हरियाणा में कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा आज, बच पायेगी खट्टर सरकार ?

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चंडीगढ़। हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल सरकार के खिलाफ कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव पर आज विधानसभा में बहस होने की संभावना है। प्रस्ताव पर वोटिंग के मद्देनजर सत्तापक्ष और विपक्ष सभी ने अपने-अपने सदस्यों को सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी कर दिया है। इस पूरी कवायद से कांग्रेस को बहुत उम्मीद नहीं है। पार्टी का कहना है कि उसका मकसद भाजपा और जजपा को बेनकाब करना है। कांग्रेस का कहना है कि अविश्वास प्रस्ताव का मकसद भाजपा और जननायक जनता पार्टी को बेनकाब करना है।

सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस कृषि कानून और किसानों के आंदोलन के मुद्दे पर दिया गया है। जननायक जनता पार्टी (जजपा) खुद को किसानों की हितैषी करार देती रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में जजपा को काफी समर्थन मिला था। जजपा सरकार का साथ देती है, तो इससे ग्रामीण क्षेत्रों में पकड़ कमजोर होगी। मनोहर लाल सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का पूरा दारोमदार जजपा पर टिका है। जजपा दस विधायकों के साथ सरकार का समर्थन कर रही है। जजपा के अंदर कई विधायक सार्वजनिक तौर पर किसानों के आंदोलन का समर्थन कर चुके हैं। पार्टी व्हिप से बंधे होने की वजह से कोई विधायक शायद ही सरकार के खिलाफ वोट करे। कई निर्दलीय विधायक भी फिलहाल सरकार के साथ हैं। ऐसे में भाजपा के लिए बहुत मुश्किल नहीं है।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राज्य सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव बिना किसी तैयारी के लाया गया है। इस अविश्वास प्रस्ताव का मकसद अपनी ताकत का अहसास कराना है। दरअसल, पार्टी की तरफ से दिए गए अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस पर 25 विधायकों ने हस्ताक्षर किए है, जबकि विधानसभा में पार्टी विधायकों की संख्या 30 है। जिन विधायकों ने नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं, वह पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र्र सिंह हुड्डा के समर्थक माने जाते हैं। हुड्डा पार्टी के असंतुष्ट नेताओं की फेहरिस्त में भी शामिल हैं।

विधानसभा का गणित
वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 40 सीट, कांग्रेस को 30, जननायक जनता पार्टी को 10, निर्दलीय को सात और लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा ने जीत दर्ज की थी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल को जजपा के 10 और सात निर्दलियों में से पांच विधायक सरकार का समर्थन कर रहे हैं। 90 सदस्यों वाली विधानसभा में दो सीट खाली हैं।