श्रीराम के राज्याभिषेक के साथ संपन्न हुआ श्री रामलीला महोत्सव, बोहरा ने जताया सबका आभार

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देहरादून। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की लीला का स्मरण मात्र हृदय को पवित्र कर देता है। राजधानी देहरादून के जोहड़ी गांव, सिनोला में आयोजित आदर्श श्री रामलीला महोत्सव ने इस सत्य को पुनः जीवंत कर दिया। लगभग दस दिनों तक चले इस दिव्य आयोजन का समापन प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक के साथ अत्यंत भव्य और भावपूर्ण वातावरण में हुआ।

समापन अवसर पर धार्मिक उत्साह और भक्ति का वातावरण छाया रहा। भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण एवं भक्त हनुमान की जयघोष से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो उठा। जैसे ही मंच पर प्रभु श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ, दर्शकों ने पुष्पवर्षा कर “जय श्रीराम” के नारों से आकाश को गुंजा दिया।

रावण वध का भव्य मंचन बना आकर्षण का केंद्र

महोत्सव के अंतिम चरण में 40 फीट ऊंचे रावण के वध का जीवंत मंचन किया गया। जब प्रभु श्रीराम ने रावण पर अंतिम तीर चलाया, तो मैदान तालियों और जयघोषों से गूंज उठा। यह दृश्य केवल नाट्य नहीं, बल्कि सत्य, धर्म और मर्यादा की विजय का प्रतीक बन गया। दर्शकों ने इस अद्भुत मंचन को भाव-विभोर होकर देखा।

कलाकारों ने जीवंत की मर्यादा पुरुषोत्तम की कथा

पूरे रामलीला महोत्सव के दौरान कलाकारों ने अपने अभिनय से मानो त्रेतायुग को धरती पर उतार दिया।

श्रीराम की भूमिका में गुलशन जी ने अपने गंभीर, संयमी और मर्यादित अभिनय से प्रभु की छवि को सजीव कर दिया।

लक्ष्मण की भूमिका में सर्वेश कुमार ने वीरता और समर्पण का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया।

माता सीता के रूप में प्रदीप ने कोमलता और त्याग की प्रतिमूर्ति को सुंदरता से मंचित किया।

वहीं हनुमान जी की भूमिका में सुरजीत ने अपने ऊर्जावान और भक्तिभाव से भरे प्रदर्शन से दर्शकों का मन जीत लिया।

सागर, धीरेन्द्र, सोहनलाल एवं अन्य कलाकारों ने भी अपने किरदारों में प्राण फूंक दिए। हर दृश्य में उनकी साधना और भक्ति का स्पर्श देखने को मिला।

श्रीरामलीला के मंचन में संगीत की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। तबले पर हिमांशु कुमार ने अपनी लयकारी से भावनाओं का सुन्दर प्रवाह बनाया, जबकि हारमोनियम पर पूरण सिंह ने सुरों की ऐसी साधना की कि पूरा वातावरण भक्तिरस से सराबोर हो गया। भजनों और संवादों के बीच जब “राम सिया राम, जय जय राम” की ध्वनि गूंजी, तो दर्शकों की आंखें नम हो उठीं।

सुमेंद्र सुशांत बोहरा ने जताया आभार

श्री रामलीला समिति, जोहड़ी गांव सिनोला के संरक्षक क्षेत्रीय पार्षद सुमेंद्र सुशांत सिंह बोहरा ने महोत्सव को सफल बनाने में योगदान देने वाले सभी कलाकारों, सहयोगियों, तकनीकी टीम और दर्शकों का हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि श्रीरामलीला केवल एक नाटक नहीं, बल्कि एक संस्कार है — जो समाज को मर्यादा, कर्तव्य, सेवा और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। बोहरा ने कहा कि जब समाज में मर्यादा, करुणा और धर्म के मूल्य पुनः जागृत होंगे, तभी सच्चे अर्थों में रामराज्य की स्थापना होगी।

जोहड़ी गांव का यह रामलीला महोत्सव केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि धर्म, भक्ति और सामाजिक एकता का अद्भुत संगम बन गया। सभी आयु वर्ग के लोग—बच्चे, युवा और वृद्ध—पूरे मनोयोग से इसमें सम्मिलित हुए। क्षेत्र के लोगों ने स्वयंसेवक बनकर मंच सज्जा, प्रकाश व्यवस्था, ध्वनि नियंत्रण और व्यवस्था संचालन में अपनी अहम भूमिका निभाई।

