“जय श्री राम” के उद्घोष से गूंज उठा पूरा क्षेत्र, श्रद्धा और भक्ति में डूबे दर्शक
देहरादून। राजधानी देहरादून के जोहड़ी गांव सिनोला में चल रहे आदर्श श्री रामलीला महोत्सव में श्रीराम के जीवन चरित्र, मर्यादा और आदर्शों की अद्भुत झांकी प्रस्तुत करते हुए आदर्श श्री रामलीला महोत्सव के तीसरे दिन का मंचन दिव्य और भव्य रूप में सम्पन्न हुआ। संपूर्ण परिसर “जय श्री राम” के उद्घोषों से गूंज उठा और वातावरण में भक्ति एवं उत्साह का संचार हो गया।
रामलीला मैदान में कलाकारों ने ऐसी जीवंत प्रस्तुतियां दीं कि दर्शक क्षणभर को स्वयं को त्रेतायुग में अनुभव करने लगे। कैकई-मंथरा संवाद, कैकई-दशरथ संवाद और श्रीराम जी के वनवास का हृदयस्पर्शी मंचन हुआ, जिसने उपस्थित श्रद्धालुओं की आंखें नम कर दीं।
मंच पर जब महारानी कैकई ने श्रीराम के वनवास की मांग की, तो पूरा पंडाल मौन हो गया। भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता के वनगमन का दृश्य प्रस्तुत होते ही “राम लला की जय”, “सीता माता की जय” के उद्घोषों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। कलाकारों की वेशभूषा, भाव-भंगिमाएं और संवाद-प्रस्तुति ने समूचे वातावरण को दिव्यता से भर दिया।
कार्यक्रम में उपस्थित क्षेत्रीय पार्षद सुमेंद्र सुशांत बोहरा ने मंच से सभी सम्मानित मातृशक्ति एवं श्रद्धालुओं का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि —
> “रामलीला केवल एक नाट्य मंचन नहीं, बल्कि यह हमारी सनातन संस्कृति की आत्मा है। श्रीराम के आदर्श, त्याग और मर्यादा का संदेश ही समाज को सच्ची दिशा प्रदान करता है।”
उन्होंने सभी कलाकारों की सराहना करते हुए कहा कि जोहड़ी गांव की यह रामलीला निरंतर धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन चुकी है।तीसरे दिन के मंचन को देखने स्थानीय ग्रामीणों के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों से भी भारी संख्या में भक्तजन पहुंचे। श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच भक्ति रस में डूबे सभी दर्शक बार-बार रामभक्ति के गीतों पर झूम उठे।
बोहरा ने बताया कि आने वाले दिनों में भरत मिलाप, सीता हरण, रावण वध और राम राज्याभिषेक जैसे प्रसंगों का मंचन किया जाएगा। आदर्श श्री रामलीला महोत्सव अब पूरे क्षेत्र की आस्था का केंद्र बन चुका है, जहां हर शाम त्रेता युग का पुनर्जीवन होता दिखाई देता है।
देहरादून। राजधानी देहरादून के जोहड़ी गांव सिनोला में चल रही आदर्श श्री रामलीला के दूसरे दिवस का मंचन भक्तिमय वातावरण में संपन्न हुआ। आरंभ में मंगलाचरण के साथ पूरा परिसर “जय श्रीराम” और “जय सीता माता” के जयघोष से गुंजायमान हो उठा। वातावरण में घुली धूप, दीप और पुष्पों की सुगंध ने समस्त पंडाल को एक आध्यात्मिक आभा से आलोकित कर दिया।
आज का प्रमुख आकर्षण रहा ‘सीता फुलवारी’ का अत्यंत मनमोहक मंचन। देवी सीता के बाल्यकाल की पावन लीलाओं को जब कलाकारों ने जीवंत किया, तो दर्शकों की आंखें भावनाओं से छलक उठीं। संगीत, भक्ति-गीत और मधुर संवादों ने इस प्रसंग को दिव्यता की ऊँचाइयों तक पहुंचा दिया।
इसके पश्चात मंच पर हुआ रावण और वानासुर का संवाद, जिसमें रावण का तेज, गर्व और शक्ति का प्रदर्शन देखते ही बनता था। यह दृश्य एक ओर नाट्य कौशल का अद्भुत उदाहरण रहा, वहीं दूसरी ओर यह अहंकार के परिणाम का गूढ़ संदेश भी देता दिखाई दिया।
इसके बाद जब धनुष यज्ञ का प्रसंग आया, तो पंडाल में श्रद्धालुओं की सांसें थम सी गईं। श्रीराम द्वारा शिवधनुष भंग करने का क्षण आते ही पूरा वातावरण “जय श्रीराम” के नारों से गूंज उठा। उस क्षण की दिव्यता ने मानो हर भक्त के हृदय में राम की छवि अंकित कर दी।
परशुराम और लक्ष्मण संवाद का मंचन भी अत्यंत प्रभावशाली रहा। दोनों पात्रों के बीच हुआ तीव्र संवाद और परशुराम के तेजस्वी व्यक्तित्व ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कलाकारों की संवाद-अभिनय क्षमता और भाव-प्रदर्शन ने पूरे दृश्य को जीवंत बना दिया।
