लखनऊ। गोरखपुर पुलिस ने बलिया के रहने वाले एक ऐसे जालसाज को पकड़ा है जो कभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ओएसडी तो कभी डीजीपी का पीए बनकर अफसरों पर रौब जमाता और काम के बदले आम लोगों से रुपए वसूलता था।आवाज बदलने में माहिर आरोपी किन्नर है। उस पर गोरखपुर सहित पांच जिलों में 11 मुकदमे हैं। पुलिस ने पड़ताल की तो पता चला कि 13 नाम, नौ नम्बरों और पांच मोबाइल फोन से कॉल करके अफसरों को हड़काता रहा।
एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने धरपकड़ का खुलासा करते हुए बताया कि झंगहा इलाके में अगस्त के पहले सप्ताह में एक व्यक्ति ने थानेदार को फोन किया और खुद को अफसर बताकर अपशब्द बोले। इस मामले में केस दर्ज कर छानबीन शुरू हुई तो पता चला कि कई थानेदारों और अफसरों के पास इस तरह की कॉल आ चुकी है। उसके बाद जिन नम्बरों से कॉल आई थी, उन्हें सर्विलांस से ट्रेस कर गुरुवार को दो आरोपितों को गिरफ्तार किया गया। एक की पहचान किन्नर चांदनी उर्फ चन्दन निवासी छितौनी, थाना रसड़ा, बलिया और दूसरे का अशोक यादव निवासी देवतहा, थाना गौरीबाजार, देवरिया के रूप में हुई।
13 नाम, नौ नम्बर और पांच मोबाइल से कॉल
जांच के बाद पता चला कि चंदन उर्फ चांदनी उर्फ पुष्पा किन्नर अलग-अलग नाम और मोबाइल नम्बरों से फोन करता था। वह चार तरह की आवाज में बात करता था। अब तक की जांच में पता चला कि चंदन ने अब तक 13 नामों का इस्तेमाल किया। नौ मोबाइल नम्बर उसके पास मिले। वहीं पांच मोबाइल फोन से वह कॉल करता था।
फोन करने के दौरान पहले संबंधित विभाग के मंत्री का पीए या फिर अधिकारी का गनर बनकर बात करता और फोन उठाने वाले को बताता की फलां साहब बात करना चाहते हैं फिर खुद ही आवाज बदलकर वह अधिकारी या ओएसडी बन जाता था। जांच में सामने आया कि किन्नर समाज का अध्यक्ष, डीजीपी का पीए, रसद मन्त्री का पीए, मुख्यमन्त्री का ओएसडी आदि बनकर भी फोन कर चुका है। जो अफसर बात नहीं सुनता उसका ट्रांसफर कराने की धमकी देता था।
मुख्यमंत्री का ओएसडी बनकर वसूले 70 हजार
10 अगस्त 2023 को झंगहा बरही के रहने वाले राम दरश का अपने पड़ोसी शंकर व सुरेन्द्र तथा संजय से भूमि विवाद चल रहा है। रामदरश के पक्ष में मदद करने के लिए चंदन से बरही पुलिस चौकी के पास पास बात हुई। उसने खुद को मुख्यमंत्री का ओएसडी बता पांच लाख रुपये में काम कराने की बात कही। राम दरश ने कथित ओएसडी को 70 हजार रुपये दिए। बाकी पैसा काम होने के बाद देने के लिए कहा।
उसने एसपी डायल 112 बनकर पीआरवी टीम को मौके पर भेजकर काम रुकवा दिया। उसके बाद राम दरश से और पैसे मांगे। रामदरश के रुपये देने मना करने के बाद उसने विराधी पक्ष से भी पैसा लेकर एसओ झंगहा और एसडीएम चौरीचौरा को विश्वास में लेकर दोनों पक्षों का चालान करा दिया। बाद में यह मामला खुला।