समापन के क्षणों में मंच से जब “सियाराम मय सब जग जानी” का भजन गूंजा, तो हर दर्शक के हृदय में श्रद्धा की तरंग दौड़ गई। इस पावन अवसर पर क्षेत्र के धर्मप्रेमियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी उपस्थित होकर आयोजन की सराहना की।

📜 आदर्श श्री रामलीला महोत्सव ने यह सिद्ध कर दिया कि भले ही युग बदल जाएं, पर प्रभु श्रीराम के आदर्श और उनकी मर्यादा सदा अमर रहेंगे।

आयोजन समिति के महत्वपूर्ण पदाधिकारी

संरक्षक
सुमेंद्र सुशांत सिंह बोहरा

अध्यक्ष
कुलवेन्द्र सिंह बोहरा

उपाध्यक्ष
मोहन खत्री / रविन्द्र सिंह खरोला / भक्त राज शर्मा / राजेन्द्र सिंह

सचिव
दर्शन राणा, पिताम्बर राणा, दीपक मकरेती, टिका शर्मा

उप सचिव
आवेश राणा, विजय कुमार, संजय कुमार, मोहन थापली

कोषाध्यक्ष
जीवन कुमार, दीपक दुमागा, विकास धीमान

निर्देशक
शेखर कुमार (प्रदीप भाई), राजेन्द्र सिंह (धनु)

संगीत निर्देशक
पूरण सिंह, हिमांशु

संगठन मंत्री
संदीप कुमार, सुन्दर पुण्डीर

ईश्वर रावत, दर्शन राणा, मिलन रावत, नरेन्द्र चौधरी रजनीश राणा, शुभम खरोला, राजेन्द्र सिंह, बॉबी चौधरी, गौरव गुलेरिया विरेन्द्र क्षेत्री, नत्थू राणा, सावन कुठाल, अजय कुमार, राजीव कुल्हान विमल राणा, नितिन भण्डारी, अंकित नेगी, दिग्विजय सिंह बोहरा

मंच प्रबन्धक
वेद प्रकाश, निर्मल असवाल, राहुल बगरियाल

स्टोर कीपर
धर्म सिंह, धनीराम

पण्डाल इचार्ज
धर्म सिह, निशात कुमार, मुकेश रावत

मेकअप मास्टर
विनोद

मंच संचालक
विकास कुमार

मीडिया प्रवक्ता
जीवन कुमार, सुमेन्द्र सिंह बोहरा

प्राउन्टर
दिपक काला

स्वय सेवक
सुनीत कुमार, राजेश चौहान, सतीश दुमागा, संजय कुमार,
निखिल खरोला, शुभम खरोला, रोहित क्षेत्री, सौरव सिंह, विक्की,
निशांत, अंकित, गौरव भण्डारी, राहुल भण्डारी, पुनीत, शुभम,
प्रवीन कुमार, मनीष कुमार, रितेश धीमान, सिद्धार्थ काम्बोज,
सूर्य कोम्बोज, नवीन मिया, राजन कश्यप, मयंक रावत

देहरादून।जोहड़ी गांव, सिनोला में चल रहे आदर्श रामलीला महोत्सव के सप्तम दिवस पर श्रद्धा और उत्साह का अद्भुत संगम देखने को मिला। मंच पर प्रस्तुत किए गए प्रसंगों — विभीषण शरणागति, रावण–अंगद संवाद,
लक्ष्मण शक्ति और लंका दहन — ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।

विभीषण की शरणागति ने धर्म की शरण में आने का संदेश दिया, जबकि अंगद संवाद ने अहंकार के दुष्परिणामों पर गहरा विचार प्रस्तुत किया।

लक्ष्मण शक्ति का प्रसंग साहस, त्याग और भाईचारे का प्रतीक बनकर उभरा, वहीं लंका दहन ने असत्य पर सत्य की विजय की गूंज से वातावरण को आलोकित कर दिया।

हर दृश्य ने यह प्रेरक भावना प्रकट की —
“सत्य और धर्म की राह कठिन अवश्य है, किंतु अंततः विजय उसी की होती है।”

कार्यक्रम में क्षेत्रीय पार्षद सुमेंद्र सुशांत बोहरा द्वारा आदर्श श्री रामलीला के आयोजन में निभाई जा रही भूमिका सबका ध्यान आकर्षित कर रही है। सभी क्षेत्रवासी सुमेंद्र सुशांत बोहरा की सामाजिक एकता, सेवा भावना और जनसंपर्क के प्रतीक के रूप में व्यापक प्रशंसा कर रहे हैं।उनकी सक्रियता ने न केवल मंचन को गौरवान्वित किया बल्कि क्षेत्रीय एकता की मिसाल भी पेश की।

