हरीश रावत के लिए आसान नहीं होगा रामनगर का रण, कईं मोर्चों पर एक साथ पडे़गा जूझना

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देहरादून। कांग्रेस पार्टी द्वारा उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए सोमवार देर शाम जारी की गई 11 प्रत्याशियों की दूसरी सूची से कांग्रेस में बगावत की चिंगारी तेजी से भड़कने लगी है। कुमाऊं की लालकुआं सीट से टिकट के प्रबल दावेदार निर्दलीय जीतकर कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री बने हरीश चंद्र दुर्गापाल ने कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह दिया है।

वहीं अब कांग्रेस को दूसरा बड़ा झटका रामनगर सीट पर लग सकता है। जहां टिकट के प्रबल दावेदार रहे रंजीत रावत पार्टी को अलविदा कहते हुए रामनगर से स्वयं एवं सल्ट विधानसभा से अपने पुत्र विक्रम सिंह रावत को निर्दलीय चुनाव मैदान में उतार सकते हैं। जिसके बाद निश्चित रूप से इन दोनों सीटों पर हरीश रावत के साथ ही कांग्रेस के लिए बड़ा संकट खड़ा हो जायेगा और इसका सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा। उम्मीद की जा रही है कि आज शाम तक रंजीत रावत इस बारे में बड़ा फैसला ले सकते हैं।

हरीश रावत को कांग्रेस हाईकमान ने भले ही उत्तराखंड में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नही किया हो लेकिन कांग्रेस हाईकमान के लिए इस समय उत्तराखंड में सबसे बड़ा चेहरा हरीश रावत ही है। रामनगर का रण जीतने के लिए हरीश रावत को भाजपा प्रत्याशी दीवान सिंह बिष्ट के साथ-साथ रंजीत रावत से पार पाना भी बड़ी चुनौती होगा।

ज्ञात रहे कि वर्ष 2017 से पहले हरीश रावत एवं रंजीत रावत के पारिवारिक संबंध रहे हैं। इसके साथ ही हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में रंजीत रावत उनके औद्योगिक सलाहकार हुआ करते थे। लेकिन 2017 के बाद हरीश एवं रंजीत रावत के रास्ते अलग-अलग हो गए जिसके बाद से दोनों के बीच की तल्खी आज तक बरकरार है।

भाजपा ने रावत के भांजे को दिया है टिकट

रामनगर सीट इसके अलावा एक और कारण से भी हॉट सीटों में शुमार हो गई है। इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने दीवान सिंह बिष्ट को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। दीवान सिंह बिष्ट पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के भांजे हैं। ऐसे में रामनगर सीट पर पहली बार मामा भांजे चुनावी मैदान में आमने- सामने होंगे। चुनाव प्रचार के दौरान दोनों में दिलचस्प जुबानी जंग भी देखने को मिल सकती है।

टिकट से महरूम दावेदार भी बिगाड सकते हैं समीकरण

इसके अलावा प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से टिकट के दावेदार रहे मायूस कांग्रेसी भी हरीश रावत से खुन्नस निकालने के लिए इस सीट पर सक्रिय हो सकते हैं। यह वह लोग हैं जो हरीश रावत पर एकतरफा विश्वास कर अपना टिकट कंफर्म मानकर चल रहे थे लेकिन टिकट नही मिला। जिसके लिए यह सीधे तौर पर हरीश रावत को जिम्मेदार मान रहे हैं। यदि ऐसा हुआ तो यह सीट जीतना हरीश रावत के लिए नामुमकिन ही नहीं बल्कि असंभव हो जायेगा। और कोई चमत्कार ही हरीश रावत को इस सीट पर विजय श्री दिला पायेगा।

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