देहरादून। आगामी विधानसभा चुनाव 2022 को देखते हुए और तीर्थ पुरोहितों के बढ़ते विरोध के चलते धामी सरकार ने दो साल पहले गठित चारधाम देवस्थानाम एक्ट को निरस्त कर कर दिया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने आज सुबह एक समाचार एजेंसी से बातचीत में यह फैसला बताया।

उन्होंने कहा कि कैबिनेट उप समिति की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद यह फैसला किया। भाजपा सरकार अब विधानसभा सत्र में एक्ट की समाप्ति की प्रक्रिया पूरी करेगी। सरकार के इस फैसले के बाद नाराज तीर्थ पुरोहितों व ब्राह्मण समाज की नाराजगी दूर होने की उम्मीद जताई जा रही है। हाल ही में तीर्थ पुरोहितों ने दून में मंत्री आवास घेरने व सचिवालय कूच के बाद विधानसभा घेराव की चेतावनी तक दे डाली थी।
इससे पूर्व,आंदोलन को नई धार देते हुए तीर्थ पुरोहितों ने उत्त्तराखण्ड व उत्तरप्रदेश के चुनावों को भी प्रभावित करने की धमकी दे डाली थी। यही नहीं, हरिद्वार के संतों ने भी आंदोलन को समर्थन देते हुए सरकार को हल निकालने के लिए कहा था। चारधाम हक हुकुकधारी महापंचायत के आंदोलन से ब्राह्मण मतदाता की नाराजगी की खबरें भी भाजपा के गलियारे में तैर रही थी। नतीजतन नये सीएम धामी की पार्टी हाईकमान से मंथन के बाद चारधाम बोर्ड को भंग करने का फैसला लिया गए।
भाजपा चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी की सीएम धामी व प्रदेश संगठन से हुई चर्चा में भी देवस्थानाम बोर्ड का मसला प्रमुखता से छाया रहा। दो साल पूर्व तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने चारधाम देवस्थानाम प्रबंधन बोर्ड का गठन किया था। बोर्ड के तहत 51 मंदिरों का अधिग्रहण किया गया। इस फैसले के बाद चारों धामों के पंडे आंदोलन पर उतर आए।
धामी सरकार ने मामले के हल के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन भी किया। इस कमेटी में चारधाम से जुड़े तीर्थ पुरोहितों को भी शामिल किया गया। इसके साथ ही प्रदेश सरकार ने 30 नवंबर तक उचित समाधान निकालने का भरोसा दिया।
दो साल से जारी विरोध के बाद तीर्थ पुरोहितों ने देहरादून में मंत्रियों के आवास पर प्रदर्शन कर सरकार की धड़कनें बढ़ा दी। इस बीच, हरिद्वार के संत समाज ने भी पुरोहितों की मांग का समर्थन कर सरकार को चेतावनी दे डाली। यही नहीं, तीर्थ पुरोहितों ने 2022 के चुनावों में उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर नये समीकरणों की ओर इशारा किया। साथ ही उत्तर प्रदेश में चारधामों से जुड़े अपने यजमानों को भी साथ लेने की चेतावनी दे डाली।
