देहरादून। नगर निगम की टीम द्वारा शुक्रवार को एक बार फिर अभियान चलाकर जाखन के बारीघाट कंडोली बस्ती में अतिक्रमण के खिलाफ चलाए गए अभियान में कई घरों को ध्वस्त कर दिया गया। इस अभियान ने न केवल कई परिवारों को बेघर कर दिया, बल्कि भीषण गर्मी में उनके जीवन को और अधिक कठिन बना दिया है। यह घटना इस बात का प्रतीक है कि कैसे अतिक्रमण और उसके खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई स्थानीय लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकती है।
अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई
दहरादून में नगर निगम ने अतिक्रमण हटाने का एक व्यापक अभियान शुरू किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य रिस्पना नदी के किनारे हुए अतिक्रमणों को हटाना है। इस अभियान के तहत शुक्रवार को नगर निगम की टीम ने भारी पुलिस बल के साथ मिलकर अतिक्रमणों को ध्वस्त कर दिया। यह कार्रवाई सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक चली, जिसमें स्थानीय लोगों में हड़कंप मच गया। अपना घर उजड़ता देख कर लोग रोते बिलखते रहे परन्तु उनको सांत्वना देने वाला सत्तापक्ष या विपक्ष का कोई नेता मौके पर मौजूद नहीं था।
एनजीटी के निर्देश और अतिक्रमण की सूची
नगर निगम ने एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) के निर्देशों का पालन करते हुए मार्च 2016 के बाद बने 525 अतिक्रमणों की सूची बनाई थी। इनमें से 89 अतिक्रमण नगर निगम के क्षेत्र में थे, जबकि बाकी एमडीडीए (मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण) और नगर पालिका मसूरी के क्षेत्र में थे। इस कार्रवाई के पहले दिन 35 छोटे और अस्थाई अतिक्रमणों को हटाया गया, जिनमें शौचालय, बाउंड्रीवॉल और टीन शेड शामिल थे।
प्रभावित लोगों की समस्याएँ
अतिक्रमण हटाने की इस कार्रवाई ने सैकड़ों परिवारों को बेघर कर दिया है। भीषण गर्मी के बीच बिना छत के रहना एक बड़ी चुनौती बन गया है। बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए यह समय और भी कठिन हो गया है। अपनी जीवनभर की पूंजी को बर्बाद होते देखना किसी भी व्यक्ति के लिए अत्यंत कष्टदायक है।
बेघर परिवारों की व्यथा
इस अभियान के दौरान, कई परिवारों ने अपने घरों को टूटते हुए देखा। उनकी आँखों में आंसू थे और दिल में भारी दुख। बेघर होने की पीड़ा ने उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से झकझोर कर रख दिया है। बच्चों की पढ़ाई और उनकी सुरक्षा को लेकर माता-पिता बेहद चिंतित हैं। बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए भी यह स्थिति अत्यंत कष्टदायक हो गई है।
नगर निगम की प्रतिक्रिया
नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि यह अभियान आवश्यक था ताकि नदी किनारे के अतिक्रमणों को हटाकर पर्यावरण को संरक्षित किया जा सके। उनका मानना है कि इस कार्रवाई से लंबे समय शहर की भलाई होगी
प्रशासन का पक्ष
नगर निगम और प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई एनजीटी के आदेश के तहत की जा रही है। एनजीटी ने रिस्पना नदी और अन्य नदियों के किनारे बने अतिक्रमणों को हटाने का आदेश दिया था ताकि नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बहाल किया जा सके और जल प्रदूषण को कम किया जा सके। प्रशासन का कहना है कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में प्रभावित लोगों को पुनर्वासित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन प्रभावित लोग इस दावे को खारिज करते हुए कहते हैं कि उनके पुनर्वास के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है।
देहरादून में नगर निगम की अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई ने शहर में एक अभूतपूर्व संकट पैदा कर दिया है। भीषण गर्मी में बेघर हुए लोगों की पीड़ा का कोई अंत नहीं दिख रहा है। प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई एनजीटी के आदेश के तहत की जा रही है, लेकिन प्रभावित लोग पुनर्वास के अभाव में असुरक्षित और असहाय महसूस कर रहे हैं।
इस संकट ने सरकार और जनता के बीच की दूरी को और बढ़ा दिया है। सरकार को चाहिए कि वह जल्द से जल्द बेघर हुए परिवारों के पुनर्वास के लिए ठोस कदम उठाएं ताकि उनकी मुश्किलें कम हो सकें और उन्हें फिर से बसाया जा सके।