धामी कैबिनेट में तीन नए मंत्रियों की एंट्री तीन हुए आउट, प्रेम को खुशी तो खजानदास और काऊ को निराशा

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देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का भव्य शपथ ग्रहण समारोह आज परेड ग्राउंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा गृह मंत्री अमित शाह सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं केंद्रीय नेताओं की मौजूदगी में संपन्न हो गया। पुष्कर सिंह धामी ने मंत्रिमंडल में तीन नए चेहरों प्रेमचंद अग्रवाल-चन्दन रामदास और सौरभ बहुगुणा को शामिल करने के साथ ही पिछली टीम के तीन चेहरों बंशीधर भगत, बिशन सिंह चुफाल और अरविंद पांडे की छुट्टी कर दी। मंत्रिमंडल में तीन कुर्सियाँ बचा के उन्होंने छूटे सभी दावेदारों की आस को जिंदा रखा है। पिछली सरकार में साथ काम कर चुके सुबोध उनियाल- सतपाल महाराज-गणेश जोशी-धन सिंह रावत और रेखा आर्य मंत्रिमंडल में अपनी कुर्सी बचाए रखने में सफल रहे। पूर्व सीएम भुवन चंद्र खंडूड़ी की बेटी और कोटद्वार विधायक ऋतु खंडूड़ी भूषण को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया। ये सम्मान अर्जित करने वाली वह प्रदेश की पहली महिला हैं।

कुमायूं से मुख्यमंत्री समेत चार (चन्दन रामदास-सौरभ बहुगुणा-रेखा आर्य) और गढ़वाल से 5 (सुबोध उनियाल- सतपाल महाराज- गणेश जोशी- धन सिंह रावत) को कैबिनेट का हिस्सा बनाया गया है। चौंकाने वाला फैसला लेते हुए पुष्कर ने बंशीधर-चुफाल और अरविंद को अपनी टीम से बाहर कर साबित किया कि वह कड़े कदम भी उठाने से नहीं हिचकेंगे। साथ ही ये कोशिश करेंगे कि नई प्रतिभाओं को सरकार चलाने का कौशल दिखाने का मौका दिया जाएगा।

प्रेमचंद स्पीकर थे लेकिन मंत्री बनने की ख़्वाहिश रखते थे। संघ की बेहद सशक्त पृष्ठभूमि वाले प्रेमचंद को मंत्री बनाना जरूरी माना जा रहा था। बीजेपी में वैश्य समाज का बहुत भरोसा रहता है। इस प्रभावशाली समाज का प्रतिनिधित्व जरूरी था। चन्दन एक और दलित चेहरा हैं, जो सरकार का हिस्सा बने। इसके चलते देहरादून के खजानदास मंत्री की दौड़ में पीछे रह गए। रेखा भी दलित चेहरा हैं। उनकी मौजूदगी के बावजूद चन्दन का मंत्री बनाया जाना कुछ ताज्जुब उत्पन्न करता है।

पूर्व सीएम और काँग्रेस की हरीश रावत सरकार तोड़ने में अगुआ और बीजेपी में कुछ न मिलने के बावजूद साढ़े पाँच साल खामोश रहने वाले विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ को दूसरी बार विधायक बनने के बाद मंत्री बनाए जाने की सुगबुगाहट थी। गणेश जोशी को बचाने और प्रेमचंद को मंत्रिमंडल में Adjust करने की खातिर उमेश शर्मा काऊ और मुन्ना सिंह चौहान तगड़ी दावेदारी के बावजूद देहरादून से टीम धामी का हिस्सा नहीं बन पाए।

सतपाल महाराज एक बार फिर सीएम बनने की तमन्ना पैदा किए हुए थे, लेकिन उनको फिर मंत्री ही बन कर रहना होगा। धन सिंह फिर मंत्री बन गए। उनको ले के पार्टी के एक मजबूत कोने में विरोधी लहर थी, लेकिन वह अपनी कुर्सी बचाने में सफल रहे। बंशीधर का टिकट कटने की वजह उनकी बढ़ती उम्र के साथ ही उनके विवादित बयान और चुनाव के दिनों में एक अश्लील किस्म की ऑडियो वाइरल होना माना जा रहा था। भले ऑडियो में उनकी ही आवाज है, ये पुष्टि नहीं हो पाई है।

चुफाल के बारे में हवा है कि वह अपनी डीडीहाट सीट पुष्कर के लिए खाली कर सकते हैं। इसकी एवज में वह राज्यसभा भेजे जा सकते हैं। पुष्कर को 6 महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना है। डीडीहाट में उनकी विजय की संभावना अधिक मानी जा रही है। उधम सिंह नगर के अरविंद पांडे का टिकट कट जाने के पीछे मुख्यमंत्री और सौरभ को जिम्मेदार माना जा रहा। एक ही जिले से 3 चेहरों को मंत्रिमंडल में मौका दिया जाना संभव नहीं दिख रहा था।

3 कुर्सियाँ पुष्कर मंत्रिमंडल में खाली तो हैं लेकिन इसकी कोई गुंजाइश नहीं दिख रही कि फिर से पुराने चेहरों से इनको भरा जा सकता है। हकीकत ये मानी जा रही कि मंत्री बनने से महरूम बंशीधर-बिशन और अरविंद की रेल छूट चुकी है। अरविंद को संघ का करीबी माना जा रहा था लेकिन इस बार संघ ने उनसे अपना हाथ हटा लिया था। ऐसा सूत्र कह रहे हैं। त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपने मंत्रिमंडल में आखिर तक 2 सीटों को खाली रख छोड़ा था।

आला कमान से उनको इन्हें जल्द न भरने की छूट दी थी। पुष्कर को भी ये छूट लगता है मिल गई है। ऋतु खुशकिस्मत रही जो राज्य की पहली स्पीकर बनने का सौभाग्य मिला। उनका टिकट उस दौरान यमकेश्वर से कट गया था, जब वह वहाँ से लड़ना चाह रही थी। उनके बारे में कहा जा रहा था कि वह चुनाव नहीं जीत सकती हैं। वह सीट बदल कर कोटद्वार का टिकट ले उड़ी और तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद जीत भी गई।