MDDA की मिलीभगत से अवैध निमार्ण! CM हेल्पलाइन ओर DM को की गई शिकायत रद्दी की टोकरी में..

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पीड़ित पक्ष अवैध निमार्ण रूकवाने सील कराने के लिए एमडीडीए, जिलाधिकारी तथा मुख्यमंत्री हेल्पलाइन तक में कर चुके है शिकायत, नतीजा ढाक के तीन पात

देहरादून। तमाम कोशिशों के बावजूद शहर में कई जगह पर अवैध निर्माण बदस्तूर जारी हैं। सहस्त्रधारा रोड़ आईटी पार्क के आगे हो रहे चौड़ीकरण के बाद इस क्षेत्र में भी तेजी के साथ व्यापारिक प्रतिष्ठान बन रहे हैं। जिसमें कई बिना नक्शा पास कराए ही बन रहे हैं। ऐसा नहीं है कि मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण के अफसरों को इसकी जानकारी नहीं है, बल्कि खास बात यह है कि उन्हीं की देखरेख में इस क्षेत्र के विनाश की स्क्रिप्ट लिखी जा रही है। देहरादून स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल है। इसके लिए जरूरी है शहर का व्यवस्थित होना। परंतु जिस विभाग के पास शहर के विकास की जिम्मेदारी है, वही मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण विनाश की परिकल्पना तैयार कर रहा है। एमडीडीए में अवैध निर्माण के मामले लंबित हैं। लेकिन एमडीडीए की ओर से चालान करने नोटिस काटने के अलावा कोई कार्रवाई नहीं हुई जबकि पीड़ित पक्ष अवैद्य निर्माण को सील करने की गुहार लगा रहा है।

ताजा मामला सहस्त्रधारा रोड़ के डांडा खुदानेवाला क्षेत्र का है। यहां एक व्यक्ति द्वारा परिवार की मुश्तरका भूमि पर बिना सहखातेदारों की अनुमति एवं बिना नक्शा पास कराए दुकानों का अवैध रूप से निर्माण कर लिया है। इसकी शिकायत उक्त भूमि की सहखातेदार विधवा कविता फरासी एवं नरेश फरासी द्वारा एमडीडीए, जनता दरबार में जिलाधिकारी एवं मुख्यमंत्री हेल्पलाइन तक में की गई है। परन्तु एमडीडीए अधिकारियों की सेटिंग के चलते मात्र चालानी कार्यवाही कर खानापूर्ति कर दी गई और आरोपी द्वारा ग्राउंड फ्लोर के साथ साथ ऊपर दूसरी मंजिल पर भी दुकानों का निर्माण कर लिया गया। जिसके खिलाफ तमाम शिकायतों के बाबजूद एमडीडीए द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। बड़ा सवाल याह भी उठता है कि आखिर किसकी शह पर एमडीडीए अधिकारी अवैध निर्माण को सील करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

पीड़ित नरेश फरासी ने बताया कि डांडा खुदानेवाला में मेन रोड पर उनकी मुश्तरका ज़मीन है जिसमें पांच खातेदार हैं। उन्होंने बताया कि एक खातेदार उपदेश फरासी ने सहखातेदारोंं की सहमति के बिना अक्टूबर माह में दुकानों का निर्माण शुरू कर दिया। जिसकी शिकायत उनके पुत्र अनूप एवं दूसरी खातेदार कविता फरासी द्वारा सबसे पहले एमडीडीए में की गई परंतु एमडीडीए द्वारा निर्माण को रूकवाने के लिए कोई कार्यवाही नहीं की गई जिसके बाद उनके पुत्र ने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में एमडीडीए द्वारा कोई कार्यवाही नहीं करने की शिकायत दर्ज कराई गई। परंतु उस शिकायत को भी रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया। पीड़ित द्वारा दोबारा से मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में कोई कार्यवाही नहीं होने की शिकायत की गई। जिसके बाद एमडीडीए से एक टीम आई और मामूली चालानी कर वापस लौट गई। पीड़ित के अनुसार उसके बाद आरोपी द्वारा यह कहते हुए और तेज़ी से निर्माण कार्य शुरू कर दिया कि अब तो दूकानों के ऊपर भी दुकानों का निर्माण होगा ‘साहब से बात हो गई है’ और वास्तव मे देखते ही देखते दुकानों की छत पर तीन दुकानों का निर्माण हो गया।

साथ ही दूसरी खातेदार कविता फरासी द्वारा भी जनता दरबार में लगातार दो सप्ताह अवैध निमार्ण को रूकवाने की गुहार लगाई गई। परंतु उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। और आरोपी द्वारा लगातर अवैध निमार्ण कार्य किया जाता रहा। इस बारे में पीड़ितों का कहना है कि एमडीडीए अधिकारियों को अवैध निर्माण के बारे में शुरू में ही अवगत करा दिया था, लेकिन सेटिंग गेटिंग चलते एमडीडीए द्वारा कार्रवाई नहीं की गई। पीड़ित पक्ष का आरोप है कि एमडीडीए के अधिकारी कार्यवाही सिर्फ वहीं पर करते हैं जहां से उन्हें सुविधा शुल्क नहीं मिलता है या फिर जहां सीनियर अधिकारी या किसी बड़े नेता का डंडा होता है।