बिहार में एक बार फिर राजनीतिक खेला होना तय! नीतीश तेजस्वी के बीच बढ़ी दूरियां

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नीतीश कुमार के बदले अंदाज से तय है कि बिहार में खेला हो चुका है। हालांकि, आरजेडी ने भी साफ कर दिया कि वो इतनी आसानी से तख्तापलट नहीं होने देगी। इसी वजह से सुर्खियों में अवध बिहारी चौधरी का नाम सामने आ रहा। ये बिहार विधानसभा में स्पीकर हैं और लालू यादव की पार्टी से हैं

नई दिल्ली। जनवरी के महीने में कड़ाके की ठंड के बीच बिहार में सियासी पारा एक बार फिर उबाल पर है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर पाला बदलने की तैयारी कर चुके हैं। जिस तरह से नीतीश और तेजस्वी में दूरियां बढ़ती दिख रही उससे साफ है कि सूबे में खेला होने के आसार हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर राजद कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने की पूरी तैयारी कर चुके हैं। ऐसी चर्चा है कि 28 जनवरी को बीजेपी की ओर से नीतीश के लिए दरवाजा खुल सकता है। चर्चा यह भी है कि जेडीयू मुखिया नीतीश कुमार एनडीए की सरकार में फिर सीएम पद संभाल सकते हैं, वहीं बीजेपी 2020 की तर्ज पर दो डिप्टी सीएम रख सकती है। हालांकि, नीतीश कुमार के पूरे गेम प्लान को लालू यादव की पार्टी आरजेडी आसानी से पूरा नहीं होने देने वाली है। ऐसा इसलिए क्योंकि बिहार विधानसभा में स्पीकर का पद अभी आरजेडी के ही पास है। जानिए कौन हैं अवध बिहारी चौधरी जिन पर निगाहें टिकी हुई हैं।

जेडीयू ने रविवार को बुलाई विधायक-सांसदों की बैठक
बिहार में बदले सियासी घटनाक्रम को लेकर जेडीयू की रविवार को विधायक दल की बैठक है। नीतीश की पार्टी के विधायक और सांसद रविवार को सीएम आवास पर मिलेंगे और उसी शाम या सोमवार को नई सरकार पर फैसला हो सकता है। उधर बीजेपी सांसद और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राजनीति में कभी किसी के लिए दरवाजे स्थायी रूप से बंद नहीं होते हैं। नीतीश कुमार और जेडीयू के संबंध में हमारा केंद्रीय नेतृत्व फैसला करेगा। राज्य इकाई उनके फैसले का पालन करती है।

‘तख्तापलट’ पर आरजेडी का क्या है दांव
बीजेपी, आरजेडी और कांग्रेस ने आज अपने विधायक दल की बैठक बुलाई है, जबकि आरजेडी प्रवक्ता मनोज झा ने नीतीश से भ्रम की स्थिति पर अपना रुख स्पष्ट करने का आग्रह किया है। जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने पलटवार करते हुए कहा कि नीतीश कभी भी भ्रम में नहीं रहते हैं और फ्रंट फुट पर राजनीति करते हैं। अगर कोई भ्रमित है, तो यह उनकी समस्या है। हम स्पष्ट हैं। इसी जुबानी जंग के बीच सबकी निगाहें बिहार विधानसभा अध्यक्ष पर हैं, जो लालू की पार्टी राजद से हैं।

बिहार स्पीकर क्या करेंगे कोई खेल?
अभी बिहार असेंबली स्पीकर की जिम्मेदारी आरजेडी के अवध बिहारी चौधरी निभा रहे हैं। सूबे के सियासी समीकरण को समझें तो ऐसी चर्चा है कि अगर बहुमत वाला खेल हुआ तो स्पीकर कोई बड़ा रोल अदा कर सकते हैं। बीजेपी के एक नेता ने टीओआई से कहा कि आप लालू यादव के सियासी दांव-पेंच को खारिज नहीं कर सकते। स्पीकर के पास अपार शक्ति है और अगर लालू यादव कुछ जेडीयू और एनडीए विधायकों (मांझी की पार्टी के) को तोड़कर एक अलग गुट बनाने में सफल हो जाते हैं, तो सरकार में बदलाव हो सकता है।

बिहार विधानसभा में सीट समीकरण समझिए
बिहार विधानसभा में अभी किसी पार्टी के कितने विधायक वो इस प्रकार है। सूबे में विधानसभा की कुल 243 सीट है। इसमें बहुमत का आंकड़ा 122 का है। जेडीयू के बिना महागठबंधन के पास 115 विधायक हैं। इनमें आरजेडी के 79, कांग्रेस के 19, लेफ्ट के 16 और एआईएमआईएम के एक विधायक शामिल हैं। वहीं नीतीश के बीजेपी संग जाने पर एनडीए के पास 128 विधायक होंगे। बीजेपी के पास 78, जेडीयू 45, मांझी की HAM के 4 और एक निर्दलीय विधायक हैं।