहीं निकाला जा सका है। मजबूत रणनीति नहीं होने के चलते तमाम प्रयास बार-बार फेल हो रहे हैं। हर आधुनिक मशीन के उपयोग से लेकर मॉक ड्रिल तक का दावा शासन प्रशासन द्वारा किया जा चुका है। परंतु बावजूद इसके अभी तक मजदूरों को बाहर निकालने में सफलता नहीं मिल पाई है। जिसके चलते उत्तराखंड समेत देशभर की नजरे इस हादसे पर बनी हुई है। हर कोई ईश्वर से यही प्रार्थना कर रहा है कि इन मजदूरों को सब कुशल टनल से बाहर निकाला जा सके।
घटनास्थल से एक के बाद एक मीडिया ब्रीफिंग की जा रही है। परंतु कोई भी अधिकारी यह जवाब देने में सक्षम नहीं है कि आखिर वह कब तक इन मजदूरों को बाहर निकाल सकेंगे। ऐसे में इन मजदूरों के परिजनों समेत पूरे देश की चिंताएं बढ़ना स्वाभाविक है। एक तरफ जहां हम विश्व गुरु बनने का दावा करते हैं। वहीं 40 मजदूरों को 6 दिन बाद भी सकुशल टनल से नहीं निकलने पर हमारी एक क्षमताओं पर भी सवाल उठने लगे हैं। अब इस मामले में विपक्ष भी हमलावर होता जा रहा है। कल शुक्रवार को कांग्रेस की वरिष्ठ नेता केंद्र सरकार को पत्र लिखकर प्रदेश में चल रही सुरंग निर्माण योजनाओं को तत्काल बंद करने तक की मांग तक कर चुकी है। विपक्ष के नेता भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अव्यवस्थाओं के खिलाफ आवाज भी उठाने लगे है।
सिलक्यारा टनल के निर्माण और व्यवस्था के प्रति लापरवाही की बातें लगातार सामने आ रही है। छठवें दिन निर्माण कंपनी को पता चला कि टनल के भीतर 40 नहीं बल्कि 41 मजदूर फंसे हुए हैं। अधिकृत रूप से जारी की गई मजदूरों की सूची में इसका खुलासा हुआ। 41 वें मजदूर के रूप में बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी दीपक कुमार पुत्र शत्रुघ्न पटेल की पहचान हुई है। दीपक को मिलाकर टनल में फंसे बिहार के मजदूरों की संख्या अब पांच हो गई है। सिलक्यारा सुरंग में पाइप टनल बनाकर अंदर फंसे मजदूरों तक जल्द पहुंचने की उम्मीदों को तब झटका लग गया, जब शुक्रवार सुबह साढ़े नौ बजे ऑगर मशीन में तकनीकी खराबी आ गई। मशीन से मलबे के भीतर करीब 22 मीटर तक एस्केप टनल बना ली गई थी जबकि लगभग 40 मीटर काम बाकी था। इस मशीन को ठीक करने के साथ एहतियात के तौर पर इंदौर से एक और मशीन मंगाई जा रही है। इसके अलावा प्लान सी के तहत टनल ऊपर से ड्रिलिंग कर मजदूरों तक पहुंचने का भी प्रयास किया जा सकता है।