सुमेंद्र सुशांत बोहरा ने कहा कि आदर्श श्री रामलीला महोत्सव के आयोजन में ग्रामवासी, युवा मंडल और आयोजन समिति के सभी सदस्यों का विशेष सहयोग मिल रहा है। रामलीला मंचन के माध्यम से जोहड़ी गांव सिनोला के साथ ही पूरे क्षेत्र ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि संस्कृति और आस्था के संगम से ही समाज में सच्ची एकता और प्रेरणा का संचार होता है।

सहस्त्रधारा रोड आईटी पार्क से पहुंचे रामलीला समिति के सदस्यों को पार्षद बोहरा ने किया सम्मानित

देहरादून। जोहड़ी गांव सिनोला में चल रहे आदर्श रामलीला महोत्सव के पंचम दिवस का मंचन श्रद्धा, भक्ति और भावनाओं से ओतप्रोत रहा।
आज के मंचन में रावण–मारीच संवाद, सीता हरण और जटायू उद्धार जैसे भावनात्मक प्रसंगों ने दर्शकों को गहराई से प्रभावित किया। सहस्त्रधारा रोड आईटी पार्क रामलीला समिति के पदाधिकारी एवं सदस्य भी सिनोला पहुंचे जिनको क्षेत्रीय पार्षद सुमेंद्र सिंह बोहरा एवं आयोजक समिति के सदस्यों ने पटका पहना कर सम्मानित किया। डांडा खुदानेवाला रामलीला समिति से सिनोला पहुंचे अभय कुकरेती, वीर सिंह, संदीप शर्मा, अनुराग मित्तल, नवीन उनियाल, धीमान जी समेत सभी पदाधिकारियों ने आदर्श रामलीला महोत्सव के दिव्य एवं भव्य मंचन के लिए समिति की प्रशंसा की।

रावण का छल, मारीच का भ्रम और जटायू का साहस — तीनों ही प्रसंगों ने यह संदेश दिया कि अन्याय के समय सत्य और धर्म का साथ देना ही सच्ची वीरता है।
सीता हरण की वेदना और जटायू के बलिदान ने यह प्रेरणा दी कि संकट के क्षणों में दृढ़ विश्वास और साहस ही मानवता की सबसे बड़ी शक्ति हैं।

कलाकारों की उत्कृष्ट अभिनय क्षमता और भावपूर्ण प्रस्तुति देखकर दर्शक दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो गए। मंचन के दौरान कई बार पूरा सभास्थल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

कार्यक्रम में क्षेत्रीय पार्षद सुमेंद्र सुशांत सिंह बोहरा ने उपस्थित जनसमूह का आभार जताया। उन्होंने कहा कि कलाकारों की शानदार प्रस्तुति से आदर्श रामलीला न केवल क्षेत्र में बल्कि पूरे शहर में अपनी विशिष्ट पहचान बना रही है। बोहरा ने कहा कि ऐसे सांस्कृतिक आयोजन सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को सुदृढ़ करने का कार्य करते हैं।

आज के मंचन में रावण–मारीच संवाद, सीता हरण और जटायू उद्धार जैसे मार्मिक प्रसंगों ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
रावण का छल, मारीच का भ्रम और जटायू का साहस — तीनों ने सिखाया कि धर्म और सत्य का साथ देना ही सच्ची वीरता है।

कलाकारों की अद्भुत प्रस्तुति देख दर्शक दांतों तले उंगली दबाने को हुए मजबूर!
क्षेत्रीय पार्षद सुमेंद्र सुशांत सिंह बोहरा ने कहा —
“आदर्श रामलीला पूरे शहर में अपनी अलग पहचान बना रही है। यह महोत्सव धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है।”

 

“जय श्री राम” के उद्घोष से गूंज उठा पूरा क्षेत्र, श्रद्धा और भक्ति में डूबे दर्शक

देहरादून। राजधानी देहरादून के जोहड़ी गांव सिनोला में चल रहे आदर्श श्री रामलीला महोत्सव में श्रीराम के जीवन चरित्र, मर्यादा और आदर्शों की अद्भुत झांकी प्रस्तुत करते हुए आदर्श श्री रामलीला महोत्सव के तीसरे दिन का मंचन दिव्य और भव्य रूप में सम्पन्न हुआ। संपूर्ण परिसर “जय श्री राम” के उद्घोषों से गूंज उठा और वातावरण में भक्ति एवं उत्साह का संचार हो गया।

