उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अब तहसीलदार और तहसीलदार (न्यायिक) को ग्राम समाज की जमीन पर अवैध कब्जे हटाने और ऐसे मामलों का निस्तारण करने के लिए कानूनी तौर पर अधिकृत कर दिया है। कैबिनेट की ओर से बीती 11 दिसंबर को तहसीलदार और तहसीलदार (न्यायिक) को उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा-67 के तहत सहायक कलेक्टर के तौर पर काम करने के लिए अधिकृत करने का प्रस्ताव मंजूर किए जाने के बाद राजस्व विभाग ने इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी है।
उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम की धारा-122 (बी) के तहत ग्राम समाज की जमीनों पर कब्जे हटाने और ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए तहसीलदार को सहायक कलेक्टर के अधिकार नोटिफिकेशन के जरिये दिए गए थे। 11 फरवरी, 2016 को उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम निरस्त हो गया और उप्र राजस्व संहिता लागू हो गई।
राजस्व संहिता की धारा-67 के तहत ग्राम समाज की जमीनों पर अवैध कब्जे हटाने का अधिकार सहायक कलेक्टर को दिया गया है, लेकिन तहसीलदार को इसके लिए सहायक कलेक्टर के अधिकार नहीं दिए गए थे। उधर, राजस्व संहिता लागू होने के बाद से ही ऐसे मामलों में तहसीलदार (न्यायिक) सुनवाई करते आ रहे थे। ग्राम समाज की जमीन पर कब्जों से जुड़े कई मुकदमों में कोर्ट ने ऐसे मामलों में तहसीलदारों की ओर से की गई कार्यवाही पर आपत्ति जतायी थी।
ताजा मामला राजधानी के करियर डेंटल कॉलेज के अवैध कब्जे से ग्राम समाज की जमीन को मुक्त कराने का था। मामले में राजस्व परिषद के तत्कालीन सदस्य डॉ. गुरदीप सिंह ने भी यही दलील दी कि सहायक कलेक्टर की शक्तियां पाए बगैर तहसीलदार को इस मामले में कार्यवाही का अधिकार ही नहीं है। इससे सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा हो गई थी। लिहाजा सरकार ने राजस्व संहिता की धारा-219 के तहत प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तहसीलदार और तहसीलदार (न्यायिक) को इस प्रयोजन के लिए सहायक कलेक्टर के अधिकार देने का फैसला किया था।