कार्यक्रम का चरम बिंदु रहा — श्रीराम और माता सीता का पावन विवाह। जयमाल, मंगलगीत और वैदिक मंत्रों के बीच हुए इस दृश्य ने पूरे स्थल को अयोध्या और जनकपुर के उस ऐतिहासिक विवाह उत्सव में बदल दिया। श्रद्धालु भावविभोर होकर भक्ति-सागर में डूबते रहे। अनेक दर्शक तो अनायास ही “सिया राम मय सब जग जानी” का गुणगान करते नजर आए।
इस अवसर पर क्षेत्रीय पार्षद सुमेंद्र सुशांत सिंह बोहरा सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक, क्षेत्रवासी, महिला मंडल और युवाओं ने उपस्थित रहकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
पूरे मंचन के दौरान दर्शकों की भारी भीड़ ने अनुशासन, उत्साह और श्रद्धा के साथ सहभागिता निभाई। वातावरण में भक्ति, आनंद और राम नाम की गूंज देर रात तक बनी रही।
क्षेत्रीय पार्षद वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुमेंद्र सुशांत सिंह बोहरा ने किया श्रद्धालुओं का स्वागत, प्रेम और भक्ति से सराबोर हुआ वातावरण
देहरादून। राजधानी देहरादून के जोहड़ी गांव सिनोला में आदर्श रामलीला महोत्सव का शुभारंभ बुधवार को राधा-कृष्ण लीला की भव्य प्रस्तुतियों के साथ हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे कुलवेंद्र सिंह बोहरा ने अन्य सम्मानित महानुभावों संग दीप प्रज्वलन कर महोत्सव का शुभारंभ किया और उपस्थित श्रद्धालुओं का हार्दिक स्वागत किया।
पूर्व प्रधान दर्शन सिंह राणा ने अपने उद्बोधन में कहा कि “राधा-कृष्ण की लीलाएं प्रेम, त्याग और समर्पण की सर्वोच्च मिसाल हैं। ऐसे सांस्कृतिक आयोजन समाज में नैतिकता, एकता और आध्यात्मिक चेतना को सशक्त करते हैं।”
पूर्व प्रधान श्रीमति उर्मिला देवी ने महोत्सव समिति के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में इस प्रकार के आयोजन हमारी सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत करते हैं।
मंच पर कलाकारों ने राधा-कृष्ण के दिव्य प्रेम की लीलाओं का ऐसा सजीव चित्रण प्रस्तुत किया कि पूरा पंडाल भक्ति में सराबोर हो उठा। रासलीला, गोवर्धन पूजा और माखन चोरी जैसे प्रसंगों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। संगीत, नृत्य और संवादों की सुंदर प्रस्तुति ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
कलाकारों ने अपने अभिनय से सभी का मन जीत लिया। हर दृश्य में प्रेम और भक्ति की ऐसी झलक दिखी कि श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे। पूरा परिसर “राधे-राधे” और “जय श्रीकृष्ण” के जयघोष से गूंज उठा।
आदर्श रामलीला समिति के उपाध्यक्ष मोहन खत्री ने बताया कि इस वर्ष महोत्सव को और भी भव्य बनाने के लिए विशेष मंच सज्जा, आधुनिक प्रकाश व्यवस्था और साउंड सिस्टम की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि समिति का उद्देश्य सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति से जोड़ना है।
समिति उपाध्यक्ष भक्तराज शर्मा ने बताया कि महोत्सव में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। उन्होंने बताया कि आयोजन को सफल बनाने में स्थानीय युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है।
राजेंद्र सिंह ने कहा, “राधा-कृष्ण की लीला देखकर मन को अद्भुत शांति मिलती है। ऐसा लगता है जैसे स्वयं वृंदावन यहां उतर आया हो।”
वहीं युवा दर्शक शेखर कुमार ने बताया कि मंचन के दौरान कलाकारों का अभिनय इतना जीवंत था कि हर दृश्य मन में बस गया।
महोत्सव समिति के अनुसार, आने वाले दिनों में भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और सीता की लीलाओं का मंचन किया जाएगा। इसके साथ ही भजन और धार्मिक प्रवचन जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। अंतिम दिन रामराज्य अभिषेक के साथ महोत्सव का समापन किया जाएगा।
क्षेत्रीय पार्षद सुमेंद्र सुशांत सिंह बोहरा ने बताया कि आदर्श रामलीला महोत्सव न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह स्थानीय समाज के लिए आस्था, एकता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बन चुका है। राधा-कृष्ण की दिव्य लीला ने श्रद्धालुओं के मन में भक्ति की ज्योति प्रज्वलित कर दी, और सिनोला की धरती प्रेम, संगीत और अध्यात्म से गूंज उठी।