रामलीला मैदान में कलाकारों ने ऐसी जीवंत प्रस्तुतियां दीं कि दर्शक क्षणभर को स्वयं को त्रेतायुग में अनुभव करने लगे। कैकई-मंथरा संवाद, कैकई-दशरथ संवाद और श्रीराम जी के वनवास का हृदयस्पर्शी मंचन हुआ, जिसने उपस्थित श्रद्धालुओं की आंखें नम कर दीं।

मंच पर जब महारानी कैकई ने श्रीराम के वनवास की मांग की, तो पूरा पंडाल मौन हो गया। भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता के वनगमन का दृश्य प्रस्तुत होते ही “राम लला की जय”, “सीता माता की जय” के उद्घोषों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। कलाकारों की वेशभूषा, भाव-भंगिमाएं और संवाद-प्रस्तुति ने समूचे वातावरण को दिव्यता से भर दिया।

 

कार्यक्रम में उपस्थित क्षेत्रीय पार्षद सुमेंद्र सुशांत बोहरा ने मंच से सभी सम्मानित मातृशक्ति एवं श्रद्धालुओं का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि —

> “रामलीला केवल एक नाट्य मंचन नहीं, बल्कि यह हमारी सनातन संस्कृति की आत्मा है। श्रीराम के आदर्श, त्याग और मर्यादा का संदेश ही समाज को सच्ची दिशा प्रदान करता है।”

उन्होंने सभी कलाकारों की सराहना करते हुए कहा कि जोहड़ी गांव की यह रामलीला निरंतर धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन चुकी है।तीसरे दिन के मंचन को देखने स्थानीय ग्रामीणों के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों से भी भारी संख्या में भक्तजन पहुंचे। श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच भक्ति रस में डूबे सभी दर्शक बार-बार रामभक्ति के गीतों पर झूम उठे।

बोहरा ने बताया कि आने वाले दिनों में भरत मिलाप, सीता हरण, रावण वध और राम राज्याभिषेक जैसे प्रसंगों का मंचन किया जाएगा। आदर्श श्री रामलीला महोत्सव अब पूरे क्षेत्र की आस्था का केंद्र बन चुका है, जहां हर शाम त्रेता युग का पुनर्जीवन होता दिखाई देता है।

 

देहरादून। राजधानी देहरादून के जोहड़ी गांव सिनोला में चल रही आदर्श श्री रामलीला के दूसरे दिवस का मंचन भक्तिमय वातावरण में संपन्न हुआ। आरंभ में मंगलाचरण के साथ पूरा परिसर “जय श्रीराम” और “जय सीता माता” के जयघोष से गुंजायमान हो उठा। वातावरण में घुली धूप, दीप और पुष्पों की सुगंध ने समस्त पंडाल को एक आध्यात्मिक आभा से आलोकित कर दिया।

आज का प्रमुख आकर्षण रहा ‘सीता फुलवारी’ का अत्यंत मनमोहक मंचन। देवी सीता के बाल्यकाल की पावन लीलाओं को जब कलाकारों ने जीवंत किया, तो दर्शकों की आंखें भावनाओं से छलक उठीं। संगीत, भक्ति-गीत और मधुर संवादों ने इस प्रसंग को दिव्यता की ऊँचाइयों तक पहुंचा दिया।

इसके पश्चात मंच पर हुआ रावण और वानासुर का संवाद, जिसमें रावण का तेज, गर्व और शक्ति का प्रदर्शन देखते ही बनता था। यह दृश्य एक ओर नाट्य कौशल का अद्भुत उदाहरण रहा, वहीं दूसरी ओर यह अहंकार के परिणाम का गूढ़ संदेश भी देता दिखाई दिया।

इसके बाद जब धनुष यज्ञ का प्रसंग आया, तो पंडाल में श्रद्धालुओं की सांसें थम सी गईं। श्रीराम द्वारा शिवधनुष भंग करने का क्षण आते ही पूरा वातावरण “जय श्रीराम” के नारों से गूंज उठा। उस क्षण की दिव्यता ने मानो हर भक्त के हृदय में राम की छवि अंकित कर दी।

परशुराम और लक्ष्मण संवाद का मंचन भी अत्यंत प्रभावशाली रहा। दोनों पात्रों के बीच हुआ तीव्र संवाद और परशुराम के तेजस्वी व्यक्तित्व ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कलाकारों की संवाद-अभिनय क्षमता और भाव-प्रदर्शन ने पूरे दृश्य को जीवंत बना दिया।

