यूपी के पूर्व सांसद डीपी यादव को बडी़ राहत, हाईकोर्ट ने सीबीआई अदालत का फैसला पलट किया बरी

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नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए सीबीआई न्यायालय के आदेश पर 15 फरवरी 2015 से देहरादून की जेल में बंद आजीवन कारावास की सजा काट रहे उत्तर प्रदेश के तत्कालीन बाहुबली नेता डीपी यादव को आरोपों से बरी कर दिया है। इस मामले में उच्च न्यायालय ने सीबीआई न्यायालय का फैसला पलट दिया है। इससे पहले उच्च न्यायालय ने तीन बार डीपी यादव को स्वास्थ्य कारणों से जमानत दे दी थी। अलबत्ता अन्य आरोपितों पर मामला अभी भी लंबित है।

उल्लेखनीय है कि 13 सितम्बर 1992 को दादरी रेलवे क्रासिंग पर वरिष्ठ नेता महेन्द्र भाटी की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। हत्या का आरोप उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले के सर्राफा गांव निवासी डीपी यादव (धर्मपाल यादव) सहित परनीत भाटी, करण यादव, पाल सिंह पर लगा था। भाटी यादव के राजनीतिक गुरु भी कहे जाते थे।

मामले में सीबीआई की देहरादून अदालत द्वारा 15 फरवरी 2015 को यादव सहित सभी को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। तभी से दोषी जेल में बंद हैं। सभी ने सीबीआई कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

यह मामला लंबे समय तक देहरादून की सीबीआई की अदालत में चला। सीबीआई की अदालत ने 15 फरवरी 2015 को महेंद्र भाटी की हत्या में डीपी यादव समेत अन्य लोगों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। आगे देखना होगा कि यादव को यह राहत बरकरार रहती है अथवा नहीं, क्योंकि यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि सीबीआई का रुख इस मामले में क्या रहता है। सीबीआई इस मामले को आगे ले जाती है अथवा नहीं।

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