कार्यक्रम का चरम बिंदु रहा — श्रीराम और माता सीता का पावन विवाह। जयमाल, मंगलगीत और वैदिक मंत्रों के बीच हुए इस दृश्य ने पूरे स्थल को अयोध्या और जनकपुर के उस ऐतिहासिक विवाह उत्सव में बदल दिया। श्रद्धालु भावविभोर होकर भक्ति-सागर में डूबते रहे। अनेक दर्शक तो अनायास ही “सिया राम मय सब जग जानी” का गुणगान करते नजर आए।

इस अवसर पर क्षेत्रीय पार्षद सुमेंद्र सुशांत सिंह बोहरा सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक, क्षेत्रवासी, महिला मंडल और युवाओं ने उपस्थित रहकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।

पूरे मंचन के दौरान दर्शकों की भारी भीड़ ने अनुशासन, उत्साह और श्रद्धा के साथ सहभागिता निभाई। वातावरण में भक्ति, आनंद और राम नाम की गूंज देर रात तक बनी रही।

 

क्षेत्रीय पार्षद वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुमेंद्र सुशांत सिंह बोहरा ने किया श्रद्धालुओं का स्वागत, प्रेम और भक्ति से सराबोर हुआ वातावरण

 

देहरादून। राजधानी देहरादून के जोहड़ी गांव सिनोला में आदर्श रामलीला महोत्सव का शुभारंभ बुधवार को राधा-कृष्ण लीला की भव्य प्रस्तुतियों के साथ हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे कुलवेंद्र सिंह बोहरा ने अन्य सम्मानित महानुभावों संग दीप प्रज्वलन कर महोत्सव का शुभारंभ किया और उपस्थित श्रद्धालुओं का हार्दिक स्वागत किया।

पूर्व प्रधान दर्शन सिंह राणा ने अपने उद्बोधन में कहा कि “राधा-कृष्ण की लीलाएं प्रेम, त्याग और समर्पण की सर्वोच्च मिसाल हैं। ऐसे सांस्कृतिक आयोजन समाज में नैतिकता, एकता और आध्यात्मिक चेतना को सशक्त करते हैं।”

पूर्व प्रधान श्रीमति उर्मिला देवी ने महोत्सव समिति के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में इस प्रकार के आयोजन हमारी सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत करते हैं।

मंच पर कलाकारों ने राधा-कृष्ण के दिव्य प्रेम की लीलाओं का ऐसा सजीव चित्रण प्रस्तुत किया कि पूरा पंडाल भक्ति में सराबोर हो उठा। रासलीला, गोवर्धन पूजा और माखन चोरी जैसे प्रसंगों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। संगीत, नृत्य और संवादों की सुंदर प्रस्तुति ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया।

कलाकारों ने अपने अभिनय से सभी का मन जीत लिया। हर दृश्य में प्रेम और भक्ति की ऐसी झलक दिखी कि श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे। पूरा परिसर “राधे-राधे” और “जय श्रीकृष्ण” के जयघोष से गूंज उठा।

आदर्श रामलीला समिति के उपाध्यक्ष मोहन खत्री ने बताया कि इस वर्ष महोत्सव को और भी भव्य बनाने के लिए विशेष मंच सज्जा, आधुनिक प्रकाश व्यवस्था और साउंड सिस्टम की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि समिति का उद्देश्य सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति से जोड़ना है।

समिति उपाध्यक्ष भक्तराज शर्मा ने बताया कि महोत्सव में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। उन्होंने बताया कि आयोजन को सफल बनाने में स्थानीय युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है।

राजेंद्र सिंह ने कहा, “राधा-कृष्ण की लीला देखकर मन को अद्भुत शांति मिलती है। ऐसा लगता है जैसे स्वयं वृंदावन यहां उतर आया हो।”
वहीं युवा दर्शक शेखर कुमार ने बताया कि मंचन के दौरान कलाकारों का अभिनय इतना जीवंत था कि हर दृश्य मन में बस गया।

महोत्सव समिति के अनुसार, आने वाले दिनों में भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और सीता की लीलाओं का मंचन किया जाएगा। इसके साथ ही भजन और धार्मिक प्रवचन जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। अंतिम दिन रामराज्य अभिषेक के साथ महोत्सव का समापन किया जाएगा।

क्षेत्रीय पार्षद सुमेंद्र सुशांत सिंह बोहरा ने बताया कि आदर्श रामलीला महोत्सव न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह स्थानीय समाज के लिए आस्था, एकता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बन चुका है। राधा-कृष्ण की दिव्य लीला ने श्रद्धालुओं के मन में भक्ति की ज्योति प्रज्वलित कर दी, और सिनोला की धरती प्रेम, संगीत और अध्यात्म से गूंज उठी।